Jashpur
*किताबें कुछ कहना चाहती हैं,तुम्हारे पास रहना चाहती हैं,विश्वरंग पुस्तक यात्रा का जशपुर में हुआ भव्य स्वागत,रिमझिम वर्षा के बीच पदयात्रा कर विधायक और एसपी ने किया उत्साह वर्धन,मंच पर याद किए गए संवेदना समूह से संस्थापक स्व. श्री विश्वबन्धु शर्मा…..*
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2 years agoon
जशपुर नगर। विश्व रंग पुस्तक यात्रा,गुरुवार को जशपुर पहुँची।नई पीढ़ी को पुस्तको के समीप लाने के उद्देश्य से आज़ादी के 75वें अमृतमहोत्सव के अवसर पर, आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटी और डॉ सीव्ही रामन यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव के तहत छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार एवं झारखंड के 11 स्थानों से एक साथ निकली गई है। विधायक विनय भगत और एसपी डी. रवि शंकर ने इस यात्रा का जशपुर पहुँचने पर नगरपालिका कार्यालय के पास इसका स्वागत किया। यहां से जैन स्कूल, कॉलेज रोड होते हुए रैली शासकीय रामभजन राय एनईएस महाविद्यालय पहुंची। विधायक विनय भगत और पुलिस अधीक्षक डी रविशंकर पदयात्रा करते हुए पुस्तक यात्रा रैली में छात्रों की उत्साह बढाया । रिमझिम वर्षा के बीच रैली में बड़े ही उत्साह के सैकड़ो छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन, दीप प्रज्वलन और विद्यालय के छात्रों द्वारा वंदना कर किया गया। विश्वरंग पुस्तक यात्रा के महत्व, उद्देश्य एवं लक्ष्यों पर पर प्रकाश डालते हुए पुस्तक यात्रा के समन्वयक एवं आईसेक्ट के क्षेत्रीय प्रबंधक योगेश मिश्रा ने कहा कि ‘यह भव्य ‘विश्वरंग पुस्तक यात्रा’ 100 जिलों, 200 विकासखण्ड, 500 ग्राम पंचायत से होते हुए लगभग 15 हजार किलोमीटर का फासला तय करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि “किताबें कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं”
फिर किताबों से दूरियां किसलिए? यह सही समय है हमारे और किताबों के बीच की हर रुकावट को हटायें। किताबें ज्ञान देने के साथ-साथ हमारा मन भी बहलाती हैं। व्यवसाय से जोड़कर किताबें हमारा घर संसार भी रोशन करती हैं। सच पूछिए तो किताबें ही हमें पूरा मनुष्य बनाती है।’ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक विनय भगत ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘सीखने की कोई उम्र नहीं और साथ ही ज्ञान को हासिल करने की भी कोई उम्र नहीं। आज हम बिना ज्ञान के कुछ हासिल नहीं कर सकते। चाहे हमारा इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता हो, प्राचीन आदिवासी संस्कृति हो, धार्मिक ग्रन्थ हों, हमारा संविधान हो हर ज्ञान पुस्तकों के माध्यम से ही मिलता है। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाने के प्रयास करने होंगे और इस विरासत को समझने किताबें सशक्त माध्यम हैं। विज्ञान वरदान भी हैं अभिशाप भी है पर यह निर्भर करता है कि हम उसका उपयोग किस तरह से करते हैं। ज्ञानार्जन करने मोबाइल ज़रूरी है पर उसका दुरुपयोग ना हो। हमें अपने माता-पिता, शिक्षकों से मिले ज्ञान का अनुसरण करना चाहिए। भावनाओं में बहने से पहले विचार की आवश्यकता है। ज़माने के साथ चलना ज़रूरी है पर मार्ग नहीं बदलना है। हमें अपने पर्यावरण को भी बचाना है। भाषण के आख़िरी में विधायक ने आदिवासी कर्मा और नागपुरी गीत गा कर कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को मन्त्रमुग्ध कर दिया।’ डी. रवि शंकर ने कहा कि ‘सम्यक रूपेण कृतम इति संस्कृतम्’ प्रकृति में हर चीज़ की लय और ताल होता है। इंसान के पास दो प्रमुख चीजें हैं विचार और भावना। विचार और भावना की अभिव्यक्ति मज़बूत होनी चाहिए। जिस तरह मोती की खोज में गहरे समुद्र में उतरना होता है उसी प्रकार प्रकार अच्छे विचारों की गहराई में उतरने के लिए पुस्तकें जीवन में आवश्यक हैं। छात्र मोबाइल में कम समय गुज़ारें और ज़रूरी वक़्त में कहानी, उपन्यास, जीवनियाँ और कविताएं पढ़ें। किताबें कल्पना को जन्म देती है। आइंस्टीन और एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है ‘एमेजीनेशन इस मोर पॉवरफुल देन नॉलेज’। कल्पनाशील बनने के लिये किताबें पढ़ें। वनमाली सृजन केन्द्र के संयोजक एम. जेडेयु सिद्दीकी ने कहा कि ‘पुस्तकें ना पढ़ने से शब्दों