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*वीडियो:- जशपुर जिले में ऐसे भी बनती है सड़क, ना निर्माण कार्य का बोर्ड ना मजदूर जेसीबी से ही लीपापोती कर शासकीय पैसे का देखिए किस तरह हो रहा दुरुपयोग, इस सड़क की उम्र भी नहीं कुछ दिन पहले ही हुई थी सड़क की मरम्मत, लेकिन पैसा खर्च दिखाना है तो बिना टेंडर, बिना मापदंड की जा रही थूक पालिस……..*

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कलिया/जशपुरनगर। (सोनू जायसवाल) नारायणपुर रेंज अंतर्गत अभ्यारण क्षेत्र में नियमों को ताक में रखकर सड़क खोदकर सड़क निर्माण दिखा दिया जा रहा है। सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि यहां सड़क निर्माण करने एवं सरकारी योजना का न ही कोई बोर्ड लगा है और न ही यहां उपस्थित जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी को कार्य की कोई जानकारी है। यहां ड्यूटी कर रहे हैं सरकारी कर्मचारी को यह भी नहीं पता की किस योजना के तहत कितनी राशि स्वीकृत हुई है और किस प्रकार यहां कार्य होना है।

मामला बगीचा ब्लॉक के पत्थलगड़ी क्षेत्र बछराव से गैलूँगा वन मार्ग का है, जहाँ एक माह पूर्व ही वन विभाग के द्वारा उक्त सड़क की मरम्मत लाखों खर्च करके की गई। उसी सड़क को फिर से खोदकर उक्त मुरम को हटाकर लीपापोती किया जा रहा है। इसके बारे में सम्बंधित वन विभाग के कर्मचारी दरोगा से हमने जानकारी मांगी तो उन्हें बस इतना पता था कि स्वीकृत लगभग 1.900किलो मीटर होना बताया, लेकिन खर्च स्वीकृति राशि और आदेश के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं। कोरोना काल के बाद भी यहां पर किसी भी प्रकार से मजदूरों का उपयोग नहीं किया जा रहा है बल्कि जेसीबी से ही महज दिखावे के लिए सड़क निर्माण किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नारायणपुर रेंज अंतर्गत कई सड़क निर्माण कार्य बिना मापदंड के हो रहे हैं। किसी प्रकार की तकनीकी यहां देखने को नही मिली। एक ओर जहां मजदूरों की जगज जेसीबी का उपयोग हो रहा, वहीं स्वीकृति बोर्ड कुछ भी कार्य स्थल पर नहीं है। जो सड़क बन रही है उस सड़क की क्वालिटी के लिये मापदंड का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा है और बिना मुरुम के उपयोग किये मिट्टी भर रहे हैं। नियमानुसार इस प्रकार की सड़क तैयार करने के लिए एक फिट मुरुम होना चाहिये, रोलर होना चाहिये वही विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए मजबूत सड़क का निर्माण किया जाता है। लेकिन यहां गुणवत्ता को लेकर कोई भी कार्य नहीं देखा जा रहा है।

वही अभयारण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई भी बदस्तूर जारी है। वन अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने ही यहां सैकड़ों पेड़ गायब हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि वन विभाग से जुड़े अधिकारी कर्मचारी क्षेत्र में ठेकेदारी कार्य में अपनी सारी ताकत झोंक दिए हैं।

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