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*watch video:- दिव्यांग छात्राओं के साथ अनाचार मामले में कार्यवाही पर फिर उठे सवाल, राज्य सरकार ने नहीं सुनी मांग तो प्रधानमंत्री के नाम परिजनों ने लिखा पत्र, चौंकाने वाले तथ्य रखे सामने व प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, परिजनों ने प्रधानमंत्री से की मांग, राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी से जांच कराकर अनाचार पीड़ित दिव्यांग छात्राओं को दिलाया जाए…..जिला प्रशासन ने ज्ञापन लेने से किया इंकार..*

अनाचार पीड़ितों के परिजनों ने प्रधानमंत्री से लगाई गुहार....

जशपुरनगर। जशपुर में हुए दिव्यांग छात्राओं के साथ हुए अनाचार मामले में पीड़ितों के परिजनों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए परिजनों ने समर्थ दिव्यांग अवासीय प्रशिक्षण केन्द्र जशपुरनगर में अध्यनरत 06 दिव्यांग अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछडा वर्ग की बालिकाओं के साथ हुए अनाचार मामले में न्याय की गुहार लगाते हुए मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी से किये जाने की मांग की है। पत्र एंव ज्ञापन में परिजनों ने लिखा है कि संस्था के केयरटेकर राजेश चौहान एवं चौकीदार नरेन्द्र राम भगत के द्वारा की गई हैवानियत के संबंध में पुलिस एवं जिला प्रशासन के द्वारा जांच में की गई अनियमितता एवं घोर लापरवाही पूर्वक की गई कार्यवाही से वे असंतुष्ट हैं और उक्त संबंध में किसी राष्ट्रीय जांच ऐजेंसी से जांच कराकर पिडित बालिकाओं को न्याय दिलाये जाने की मांग करते हैं।

परिजनों ने लिखा है कि जिला मुख्यालय जशपुर नगर में जिला प्रशासन जशपुर के द्वारा डी ० एम ० एफ ० मद की राशि से राजीव गांधी शिक्षा मिशन शपुर नगर के माध्यम से समर्थ दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन पिछले लगभग 05 वर्षो से किया जा रहा है । उक्त संस्था में नाबालिक दिव्यांग छात्राओं को छात्रावास में रखकर प्रशिक्षण दिया जाता है । किन्तु उक्त संस्था के संबंध में नाबालिक बच्चीयों के लिए कार्य कर रही संस्था चाईल्ड लाईन एवं बाल कल्याण समिति को किसी प्रकार की कोई सूचना कभी भी नही दी गई थी और न ही चाईल्ड लाईन एवं बाल कल्याण समिति के द्वारा उक्त संस्था में कभी कोई दौरा ही किया गया था । जोकि एक गम्भीर लापरवाही है जिस संबंध में जिला प्रशासन के द्वारा आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।

उक्त संस्था का संचालन राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला मिशन संमन्वयक ( डी ० एम ० सी ० ) के अधिन किया जा रहा था लेकिन उनके द्वारा भी कभी भी संस्था का निरक्षण नहीं किया गया, बल्कि दिनांक 22. 09. 2021 को घटी घटना को भी जानबूझकर छुपाने का प्रयास किया गया है। उक्त संबंध में पुलिस के द्वारा कोई जांच नहीं की गई है । जो एक गम्भीर लापरवाही है ।

पीएम से गुहार लगाते हुए परिजनों ने कहा है कि उक्त घटना के पश्चात राज्य सरकार के द्वारा तत्कालिन कलेक्टर श्री महादेव कावरे एवं एस ० डी ० एम ० सुश्री ज्योति बबली कुजूर को स्थानातरित किया गया तथा डी ० एम ० सी ० श्री बिनोद पैकरा, सहित संजय राम , यशोदा सिदार , सहित अन्य कर्मचारियों को निलम्बित किया गया था । किन्तु प्रकरण के जांच एवं विचारण के दौरान ही श्री बिनोद पैकरा एवं अन्य का निलम्बन समाप्त कर उन्हे पुनः उसी पद पर बहाल किया गया है । जिसको लेकर न केवल पिडित परिवार बल्कि पुरे जिले में आश्चय सहित शंका व्यक्त किय जा रहा है कि आखिर उपरोक्त संबंधि अधिकारियो को किस आधार पर बहाल किया गया ।