का भंडार कम हो रहा है। ना हम कविता लिख पाते हैं ना गद्य ना पद्य। यदि बड़े साहित्यकारों का हम अध्ययन करें तो हमारा शब्दभंडार बढ़ेगा। आज से 30 साल पहले चन्दामामा, चम्पक, नन्दन, फैंटम, फ्लैश गॉर्डन, जादूगर मेंड्रेक की कॉमिक्स पढा करते थे। उन्होंने उपन्यास मृत्युंजय और ययाति का ज़िक्र किया। साथ ही आने वाले महीनों में वनमाली सृजन केन्द्र के द्वारा युवाओं को कहानी लेखन हेतु दो दिवसीय कार्यशाला रखने की बात कही। वनमाली सृजन केन्द्र के राजेन्द्र प्रेमी ने कविता पाठ करते हुए कहा कि मुखड़ा- घर-घर फहरे तिरंगा… घर-घर फहरे हो आजादी के अमृत महोत्सव हे ना संगी, आजादी के 75 साल गौरवसाली इतिहासे ला मनाये बर संस्कृति मंत्रालय ठाने हे ना, स्वतंत्रता आंदोलन के नायक मनला सच्ची श्रद्धांजलि देहे बर अमृत महोत्सव मनाये हे ना, भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था देस-विदेस मा छाये हे सबले बड़े संविधान अपनाये हे ना. संगी सबले बड़े संविधान अपनाये है ना। वरिष्ठ साहित्यकार अनिल सिंह ने कहा कि इस पुस्तक यात्रा से प्रभावित होकर युवा अध्ययनशील, अपनी रचनाएं लिखने प्रेरित होंगे। रचना पाठ करते हुए कहा वतन पर मर मिटने वालों का अपना अलग ईमान होता है, सर पर कफन और आँखों पर तूफ़ान होता है, हथेली पर निकल पड़ते हैं घर से, उसकी ज़िंदगी का मतलब हिंदुस्तान होता है। शुभा मिश्रा ने किताबें मुस्कुराती हैं, अनिता गुप्ता ने ‘स्वाभिमानी चाहिए’ और शुभम यादव ने स्वरचित कविता का पाठ किया।कार्यक्रम में आये मुख्य अतिथियों और साहित्यकारों,
शिक्षक सम्मान के तहत आनंद एक्का, वीरेन्द्र भगत और सामाजिक संगठनों में संवेदना फाउंडेशन(ब्लड डोनेशन), श्यामादेवी फाउंडेशन(जैविक खेती) को पुस्तक यात्रा के समन्वयक योगेश मिश्रा ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। साथ ही रमन विज्ञान केन्द्र के लिए शासकीय रामभजन राय एनईएस महाविद्यालय को पुस्तकें भेंट स्वरूप प्रदान की गयी। युवा प्रतिभा खोज में प्रथम स्थान आने पर रंगोली, पेंटिंग, निबंध, वाद-विवाद, क्विज़, कविता, गायन और सामूहिक गायन के लिए साधना भगत सिंह एवं साथी, नीलम यादव एवं साथी, हेमराज कंचन कुमारी एवं अभिषेक, अनुष्का तिग्गा, श्रुति डाहिरे, कुमारी गंगोत्री चौहान, नेहा बाई, विषयानुक्रमणिका बाई, शुभम यादव, रीता गुप्ता, गुरदेव प्रसाद, सुरभि यादव, आशना मिंज, तारा तरुण देव, रुद्रप्रताप सोनी, देवेश भगत, यामनाथ कुर्रे, मधुमती पैंकरा, नेहा प्रजापति, विराज मुनि, प्रिंसी तिर्की एवं साथी, स्वर्णमाला एवं साथी, अनन्या गुप्ता एवं साथी को प्रमाण पत्र और उपहार से सम्मानित किया गया। सरस्वती शिशु मंदिर के छात्रों द्वारा आज़ादी के अमृतमहोत्सव को समर्पित गीत की प्रस्तुति दी।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में लक्ष्मीबाई महारानी कन्याशाला की छात्राओं द्वारा नृत्य, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लोखण्डी की छात्राओं ने नृत्य, शासकीय रामभजन राय एनईएस महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा आदिवासी कर्मा नृत्य, वंशिका रजक द्वारा ए मेरे वतन के लोगों गीत की मनमोहक प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम स्थल में में आईसेक्ट पब्लिकेशन की ज्ञान विज्ञान, कौशल, विकास तथा कला किताबों और आज़ादी के नायकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों की जानकारी प्रदान करती पोस्टर प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी। जिसे देखने बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एकत्रित हुए।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु आईसेक्ट के जिला प्रबंधक नवनीत शर्मा, समस्त स्टाफ़, यातायात पुलिस जशपुर एवं पुलिस प्रशासन और आईसेक्ट ब्लॉक प्रबंधक व पुस्तक यात्रा के सह संयोजक अभिषेक तिवारी का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का मंच संचालन वनमाली सृजन केन्द्र के अध्यक्ष मिथलेश पाठक और आभार प्रदर्शन शासकीय रामभजन राय एनईएस महाविद्यालय की प्राचार्या उमा लकड़ा ने किया।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्कूल के शिक्षक, छात्र-छात्राएं, सामाजिक संगठन और साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।