जशपुरनगर:-90 दशक की मशहूर फ़िल्म दिलवाले में हीरो का किरदार निभाने वाले अजय देवगन का डायलॉग “हमें तो अपनो ने लूटा गैरो में कहाँ दम था ,मेरी कश्ती वहां लूटी जहां पानी कम था” दरअसल यह वाक्य जशपुर में पिछले चुनाव से चल रहा है लेकिन इस बात पर कोई संज्ञान लेने वाला नहीं है ।हम बात कर रहे है जशपुर की राजनीति की जहां का चुनाव धार्मिक धुर्वीकरण से होता रहा है लेकिन वर्ष 2018 के चुनाव में यह परिपाटी बदल गई और लंबे समय के बाद जशपुर की सीट कांग्रेस के हांथो में चली गई इसका कारण धार्मिक धुर्वीकरण नहीं था बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी जिसके कारण कांग्रेस ने आसानी से जशपुर की सीट पर कब्जा कर लिया ,और विश्व की सबसे बड़ी अनुशासित पार्टी हाँथ पर हाँथ धरी रह गई।यह बात तो आई गई हो गई लेकिन आज भी जशपुर के नैय्या डोलती ही नजर आ रही है ।बीते रविवार 19 फरवरी को जशपुर में उरांव एकता महासम्मेलन का आयोजन जूदेव फार्म बाकी टोली में सम्पन्न हुआ ।जिसमें प्रमुख रूप से कार्तिक उरांव की पुत्री एवम कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव उपस्थित थी।जिसमे बोलते हुए उन्होंने कई ऐसी बाते कहीं जिसकी उम्मीद लोगों को नहीं थी ,उन्होंने सीधे सीधे कहा कि आदिवासी हिन्दू नहीं है हमें अलग धर्म कोर्ड चहिए,साथ ही उन्होंने कहा कि डिलिस्टिंग की मांग उचित नहीं है यह एक राजनीतिक आंदोलन है।अगर कांग्रेस नेता यह बात कहती तो बात इतनी गम्भीर नहीं थी मामले की गम्भीरता यह है कि अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच की इस मांग का समर्थन भाजपा भी करती नजर आ रही है और इसके मुखिया गणेश राम भगत स्वयं भाजपा के दिगज्ज नेता हैं बावजूद इसके उरांव एकता महासम्मेलन में दर्जन भर भाजपा के ऐसे नेताओं ने भी सम्बोधित करते हुए कांग्रेस नेत्री की इस मांग का समर्थन कर दिया कि हमें किसी भी धर्म से परहेज नही है और डिलिस्टिंग कि मांग उचित नहीं है यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है।यह बात इसलिए भी गम्भीर कही जा सकती है कि यह आयोजन कहीं और नहीं बल्कि भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के पैलेस के सामने स्थित उनकी निजी भूमि जूदेव फॉर्म में कही गई ।
खैर जो भी हो लेकिन 2023 के चुनाव का आगाज हो चुका है और 14 नवम्बर को ही आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने जशपुर आकर इसका बिगुल भी फूंक दिया है लेकिन उसके मात्र तीन माह के अंदर भाजपा के नेताओ के सुर बदलने लगे है वह भी ऐसे नेता जो अपने आप को अगले चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं तब भाजपा के लिए और भी गम्भीर मामला कहा जा सकता है ।
बहरहाल चुनाव का आगाज हो चुका है अभी कई शिकारी आएंगे जाल फैलाएंगे मतदाताओं को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करेंगे ।