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*Breking jashpur:-जलाशयों के गुनहगार”…पूर्वजों ने जनहित में खुदवाए थे तालाब अब महंगी होती जमीन के मोह में जलाशय में बिल्डिंग मटेरियल डालकर पाटने की चल रही है..साजिश…!*

 

जशपुरनगर:- यूँ तो देश में जलाशयों को पाटकर उनकी जमीन पर बिल्डिंग बनाने का षड्यंत्र चल रहा है और इस साजिश से जशपुर शहर भी अछूता नहीं है ।यदि जशपुर के राजस्व रिकार्डों का अध्ययन किया जाए तो कभी जशपुर में सैकड़ो तालाब खुदवाए गए थे ,इसके पीछे उद्देश्य सिर्फ आर्थिक लाभ प्राप्त करना नहीं था बल्कि जशपुर शहर के भौगोलिक स्तर को देखते हुए यहां के नागरिकों के जल संरक्षण करना भी था ।पिछले कुछ वर्ष पूर्व जल आयोग के द्वारा जो सर्वे रिपोर्ट दिया गया था उसमें जशपुर को जल संरक्षण के क्षेत्र में *रेड जोन* में रखा गया है इसका सीधा कारण जशपुर की समुद्र तल से ऊँचाई है।जिसके कारण जशपुर का वाटर लेबल काफी नीचे है ।उक्त रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया था कि यदि जशपुर शहर को भविष्य में भीषण जल संकट से बचना है तो यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कड़ाई से पालन करना होगा साथ ही यहां के नदी ,तालाब और कुँवों का संरक्षण एवम संवर्धन करना होगा ।
लेकिन इससे इतर हालत कुछ अलग ही हैं जिस शहर में जल संरक्षण की अत्यधिक आवश्यकता है वहीं शहर के बीच स्थित तालाबो को उपेक्षित रखा गया है जहां जशपुर की जीवन रेखा ऐतिहासिक तीन तालाब क्रमशः सिंघाड़ा तालाब, देवुल बंध, डोंगी बंध उपेक्षित हैं वहीं विवेकानन्द कालोनी में मुख्य मार्ग पर स्थित तालाब को किसी व्यक्ति के द्वारा पहले तो उसके मेढ़ काटकर तालाब के जल को सुखा दिया गया और अब तालाब में बिल्डिंग मटेरियल डालकर उसे पाटने की कोशिश की जा रही है और नगरपालिका और जिला प्रशासन हाँथ पर हाँथ धरे बैठा है।

*मामले को लेकर नगरपालिका के प्रभारी सीएमओ सुशील कुमार शेन से इस विषय में ग्राउंडजीरो ई न्यूज ने चर्चा किया तो उन्होंने बताया कि वाकई यह दुर्भाग्यपूर्ण है.लोगों को इसके संरक्षण और संवर्धन के लिये आगे आना चाहिये.उन्होंने कहा कि वे वर्तमान में दरबारी टोली से बाजार डांड जाने वाले मार्ग स्थित तालाब में हो रहे अतिक्रमण को खुद जाकर रोक लगाएं है.उन्होंने कहा कि इसके सौन्दर्यकरण के लिये कलेक्टर को प्रस्ताव प्रेषित कर रहे हैं।इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि अब जितने भी शासकीय जमीनों में तालाब या अन्य सरोवर बने हैं. उन सभी का आंकलन कर उनकी सौन्दर्यता की पहल की जायेगी. जिससे अतिक्रमणकारियों पर रोक लगाया जा सके।*

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