Jashpur
*शोध से छात्र नये विचारों को खोज सकते हैं – डॉ. रक्षित, दो दिवसीय सेमिनार में छात्रों और प्राध्यापकों ने किए अपने अनुभव साझा..*
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9 months agoon
जशपुरनगर। यहां के एनईएस पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजय रक्षित ने कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में परियोजना और लघु शोध विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि परियोजनाओं का महत्व और उनका सही निर्माण कैसे किया जाए, इस पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने छात्रों को उनके परियोजना से संबंधित अनुभव साझा करने का प्रेरणा दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि लघु शोध की महत्वता क्यों है। इसके माध्यम से छात्र नई विचारों को खोज सकते हैं, समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं, और नई विकल्पों का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा, छात्रों को अपनी शोध प्रणाली में नैतिकता को भी समाहित करना चाहिए।
उन्होंने शिक्षकों से भी अपील की कि वे छात्रों को इस प्रकार के शोध प्रोजेक्ट्स के लिए प्रोत्साहित करें, और उन्हें उनके अनुभवों को साझा करने का मौका दें। उन्होंने सेमिनार के समापन में सभी को यह समझाया कि परियोजना और लघु शोध छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें नए और नवीनतम विचारों का सामना करने का अवसर प्रदान करते है।
डॉ. जे पी कुजूर, प्राध्यापक, भूगोल ने सेमिनार के दौरान परियोजना और लघु शोध के महत्व को बड़े गहराई से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि ये शोध आपके विषयक्षेत्र में नई रोशनी डाल सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को परियोजना और लघु शोध में उनकी सक्षमता को विकसित करने की जरूरत को भी बताया।
उन्होंने अपने भाषण में लघु शोध की महत्ता पर जोर दिया और बताया कि यह कैसे बैज्ञानिक अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के शोध का महत्त्व न केवल विद्यार्थियों के लिए होता है, बल्कि समाज के लिए भी।
उन्होंने अपने उपयोगी सुझावों के माध्यम से छात्रों को संबोधित किया और उन्हें यह समझाया कि छोटे-छोटे शोध प्रोजेक्ट्स कैसे बड़े नए विचारों को उत्पन्न कर सकते हैं।
सरिता निकुंज, प्राध्यापक, अर्थशास्त्र ने सेमिनार में रिसर्च इथिक्स और सोशल आउटरीच के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि एक शोध परियोजना में नैतिकता का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके अध्ययन का विषय और उनके प्रयोग के माध्यम से किया जाने वाला प्रभाव सामाजिक न्याय के अनुरूप हो। सोशल आउटरीच के माध्यम से, वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका शोध सामाजिक समस्याओं को समझने और समाधान करने में सहायक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक शोध परियोजना को सम्पादित करते समय न्यायिकता, सत्यनिष्ठा, और संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन से सभी को आकर्षित किया और उन्हें समाज में शोध की भूमिका के महत्व पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
लाईजिन मिंज, प्राध्यापक, अंग्रेजी जिन्हें शिक्षा और शोध में गहरा ज्ञान है, ने दो दिवसीय सेमिनार में शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख विषयों पर चर्चा की। उन्होंने उच्च शिक्षा में शोध की महत्ता पर विशेष जोर दिया और बताया कि शोध एक परियोजना की तरह है, जिसमें प्रवृत्ति, निर्माण, और परिणामों की योजना होती है।
उन्होंने कहा कि लघु शोध भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह छोटे प्रोजेक्ट्स के रूप में विद्यार्थियों को विभिन्न शोध विषयों पर अध्ययन करने का अवसर देता है।
श्री लाईजिन ने सभी विद्यार्थियों को संगठित और सुचारू ढंग से प्रोजेक्ट फंडिंग के लिए निर्देशित करने के लिए कई विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने शोध के प्रारंभिक चरण से लेकर अंतिम प्रस्तुतियों तक के लिए उपयुक्त धन के स्रोतों की पहचान की और इसे उन्हें स्थायी वित्तीय स्थिति तक ले जाने के लिए उन्हें सलाह दी।
IQAC संयोजक, डॉ. उमा लकड़ा ने कहा कि परियोजना और लघु शोध विषय पर दो दिवसीय हमें नई सोच और नए दिशानिर्देशों के साथ संवाद करने का अवसर प्रदान करेगा, जो हमारे शिक्षा प्रणाली को मजबूत और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।
इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य परियोजना और लघु शोध की महत्वपूर्णता को समझना और इसके प्रयोग में समृद्धि को बढ़ावा देना। हम सभी को यहां मिलकर एक-दूसरे के विचारों को सुनने और सीखने का मौका मिलेगा।
इस सेमिनार में हम नवाचारों, अध्ययनों, और अनुभवों को साझा करेंगे।
मैं आशा करती हूँ कि यह सेमिनार हमें समृद्धि और सफलता की दिशा में आगे बढ़ाएगा।
सेमिनार के संयोजक डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव, प्राध्यापक, राजनीतिशास्त्र ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि शोध लेखन का महत्व आज के समय में अत्यधिक है। उन्होंने इस आयोजन को विशेष रूप से छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए आयोजित किया था ताकि उन्हें अपने विचारों को साझा करने और अपने क्षेत्र में नई और नवाचारी विचारों को प्रोत्साहित करने का मौका मिल सके।
संयोजक ने यह भी कहा कि लघु शोध का महत्व आज के समय में बढ़ रहा है। उन्होंने यहां तक कहा कि छात्रों को लघु शोध का महत्व समझाने के लिए और उन्हें इसके लाभ समझाने के लिए विशेष व्याख्यान भी आयोजित किए जाएं।
संयोजक ने समापन समारोह में सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया और उन्हें शोध लेखन की ओर एक सकारात्मक कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस सेमिनार ने शोध लेखन के क्षेत्र में नई ऊर्जा को जगाया और छात्रों को इस क्षेत्र में अधिक उत्साहित किया।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. गौतम सूर्यवंशी जी, इतिहास विभाग द्वारा किया गया।
दो दिवसीय सेमिनार के आयोजन की समस्त तकनीकी व्यवस्था श्री नितेश गुप्ता जी , कंप्यूटर विभाग द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में कार्यक्रम के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, लाइब्रेरियन, कु. रिजवाना खातून, प्राध्यापक, अंग्रेजी के साथ साथ महाविद्यालय के ए. आर. बैरागी, कीर्ति किरण केरकेट्टा, वरुण श्रीवास, प्रवीण सतपती, मनोरंजन कुमार, डॉ. विनय कुमार तिवारी , अतिथि शिक्षक एवं समाज विज्ञान एवं वाणिज्य विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
सेमिनार के अंत में प्राचार्य द्वारा सभी रेसॉर्स पर्सन को सम्मानित किया गया।
साथ ही इतिहास विभाग की अतिथि शिक्षक कुमारी सुलोचना को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
आखिरी में प्रजातंत्र की मजबूती मतदाता जागरूकता हेतु स्वीप कार्यक्रम के तहत शपथ दिलाई गई, जिसमे प्राचार्य के अलावा समस्त प्राध्यापक, कार्यालयीन स्टाफ के अतिरिक्त छात्र छात्राये उपस्थित रहे।