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*किसी भी देश के विकास में क्यों महत्वपूर्ण है शोध, एनईएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रक्षित ने बताई इसकी वजह, जानिए किस विशेष समय में कहीं ये बातें…*

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जशपुरनगर। शास. एन. ई. एस. महाविद्यालय में शोध लेखन : परियोजना एंड लघु शोध विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन समाज विज्ञान संकाय द्वारा आई. क्यू. ए. सी. के सहयोग से किया गया, महाविद्यालय के प्राचार्य ने शोध परियोजना और डिसर्टेशन के विषय पर महत्वपूर्ण विचारों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने यह बताया कि एक अच्छा और सफल शोध प्रोजेक्ट या डिसर्टेशन चुनने के लिए, स्टूडेंट्स को उनके रुझानों और रुचियों को महत्वाकांक्षी रूप से ध्यान में रखना चाहिए।
साथ ही, स्टूडेंट्स को विभिन्न शोध प्रोजेक्ट और डिसर्टेशन के संदर्भ में मेथोडोलॉजी, साक्षरता, संग्रहण और विश्लेषण के लिए उपयुक्त संसाधनों के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्टूडेंट्स को अच्छे गाइडेंस और सहायक संस्थाओं के प्रस्ताव प्रक्रिया का महत्व बताया।
सेमिनार के संयोजक डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए शोध परियोजना और डिजर्टेशन का महत्व बताया। उन्होंने विद्यार्थियों को साहित्यिक अध्ययन और शोध कौशलों की जरूरत के बारे में जागरूक किया। उन्होंने यह भी बताया कि शोध परियोजना और डिसर्टेशन छात्रों को नए विचारों का संचार करने और उनकी रचनात्मकता को विकसित करने का माध्यम प्रदान करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने उन छात्रों को प्रेरित किया जिन्हें उच्च शिक्षा में अध्ययन जारी रखना है, ताकि वे नए विचारों को अन्वेषित कर सकें और अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।

महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) की संयोजक डॉ. उमा लकड़ा ने सेमिनार के दौरान कहा कि यह प्रोजेक्ट और डिसर्टेशन विषय आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों के उच्च स्तरीय विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इसे छात्रों के विचार के साथ एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया माना और उन्हें इसमें सक्षम बनाने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने यह भी उजागर किया कि विषय का चयन एवं अनुसंधान प्रक्रिया में समय की महत्वपूर्णता को समझना आवश्यक है।

वाणिज्य विभाग के प्राध्यापक ए. आर.बैरागी ने विद्यार्थियों को अध्ययन प्रोजेक्ट और डिसर्टेशन के बारे में महत्वपूर्ण बातें साझा की। उन्होंने कहा कि एक अच्छा परियोजना या डिजर्टेशन विषय चुनना महत्वपूर्ण है, जो विद्यार्थी के रुचि और क्षमताओं के संगत हो। उन्होंने यह भी उजागर किया कि अच्छा अनुसंधान और लेखन शैली की जरूरत होती है ताकि विद्यार्थी अपने अनुसंधान को प्रभावी ढंग से पेश कर सकें। साथ ही, उन्होंने छात्रों को लेखन प्रक्रिया में सही संग्रह, विश्लेषण, और संगठन की महत्वता को भी समझाया।
महाविद्यालय के लाइब्रेरियन श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विद्यार्थियों को रिसर्च प्रोजेक्ट्स और डिसर्टेशन के लिए ई-रिसोर्सेस का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि आजकल इंटरनेट पर अनगिनत स्रोत उपलब्ध हैं जो विद्यार्थियों को उनके अध्ययन और शोध कार्य के लिए मदद कर सकते हैं। ई-रिसोर्सेस का उपयोग करके विद्यार्थी अन्यथा अप्रत्याशित और नवीन जानकारी को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं, जो उनके परियोजनाओं को और भी गहराई देता है। विद्यार्थियों को आत्मसमर्पितता और समय बचाने के लिए ऑनलाइन लाइब्रेरी संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने का प्रोत्साहन भी दिया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ई-रिसोर्सेस विश्वासनीय और मान्यता प्राप्त स्रोतों को होना चाहिए, जो छात्रों को गुणवत्ता और प्रेरणा प्रदान करते हैं। इस सेमिनार ने विद्यार्थियों को नई दिशाएँ देखने के लिए प्रेरित किया और उन्हें उनके शोध कार्य में और भी सफलता के लिए संसाधनों के उपयोग का सही तरीका सिखाया।
वाणिज्य विभाग के प्रो. प्रवीण सतपती ने अपने भाषण में स्पष्टता को महत्वपूर्ण मानते हुए, विद्यार्थियों को उनके प्रोजेक्ट और डिसर्टेशन के लिए एक स्पष्ट रूप और अच्छे निर्देश देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने संशोधित और स्पष्ट मुद्दों का चयन करने, सूक्ष्म शोध करने, और विश्वसनीय संदर्भों का उपयोग करने का महत्व बताया।
आज के इस कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. गौतम सूर्यवंशी जी द्वारा किया गया।
इस सेमिनार में डॉ. जे. पी. कुजूर, विभागाध्यक्ष, भूगोल, श्रीमती सरिता निकुंज, अर्थशास्त्र विभाग, कीर्ति किरण केरकेट्टा, हिन्दी विभाग, डॉ. विनय कुमार तिवारी, मानवशास्त्र, श्री लाईजिन मिंज, अंग्रेजी विभाग, श्री मनोरंजन कुमार, स्पोर्ट ऑफिसर , अतिथि विद्वान के साथ साथ समाज विज्ञान संकाय एवं वाणिज्य संकाय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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