Jashpur
*आखिर किसकी उम्मीदवारी की चर्चा मात्र से वर्तमान विधायक के हाँथ पांव फूलते हैं…….क्या 2023 में अपना गढ़ बचा पाने में सफल होगी भाजपा ? पढ़िए चुनावी चर्चा ,जशपुर विधानसभा की*
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2 years agoon
जशपुरनगर। जशपुर विधान सभा कभी भाजपा का गढ़ माना जाता था ,और इस सीट के बारे में चर्चा होती थी तो कहा जाता था कि इस सीट पर भाजपा किसी को भी खड़ा कर दे तो उसकी जीत सुनिश्चित होती थी ।किन्तु वर्ष 2018 में यह मिथक टूट चुका है और प्रदेश की बयार भाजपा के गढ़ को भी उड़ा ले जा चुकी है ।और सारे मिथकों को तोड़ते हुए हुए जशपुर विधानसभा कांग्रेस के हाँथ में जा चुकी है । यूं तो चुनाव आने में अभी एक वर्ष का समय शेष है किंतु चुनाव की सुगबुगाहट प्रदेश में शुरू हो चुकी है कुछ राजनीतिक पण्डित जहां 14 नवम्बर की जशपुर में मोहन भागवत की सभा मे उमड़ी भीड़ को ही चुनावी आगाज मान रहे हैं तो कुछ कोरबा में भाजपा के कर्णधार अमित शाह की दहाड़ से चुनावी शुरुआत मान रहे हैं बहरहाल जो भी हो हम बात जशपुर विधानसभा की कर रहे हैं। आखिर क्या कारण था कि कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला जशपुर सीट लगातार भाजपा की झोली में जाता रहा था ,हालाकिं परिसीमन के बाद जशपुर जिले की झोली से एक सीट कब ? कहाँ ? खो गया इसका किसी को पता भी नहीं चला और न ही कभी जशपुर के राजनीतिक हुक्ममरान कभी इस विषय पर ऊँह तक नहीं किए।
और इसी कारण से सम्भवतः जिले का सबसे बड़ा विधानसभा जशपुर बन गया जिसकी सीमा एक तरफ शंख नदी से लेकर सरगुजा की सीमा दुर्गापारा तक लगभग 150 किमी तक पहुँच चुकी है।और इसी कारण इस सीट पर उम्मीदवारी करने वाले कि छाती इतनी मजबूत होनी चाहिए कि उसे इतनी लंबी दूरी तय करने में उसकी छाती न फुले। राजनितिक धुरंधर भले यह कहते हों कि जशपुर विधानसभा भाजपा के हाँथ से भाजपा के मतदाताओं के द्वारा थाली में परोसकर कांग्रेस को दिया है ,लेकिन इन चार वर्षों में जितनी तेजी से कांग्रेस विधायक विनय भगत भाजपा के वोट बैंक पर सेंधमारी कर रहे हैं उससे भाजपा के दिग्गजों के माथे पर पसीना आना लाज़मीं है।जिस प्रकार से आरक्षित सीटों पर लोगों की राजनीतिक महत्वकांछा बढ़ी है उससे जशपुर अछूता नहीं है और यहां हर वह व्यक्ति जो अनुसूचित जनजाति का है और थोड़ी बहुत पहुँच किसी संगठन में है वह अपने को भाजपा का उम्मीदवार मानकर चल रहा है और यदि ऐसे लोगों की सूची देखी जाए तो यह सैकड़ा पार कर चुकी है ।किंतु वर्तमान विधायक की माने तो वे भाजपा की स्वघोषित सूची को आड़े हाँथ लेते हैं और पाठ क्षेत्रों में तो भाजपा के मतदाताओं ने अपने वोट वर्तमान विधायक को सुपुर्द करने की घोषणा तक कर रहे हैं किन्तु इसके साथ ही यह भी चर्चा आम है कि यदि भाजपा ने जशपुर विधानसभा से पूर्व मंत्री गणेश राम भगत को अपना उम्मीदवार बनाया तो वे चाहकर भी कांग्रेस विधायक को अपना वोट नहीं देंगे और उनका समर्थन गणेश राम भगत को ही मिलेगा और अपने मतदाताओं की इस घोषणा मात्र से ही कांग्रेस विधायक के हाँथ पांव फूलने लगते हैं।बहरहाल जो भी हो इस सम्बंध में आने वाला समय ही बताएगा ।चूंकि चुनावी चर्चा आम हो चुकी है तो ऐसी कई बातें सामने आती रहेंगी बने रहिए हमारे साथ हम समय समय पर मतदाताओं के मन की बात से आपको रूबरू करवाते रहेंगे।