बलौदाबाजार। 31 अगस्त 2021 , आम स्वास्थ्य समस्याओं की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझना और उनका निराकरण करना बहुत जरूरी है । मानसिक रोग से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति की समस्या को कोई सही समय पर समझ ले , तो यह उस व्यक्ति के जीवन को बदलने के लिए काफी मददगार साबित होता है । कुछ ऐसा ही बलौदाबाजार की मितानि ने भी किया है । मितानिन की सूझबूझ के कारण जंजीर में जकड़ी हुई गांव की एक मानसिक रोगी रूबी ( परिवर्तित नाम ) को ना सिर्फ जंजीरों से आजादी मिली है , बल्कि उसके मानसिक रोग का उपचार भी हुआ । रूबी अब स्वस्थ्य हो रही है और जल्द ही दांपत्य जीवन में प्रवेश भी करने वाली है । पिता और बड़े भाई की मृत्यु से आहत रूबी हुई मानसिक रोगी – 19 वर्षीय रूबी ( परिवर्तित नाम ) पांच भाईयों की इकलौती बहन है।
इस बारे में स्वास्थ्य पंचायत समन्वयक अंजनी साहू ने बताया ” रूबी जब 4 साल की थी , तभी उसकी मां का देहांत हो गया था । मां के देहांत के बाद उसके पिता और बड़ा भाई उसे बहुत लाइ- प्यार करते थे । लेकिन 2016 में उसके पिता की भी मृत्यु हो गई और पिता की मृत्यु के 4 माह बाद ही बड़े भाई भी चल बसे । पिता और बड़े भाई की मृत्यु के बाद से रूबी धीरे – धीरे मानसिक रोगी होने लगी । वह असामान्य व्यवहार करने लगी । 10 वीं की पढ़ाई भी वह पूरा नहीं कर सकी तथा परिजनों और बाहरी लोगों से आसामान्य व्यवहार करने लगी । कुछ साल के बाद जब रूबी की स्थिति और बिगड़ने लगी तो उसकी आक्रामकता को देखते हुए परिजन उसे लोहे की जंजीर से बांधकर रखने लगे थे । लगभग सात माह जंजीरों से बंधने के बाद उसे मुक्त कराया गया । रूबी के ठीक होने से उसके घरवाले भी बहुत खुश हैं।
अक्टूबर 2020 में ग्राम स्वास्थ्य समिति बलौदाबाजार की बैठक हुई जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के विषय पर चर्चा हुई । इसी दौरान बलौदाबाजार से 8 किमी . दूर ग्राम पंचायन बैंदा की रहने वाली मानसिक रोगी रूबी ( परिवर्तित नाम ) जिसको उसके परिवार वालों द्वारा लोहे के जंजीर में उसे बांधकर कमरे में रखने की जानकारी मिली । बैठक में उपस्थित मितानिन कौशिल्या व बिंदा ने जैसे ही यह सुना उन्होंने रूबी को उस स्थिति से निजाद दिलाने की ठान ली । इसके बाद मितानिन ने रूबी ( परिवर्तित नाम ) को जंजीर से आजाद कराने के लिए परिवार वालों को समझाकर रूबी को जंजीर से मुक्त कराया । इसके बाद उसे जिला अस्पताल में इलाज कराने की समझाईश परिवार वालों को दी । परंतु अत्यंत गरीब परिवार ने इलाज कराने में असमर्थता जाहिर की । इसके बाद ग्राम स्वास्थ्य समिति की मदद से रूबी को जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक से निःशुल्क इलाज करवाया गया । इनकी मदद से मिला नया जीवन- रूबी को जंजीरों से मुक्ति दिलाने और समाज में मानसिक रोग के प्रति जन जागरूकता लाने के कार्य में मितानिन कौशल्या , बिंदा , मंधेश्वरी , मीना , कल्याणी एवं मितानिन प्रशिक्षिका कीर्तन का विशेष सहयोग रहा है । विशेषकर रूबी को नया जीवन दिलाने में तो मितानिन ने न सिर्फ इलाज करवाया है , बल्कि रूबी के परिवार को अनाज और आर्थिक मदद भी पहुंचाई है । अब रूबी पहले से बेहतर है । परिवार के लोग बहुत खुश हैं और मितानिन को धन्यवाद दे रहे हैं । रूबी के घर वाले अब उसकी शादी करवाना चाहते हैं । इस बारे में डॉ . राकेश कुमार प्रेमी मनोचिकित्सक ( एनएमएचपी ) ने बताया रूबी सिजो सिजोफ्रेनिया रोग से ग्रसित थी । उसकी स्थिति और पारिवारिक परिवेश को जानकर उसका इलाज किया गया । अभी वह काफी ठीक है और सामान्य हो गई है । हालांकि अभी भी उसकी दवा चल रही है मगर अब वह सामान्य लोगों की भांति व्यवहार करने लगी है ।
दिखे आसामान्य व्यवहार तो दिखाएं मनोरोग विशेषज्ञ को–
डॉ . राकेश कुमार प्रेमी मनो चिकित्सक ( एनएमएचपी ) ने बताया जिले में मानसिक रोग को लेकर लोगों में जागरूकता आई है और मानसिक बीमार व्यक्तियों को इसका लाभ भी मिल रहा है । जागरुकता की वजह से ही रूबी को समय पर इलाज मिला । ” डॉ . प्रेमी ने बताया किसी भी व्यक्ति का असामान्य व्यवहार , असामान्य सोच और बर्ताव उस व्यक्ति के मानसिक रोगी होने का संकेत हो सकता है । ऐसे व्यक्तियों को फौरन मनोचिकित्सक , काउंसलर के संपर्क में लाना चाहिए ताकि उनका इलाज शुरू हो सके।मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण को ध्यान में रखते हुए बलौदाबाजार के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक निःशुल्क पहुंचाई जा रही हैं । साथ ही इलाज के दौरान मरीज की पहचान भी गुप्त रखी जाती है । “