Jashpur
*किशोरावस्था के दौरान सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक स्तर में भी कई परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों को समझना जरूरी, किशोरावस्था के दौरान लड़कियों में अचानक खून की कमी आने लगती है और उनमें चिड़चिड़ापन लगने लगता, ये चिकित्सक स्कूलों में जाकर छात्रा छात्राओं को दे रहे हैं स्वस्थ जीवन की जानकारी, स्वास्थ्य के प्रति किया जा रहा है जागरुक……*
Published
3 years agoon
By
Rakesh Gupta
मनोरा/जशपुर। वाहिद खान। मनोरा विकास खण्ड में मानसिक स्वास्थ्य व किशोरावस्था में आने वाले बदलाव को लेकर जागरूकता स्वास्थ शिविर का आयोजन डॉक्टर उमेश बलानी के द्वारा किया जा रहा है। अनूठी पहल पहल हर महीने स्कूल व गांव में जाकर की जा रही है। शासकीय हाई स्कूल आस्ता में गुरुवार को छात्रा छात्राओं के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया था। आयोजन में खास तौर पर किशोर अवस्था में बालक – बालिकाओं में होने वाले परिवर्तन और बीमारियों से सम्बंधित विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आज़ादी का अमृत महोत्सव अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में आयुष विभाग के होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी डॉ. उमेश बलानी ने किशोरावस्था और स्वास्थ्य विषय पर स्कूली बच्चों की समस्याओं पर विशेष चर्चा की। डॉ.उमेश बलानी ने शाला के सभी किशोर और किशोरियों को अलग-अलग उनके शरीर मे होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी दी गई। किशोरावस्था में शरीर का खयाल कैसे रखना हैं, बताया गया।
इस कार्यक्रम में किशोरावस्था के दौरान छात्राओं के मन-मस्तिष्क विचारों में आने वाले परिवर्तनों के बारे में बताया गया। चिकित्सा अधिकारी डॉ. उमेश बलानी ने कहा कि बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था के दौरान सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक स्तर में भी कई परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों को समझना जरूरी है। उन्होंने बालिकाओं में हार्मोन्स में परिवर्तन होने के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर डॉ. उमेश ने कहा कि किशोरावस्था में शरीर में होने वाले बदलाव जहां शारीरिक रूप से व्यक्ति को बीमार बनाते हैं, वहीं यह बदलाव मानसिक रूप से भी उन्हें परेशान करते हैं। उन्होंने बताया कि किशोरावस्था के दौरान लड़कियों में अचानक खून की कमी आने लगती है और उनमें चिड़चिड़ापन लगने लगता है। लड़कियों को इस उम्र में अपने खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
*औरतों में माहवारी एक बुनियादी अमल है. यही क़ुदरती अमल उसे समाज में औरत का दर्जा दिलाता है. कहना ग़लत नहीं होगा कि इंसानी कायनात का दारोमदार इसी पर टिका है…..*
डॉ. उमेश ने बच्चों को जानकारी दी कि पीरियड्स एक ऐसा सब्जेक्ट बना हुआ है, जिस पर आज भी ग्रामीण अंचल के लोग खुलकर बात करने से कतराते हैं। जागरूकता की कमी के चलते महिलाओं एवं लड़कियों को इन्फेक्शन के अलावा कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। आज भी ग्रामीण अंचल के लड़की और महिला ज्यादा तर कपड़े का इस्तेमाल करते हैं। और वही कपड़े को बिना सफ़ाई किये ही उसको इस्तेमाल कर लेते है,और वही कपड़ों से गंभीर बीमारी उत्पन्न होती हैं। इसी विषय पर जब आपको पहली बार पीरियड्स आते हैं तो नियमित आकार के नैपकिन (पैड) या टैम्पन का उपयोग करें। यदि नियमित आकार का पैड मासिक धर्म रक्त से बहुत जल्दी भरने लगता है, तो एक लंबे आकार वाले पैड का उपयोग करें। और अगर कपड़े का उपयोग करें तो रोजाना कपड़े चेंज करें।
पीरियड्स के दौरान अधिकांश लड़कियों का आमतौर पर 4 से 12 चम्मच रक्त प्रवाहित होता है, जो वास्तव में बहुत ज़्यादा नहीं होता है। आप अपने पैड को प्रत्येक 4 घंटों में बदल सकते हैं। हालांकि पीरियड्स की शुरूआत में आपको अधिक भारी रक्तस्राव हो सकता है और आपको प्रत्येक 2 से 3 घंटे हो सकता है।
*शरीर के बदलाव के बारे में दी गई जानकारी*
डॉ. ने बच्चों को बताया की मन में कई सवाल पनपने लगते हैं। क्यों,कब, कहां, ऐसे प्रश्न इसी उम्र में जन्मते हैं। आजादी पर थोडा भी प्रतिबंध उन्हें बाधक लगता है। वे स्कूल के नियमों और माता-पिता के आदेशों को चुनौती देने लगते हैं। अपने ढंग से चीजों को सही-गलत और अच्छा-बुरा समझने की बुद्धि आ जाती है। यह सामान्य-सहज प्रक्रिया है।
दोस्तों के साथ घंटों समय बिताने, फोन करने और माता-पिता से कुछ छिपा लेने की मानसिकता भी इसी उम्र की देन है।
यह सब किशोरों को चिंता का कारण बनाता है। इस तथ्य के बावजूद कि किशोरावस्था सभी क्षेत्रों में विकास की अवधि है, भावनात्मक रूप से वह अस्थिर, जल्दबाज, और कभी-कभी लापरवाह होने की छोटी-छोटी बातों को भुगतना पड़ता हैं।
जब लड़को में तेजी से शारीरिक में परिवर्तन और तेजी से बढ़ती मानसिक क्षमता और सेक्स और कुछ अन्य हार्मोन की अधिकता के कारण, भावनाओं के प्रवाह और फटने पर संयम बहुत मुश्किल हो जाता है। किशोर को बहुत आसानी से क्रोधित हो जाता है; शारीरिक परिवर्तनों के कारण विशेष रूप से मासिक धर्म या स्खलन के कारण घबराहट बढ़ती है। अब, लड़का या लड़की संज्ञानात्मक रूप से बहुत विकसित है वह अपनी स्थितियों को बेहतर ढंग से समझ सकता है, आगे की समस्याओं के प्रति अधिक सचेत है, और अपने करियर के बारे में भी सोचने के लिए पर्याप्त परिपक्व है।