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*भगवान बिरसा मुंडा जनजातियों के धार्मिक व्यवस्था, संस्कृति, परंपरा, अस्तित्व एवं अस्मिता रक्षा के प्रतीक, जनजातियों की अस्मिता और अस्तित्व का प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा, गौरव दिवस के रूप में मनेगी उनकी जयंती: प्रबल, बिरसामुंडा चौक पर शोभायात्रा के बाद वनवासी कल्याण आश्रम के स्मारक भवन में होगी सभा….*
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3 years agoon
जशपुरनगर। भगवान बिरसा मुंडा ने अपने 25 वर्ष के जीवन काल में ही जमींदारी प्रथा, राजस्व व्यवस्था इंडियर फारेस्ट एक्ट 1982 और धर्मांतरण के खिलाफ अंग्रेजों एवं ईसाई पादरियों से संघर्ष किया। भगवान बिरसा मुंडा जनजातियों के धार्मिक व्यवस्था, संस्कृति, परंपरा, अस्तित्व एवं अस्मिता रक्षा के प्रतीक हैं। ये संपूर्ण जनजाति समाज के गौरव हैं। इसलिए इनकी जयंती अब हर साल जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनेगी। भाजपा के प्रदेशमंत्री प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए सभी को शुभकामनाएं और प्रधानमंत्री जी का आभार।
उन्होंने बताया कि 15 नवंबर को जशपुर में जनजाति गौरव दिवस बड़े हर्षाेलास के साथ मनाया जाएगा। बिरसा मुंडा पहले जनजाति क्रांति कारी रहे हैं जो गुलामी के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की। उन्होंने छोटे से गांव से अंग्रेज़ो के विरुद्ध संघर्ष आरंम्भ कर दिया। गांधी जी के पूर्व ही एक प्रकार से असहयोग आंदोलन का प्रारंभ इन्ही के द्वारा किया गया था। ऐसा भी सुना गया है कि जब बिरसा को जेल में डाल दिया गया तो खाने के लिए गौ मांस दिया जाता था। जेल के अंदर भी उन्होंने विद्रोह कर दिया। धर्मांतरण का तो विरोध वो कर ही रहे थे। इन परिस्थियों में उस वक्त बिरसा को चाहने वालो की संख्या बढ़ती चली गयी और आंदोलन बढ़ता ही जा रहा था। इससे अंग्रेज़ भयभीत हो गए और ये माना जाता है कि जेल के अंदर ही इस तरुण बिरसा को ज़हर देकर मार दिया गया। अंग्रेज़ आज़ादी के इस दीवाने को तो अपनी कूटनीति से शांत कर दिए थे लेकिन इनकी प्रेरणा से लाखों जनजाति समाज अपने अस्मिता की रक्षा के लिये आगे आते ही रहे। जब तक मां भारती को गुलामी की जंजीरो से मुक्त नही करा लिया गया। आज भी जनजाति समाज अपनी संस्कृति, परंपरा, रीति रिवाज आज़ादी के इस महान नायक से प्रेरणा लेकर सुरक्षित रखा हैं। लेकिन अंग्रजो के दलाल आज भी इनकी संस्कृति को नष्ट कर मतान्तरण कराते हुए व्यक्ति का राष्ट्रान्तरण करने का प्रयास लगातार कर रहे हैं। किंतु हम सब इन अंग्रेजी मानसिकता के लिए बेरियर बनकर दीवाल की तरह खड़े हैं।
यह होगा कार्यक्रम
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाया जाएगा। जिसमें सुबह 10 बजे बिरसामुंडा चौक के पास शोभयात्रा पहुंचेगी। यहां बिरसामुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पूजा की जाएगी। दोपहर 12 बजे से वनवासी कल्याण आश्रम के स्माकर भवन में सभा होगी। जहां मुख्य वक्ता के तौर पर वनवासी कल्याण आश्रम के महामंत्री योगेश बापट उपस्थित होंगे।