जशपुर नगर। सरकारी विभागो की मनमानी औंर असंवेदनशीलता कोई नई बात नहीं है लेकिन अब अनियंत्रित नौकर शाही मासूम बच्चों को अपना शिकार बना रही हैं।
इसका ताजा मामला ग्राम पंचायत कनदई बहार के गांव छिरोटोली के शा. प्राथमिक शाला मे देखने को मिला।जब इसी गांव के निवासी और उच्च न्यायालय बिलासपुर में कार्यरत अधिवक्ता दिलमन रति मिंज अपने गांव आये और खाली पड़े स्कूल को देखकर ग्रामीणों से इसका कारण पता किया तो पता चला कि प्राथमिक शाला के सभी 16 बच्चों को अपना विघालय छोड़ कर दूसरे गांव टोंगोटोली जाना पड रहा है क्योंकि विद्यालय के दोनो शिक्षक शराब पीकर शाला आते थे औंर पढाने मे उनकी कोई रुचि नहीं थी।
जिला प्रशासन के इस मनमाने रवैये के खिलाफ बच्चों के पालकों मे बहुत रोष देखने को मिला। कल गुरुवार को इस विषय पर एक बैठक छिरोटोली मे बुलाई गई। ईस बैठक मे ग्रामीणों ने बताया कि वे दोनों शिक्षकों की शिकायत ब्लॉक शिक्षा अघिकारी औंर कलेक्टर दोनों को कर चुके हैं लेकिन उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही दोनों शिक्षकों के व्यवहार मे कोई परिवर्तन आया। मजबूर हो कर पालकों ने अपने बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता देते हुए 2 किलोमीटर दूर हांथी प्रभावित गांव टोगोटोली के प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश कराया हैं जँहा बच्चे जंगल के रास्ते पैदल जान हथेली पर रखकर जाने को मजबूर हैं ।आये दिन इस जंगल मे जंगली हांथी विचरण करते रहते हैं और कभी भी कोई गम्भीर घटना होने की संभावना बनी रहती है। किन्तु छिरो टोली विद्यार्थी विहीन विद्यालय हो जाने पर भी सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। गाँव के पंच उचित भगत ने बताया कि पहले 16 बच्चे पढ़ते थे पर अब एक भी विद्यार्थि नहीं पढ़ता है । एक तरफ तो प्रदेश सरकार स्वामी आत्मानन्द स्कूल के नाम पर देश मे उत्कृष्ट शिक्षा देने का ढिंढोरा पीट रही है वहीं दूसरी तरफ जशपुर जिले का एक स्कूल अपनी अलग ही कहानी बयां कर रहा है ।
*वर्जन-*
‘पालकों के आग्रह पर एक शिक्षक को हटा कर,महिला शिक्षक को पदस्थ किया गया है। दोनों शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए संचनालय को पत्र भेजा गया है।
*सीआर भगत,बीईओ,फरसाबहार*