बगीचा/जशपुरनगर। सोनू जायसवाल। बगीचा विकासखंड के ग्राम पंचायत डोभ में 21 लाख के हेरा फेरी एवं गबन मामले में जनपद सीईओ ने कार्रवाई की है। ग्राउंड जीरो में खबर प्रकाशन एवं पंचायत के सरपंच व ग्रामीणों की शिकायत के बाद तत्काल यह कार्रवाई की गई है। मामले में कार्रवाई करते हुए जनपद सीईओ बगीचा ने अपने आदेश में लिखा है कि ग्राम पंचायत डोभ के सरपंच / ग्रामवासियों द्वारा श्री राम श्रवण यादव सचिव के विरूद्ध गंभीर शिकायत करते हुये अनयत्र स्थानान्तरण हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसके परिपेक्ष्य में स्थानिय व्यवस्था के तहत श्री मनराज पैकरा स.आ.ले.प.एवं क.अ. को अपने मूल कार्य के साथ ग्राम पंचायत डोभ में अन्य आदेश पर्यन्त कार्य करने हेतु आदेशित किया जाता है । यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।
सचिव रामश्रवन यादव को आदेशित किया गया है कि श्री मनराज पैकरा को 2 दिवस के अन्दर प्रभार सौपें। वहीं श्री मनराज पैकरा स.आ.ले.प.एवं क.अ. को निर्देशित किया गया है कि संबंधित से प्रभार प्राप्त कर कार्यालय को सूचित करें।
मामले में कार्यवाही करते हुए आरोपित सचिव को पंचायत के प्रभार से तो हटा दिया गया लेकिन मामले में जांच को लेकर अभी भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अभी तक मामले में कोई भी जांच प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गई है ना ही जांच समिति का गठन किया गया है। बताया जा रहा कि मामले में जांच होती है तो कई लोग जांच में दोषी पाए जा सकते हैं।
क्या है मामला:-
जशपुर,बगीचा:- प्रदेश के जशपुर जिले में इन दिनों भर्राशाही के साथ में घोटाला और भ्रष्टाचार अब चरम पर है। कभी स्वास्थ्य विभाग का करोड़ों का घोटाला तो कभी मनरेगा के कार्यों में करोड़ो का भ्रष्टाचार लागातार उजागर हो रहा है। वहीं ऐसा बड़ा घोटाला का मामला फिर से जिले के बगीचा ब्लाक के डोभ ग्राम पंचायत से सामने आया है, जहां लाखों रुपये का घोटाला का आरोप इस बार ग्राम पंचायत के ही सचिव के ऊपर लगाया गया है। खास बात यह है कि यह आरोप किसी और ने नही बल्कि उसी ग्राम पंचायत के सरपंच ने लगाया है। ग्राम पंचायत डोभ के महिला सरपंच सस्ती नागदेव ने सचिव पर कई गम्भीर आरोप लगाये हैं।आदिवासी महिला सरपंच ने बगीचा जनपद के सीईओ से लिखित शिकायत करते हुए पूरे मामले का खुलासा किया है।
लिखित शिकायत करते हुए सरपंच ने बताया कि मैं अनुसूचित जनजाति नगेसिया की सदस्य होकर गरीब महिला सरपंच हूँ। यह कि मुझे सचिव रामश्रवन यादव के द्वारा कोई जानकारी दिये ही मेरा डी.ए.सी.(डिजिटल साइन) लगभग एक वर्ष पूर्व से अपने कब्जे में रखा है। तथा सभी मदों की राशि मेरी जानकारी के बगैर स्वयं आहरित कर रहा है। उक्त सम्बन्ध में संदेह होने पर जब मैं बगीचा कार्यालय में पता की तो पता चला की सचिव के द्वारा मुझे जानकारी दिये बगैर 13वें एवं 14 वें वित्त की राशि लगभग 21 लाख रुपये आहरित कर चुका है।उक्त संबंध में जब ग्राम पंचायत की बैठक कर सचिव से जानकारी मांगी गयी तब वह जानकारी देने से अनाकानी कर रहा है। सरपंच ने कहा कि मैं एक आदिवासी महिला सरपंच हूँ। सचिव के द्वारा बगैर कोई जानकारी दिये पैसों का आहरण किया जा रहा है। जिसमें में अत्यन्त दुःखी हूँ, सचिव के द्वारा किसी योजना की कोई जानकारी मुझे नहीं देने से मैं अपने पंचायत के नागरिको को पंचायत की योजना बताने में भी असमर्थ हूँ। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 10 वर्ष से अधिक एक ही स्थान पर पदस्थ सचिवों को स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है।जिससे बचने के लिए भी सचिव के द्वारा अन्य पंचों के साथ मिलकर स्थानान्तरण रुकवाने का प्रयास किया जा है। सरपंच सस्ती नागदेव ने मांग की है कि सचिव रामश्रवन यादव से मेरा डी.एस.सी मुझे वापस करवाने तथा मेरी जानकारी के बगैर सचिव द्वारा आहरित 21 लाख की राशि के सबंध में स्पष्टिकरण देने तथा 10 वर्ष से अधिक समय से पदस्थ उक्त सचिव का स्थानान्तरण करने हेतु आवश्यक पहल करें।
ग्राउंड जीरो की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि सचिव के द्वारा आहरित 21 लाख में से दो स्थानों पर लगभग छह, सात लाख के कार्य हुए हैं, जिसमें गुणवत्ता का अभाव है, बाकी शेष राशि सचिव के द्वारा बंदरबांट कर ली गई है।
बताया जा रहा है कि इतनी बड़ी राशि के बंदरबांट में सचिव अकेले ही नहीं बल्कि विकासखंड के कुछ अधिकारियों की भी संलिप्तता है। वही सचिव को बचाने के लिए जशपुर जिले के बड़े जनप्रतिनिधि भी संरक्षण दे रहे हैं जिस कारण अब तक सचिव के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जिसके कारण सब सरपंच के द्वारा राज्य सरकार व अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में मामले की जांच के लिए दरवाजा खटखटाने की बात कही गई है।