*बहुचर्चित मंडी भूमि मामले में आया एक नया मोड़, नामांतरण के पारित आदेश को छग भूरा . संहिता की धारा 44(1) के तहत खारिज किया गया,बहुचर्चित व प्रदेश के सबसे बड़े जमीन घोटाले के मामले में देर से ही सही लोगों में जगी न्याय की उम्मीद…..*

पत्थलगांव/जशपुर। प्रदीप सिंह। शहर के बहुचर्चित मंडी भूमि मामला अब एक नया मोड़ ले लिया है। शिकायतकर्ता अजय बंसल की शिकायत पर कलेक्टर जशपुर ने अपीलार्थी अजय बंसल द्वारा किए गए अपील प्रकरण में जिला कलेक्टर महादेव कावरे ने प्रकरण में आए तथ्यों के परिपेक्ष में सभी पक्ष का तर्क सुनते हुए अपीलार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्को पर आंशिक रूप से सहमति देते हुए प्रकरण की सुनवाई कर नामांतरण के पारित आदेश को छग भूरा . संहिता की धारा 44(1) के तहत खारिज किया है। जब हमने इस मामले में शिकायतकर्ता अजय बंसल से बात की तो उन्होंने बताया कि इस बहुत चर्चित व प्रदेश के सबसे बड़े जमीन घोटाले के मामले में देर से ही सही धीरे-धीरे उनके पक्ष में न्याय मिलना शुरू हो गया है ।

वही जैसे ही शहर में इस जमीन के नामांतरण आदेश खारिज होने की खबर फैली जमीन के क्रेताओं में हलचल से मच गया है फिलहाल कोई भी इस मामले में कुछ भी बोलने से कतराता नजर आ रहा है जमीन क्रेताओं के मध्य भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति देखी जा सकती है शिकायतकर्ता अजय बंसल ने बताया कि उनके द्वारा कलेक्टर जशपुर के समक्ष शिकायत पेश की थी जिसमे मैंने लिखा था कि वर्ष 1956 में कलेक्टर रायगढ़ के रा.प्र.क्रमांक 01 / अ -30 / 1954-55 में दिनांक 30.09.1956 को पत्थलगांव स्थित नजूल प्लाट नंबर 43/2 रकबा 10 डिसमिल का पट्टा घीसू राम बनवारी लाल निवासी धरमजयगढ़ जिला रायगढ़ के नाम पर निवास हेतु जारी किया गया था,कालांतर में बनवारीलाल के द्वारा उक्त पट्टे में कांटछांट व कूटरचना कर प्लांट नंबर 43/2 के स्थान पर अन्य खसरा नंबर चढ़ाकर फर्जी तरीके से 12.14 एकड़ कर लिया,पट्टे की जांच के संबंध में तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी ( रा 0) . पत्थलगांव के द्वारा जांच प्रतिवेदन दिया गया जिसमें अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने उपरोक्त पट्टे को फर्जी व कूटरचित पाया उक्त आधार पर बनवारीलाल,गोविंदराम व अन्य को दिनांक 06.09.2000 को कलेक्टर जशपुर ने नोटिस जारी किया गया था,उक्त नोटिस के विरूद्ध गोविन्दराम अग्रवाल एवं अन्य के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका 5990/2000 प्रस्तुत की गई थी।

पर्याप्त अवसर के बाद भी दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किये जाने पर उच्च न्यायालय के द्वारा दिनांक 19.06.2016 को उक्त याचिका खारिज किया गया जिसके विरूद्ध कोई अपील प्रस्तुत नहीं की गई,अर्थात गोविंदराम व अन्य को सन 2000 में जारी नोटिस रीट खारिज होने के पश्चात न्यायालय कलेक्टर में प्रचलनशील हो गया,उसी अवधि में पट्टे का नवीनीकरण भी कर दिया गया जबकि उक्त पट्टा आवासीय था जिसे व्यावसायिक कर दिया गया उन्होंने बताया कि वादभूमि पर होलिका दहन,मीना बाजार,रावण दहन, किसान का धान खरीदी केंद्र टमाटर सब्जी मंडी जैसे कई सार्वजनिक कार्यक्रम व सार्वजनिक उपयोग के कार्य कई वर्षों से संपन्न होते रहे हैं जिसमें तहसील कार्यालय भी स्थापित था।

ऐसी स्थिति में फर्जी पट्टे को लोकहित में जांच कर पट्टा निरस्त किया जाना उचित होगा,इस कूटरचित पट्टा के संबंध में थाना पत्थलगांव में अपराध क्रमांक 184/2016 , धारा 420 , 467 , 468 एवं 471 तथा 120 – बी भारतीय दण्ड संहिता का अपराध भी पंजीबद्ध हुआ था। वर्तमान में उपरोक्त जनहित की भूमि में अवैध प्लाटिंग,निर्माण के साथ अवैध विक्रय किया गया है जिसमे स्थानीय स्तर पर अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नही की जिसके बाद अब कलेक्टर जशपुर ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए इस मामले में जारी नामांतरण आदेश को खारिज कर दिया है अब देखना होगा कि दशकों से चले आ रहा यह मंडी भूमि मामला किस कदर रुख बदलता है।

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