इसके अतिरिक्त अन्य कर्मचारी जो शंका की दृष्टि से देखे जा रहे थे उन्हें फिर से उसी बालिका प्रशिक्षण केंद्र में वापस पदस्थ करने से कई प्रकार की शंकाये जन्म ले रही है ।

उक्त घटना के संबंध में सिटी कोतवाली जशपुर के द्वारा अपराध क्र . 227 / 2021 धारा 363 , 342 , 376 ( 2 ) ( एल ) . 366 क 3761 , 450 34 द ० संहिता एवं धारा -3 ( 2 ) ( 5 ) अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम एवं धारा -5 , 6 , 9 , 10 , पोक्सो एक्ट तथा अपराध क्रमांक 228 / 2021 धारा 363 , 354 , क , ख , 457 , 34 एवं 8 एवं 10 पोक्सो एक्ट , एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय जशपुर में प्रस्तुत किया गया है किन्तु उक्त अभियोग पत्र में पुलिस के द्वारा घटना के साक्ष्य छुपाने घटना की सूचना समय पर थाने में नहीं देने तथा पोक्सो अधिनियम के तहत पिडिताओं को उनके परिजनों की अनुपस्थिति में जांच करने तथा शेष पिडिता प्रेमा लकडा एवं प्रिया चौहान के द्वारा अपने बयान में यह बताया गया है कि आरोपिगण के द्वारा उनके साथ गलत काम करने का प्रयास किया गया उसके बावजूद पुलिस के द्वारा उक्त संबंध में धाराएं नहीं लगायी हैं जो एक गम्भीर लापरवाही है ।

उक्त संबंध में ज्ञात हो कि दिव्यांग ( मुक बधिर ) पिडिताओं के द्वारा अपने पालको को कई बाते इसारे से बताई गई है जिसमें उनके द्वारा न केवल उक्त दिनांक को बल्कि उक्त दिनांक के पूर्व भी घटना होने की बात बताई गई है । किन्तु जिला प्रशासन के दबाव के कारण उक्त संस्था में ही पदस्थ द्विभाषीय शिक्षिका अराधना कुजूर के द्वारा जानबुझकर सभी बाते नही बताई गई है जिसके कारण भी संदेह उत्पन्न होता है वास्तव में उसी संस्था में पदस्थ उक्त शिक्षिका से पिडिताओं का कथन लिया जाना उचित नहीं था जो गम्भीर लापरवाही है । जिसके कारण किसी अन्य संस्था में पदस्थ द्विभाषीय शिक्षिका के माध्यम से पिडिताओं का कथन लिया जाना उचित होगा जिससे घटना की वास्तविकता सामने आ सकती है ।

उक्त संस्था उक्त घटना के पश्चात पुनः पुरुष कर्मचारियों को पदस्थ किया गया है जो उचित नही है हमे यह भी ज्ञात हुआ है कि आरोपी राजेश चौहान पूर्व में ही ब्लातकार का जैसे गम्भीर आरोप के प्रकरण में विचाराधिन है उसके बाद भी बालिकाओं के संस्था में केयर टेकर के पद पर कैसे पदस्थ किया गया यह भी जांच का विषय है । महोदय उपरोक्त के अलावा और भी गई गम्भीर बातें उक्त घटना से प्रकाश में आ रही है जिनके संबंध में गम्भीरता पूर्वक जांच किया जाना आवश्यक है किन्तु जिला प्रशासन के द्वारा उक्त संबंध में चूंकि स्वयं उनके कई कर्मचारी एवं अधिकारी जांच की दायरे में आयेगें इसलिए उन्हे बचाने के लिए मामले को समाप्त कर दिया गया है । जशपुरनगर दिनांक 20.12.2021 अतः श्रीमान से निवेदन है कि उक्त संबंध में किसी राष्ट्रीय जांच ऐजेंसी के माध्यम से जांच कर उक्त मामले में दोषी अन्य लोगो के विरुद्ध भी कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए।

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