Jashpur
*आयोजन : सामरबार में शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञापुत्रों की टोली ने बहाई ज्ञान की गंगा,पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ में 21 श्रद्धालुओं ने ली गुरुदीक्षा,आधा दर्जन जोड़ों का हुआ आदर्श विवाह,ग्रामीणों ने दिया आशीर्वाद।दीप महायज्ञ के साथ पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ का हुआ समापन।*
Published
7 months agoon
जशपुरनगर 25 मई 2024/
बगीचा के सामरबार में आयोजित पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ के अंतिम दिवस दीप महायज्ञ के माध्यम से यज्ञ भगवान को श्रद्धालुओं ने आहुति प्रदान की।दीपयज्ञ में जगमग दीपों से यज्ञशाला जगमगा उठी।इस अवसर पर सनातन संत समाज प्रमुख बभरुवाहन सिंह ने भी श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दिया।उक्त यज्ञीय आयोजन में आधा दर्जन जोड़ों का विवाह संस्कार भी सम्पन्न कराया गया।
उल्लेखनीय है कि अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में आयोजित उक्त पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ के तृतीय दिवस यज्ञ के दौरान शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे पुरोहितों ने प्रज्ञा पुराण कथा में भारतीय संस्कृति के संस्कार परंपरा का वर्णन किया।जिसमें उन्होंने बताया कि मनुष्य के जन्म से मरण तक भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों का नियम बना हुआ है।भौतिकता की चकाचौंध में हम सब भूलकर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं।आचार्य विमल ने बताया कि परम पूज्य पंडित श्री राम शर्मा आचार्य ने संस्कार परंपरा को पुनः जागृत करते हुए गायत्री महायज्ञों में निःशुल्क संस्कार कराने का बीड़ा उठाया और आज हर गायत्री परिवार के कार्यक्रमों में सभी संस्कार निःशुल्क कराए जाते हैं।पुरोहितों ने बताया कि जब हमारे जीवन में अंधकार छा जाता है कोई मार्ग नहीं सूझता तो गुरु ही हमें प्रकाश की ओर ले जाते हैं अतः जीवन में गुरु का वरण अत्यंत जरुरी है।गुरु की श्रेष्ठता बताते हुए उन्होंने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने 24 वर्षों तक जौ की रोटी और छांछ पीकर गायत्री का चौबीस महापुरश्चरण किया।जिसके कारण आज अखिल विश्व गायत्री परिवार मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण जैसे लक्ष्यों के साथ व्यक्ति के विचारों को परिवर्तित कर उन्हें महानता की ओर ले जा रहा है।
*पांच कुंडीय यज्ञ में 21 लोगों ने कराया दीक्षा संस्कार*
सामरबार में आयोजित गायत्री परिवार के यज्ञीय कार्यक्रम से प्रेरित होकर इक्कीस लोगों ने गुरुदीक्षा ली।वहीं लगभग 25 बच्चों का विद्यारंभ व एक नामकरण संस्कार कराया गया।उक्त कार्यक्रम में छः जोड़ों का विवाह संस्कार भी सम्पन्न कराया गया।विवाह संस्कार के दौरान वर वधु पक्ष के परिजनों के साथ श्रद्धालुओं ने भी नव दंपत्ति को आशीर्वाद प्रदान किया।गायत्री परिवार द्वारा कराए गए विवाह संस्कार की सादगी देखकर ग्रामीण बेहद खुश नज़र आए।खर्चीली शादियों में दोनों पक्षों पर अनावश्यक व्यय का भार आता है जो कर्ज के रुप में परिणित होकर जीवन भर कष्ट देता है ऐसे में गायत्री परिवार द्वारा कराए जा रहे विवाह संस्कार को आदर्श रुप में ग्रामीण बेहद पसंद कर रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्ष सुमित्रा गुप्ता,संयोजक कविता गुप्ता,उमेश गुप्ता,वरिष्ठ परिजन भूपेंद्र थवाईत,ब्लॉक समन्वयक हरिशंकर यादव,कोषाध्यक्ष रमेश गुप्ता ने कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस समापन के दौरान शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञापुत्रों को तिलक लगाकर मंत्र चादर, श्रीफल भेंटकर भावभीनी विदाई दी।उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में चंद्रावती पैंकरा, अमृता,प्रेमवती समेत गायत्री प्रज्ञापीठ बगीचा,बतौली एवं सरडीह , दुर्गापारा,मैनी व आसपास के गायत्री परिजन व ग्रामीणों ने विशेष सहयोग प्रदान किया।