*दुर्घटना:- पत्थलगांव सिविल अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन में पहली मंजिल से गिरा एक मरीज, अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही आई सामने..पुलिस ने नहीं की घटना की पुष्टि….*

 

पत्थलगांव। पत्थलगांव सिविल अस्पताल में चले दो दिवसीय मोतियाबिंद कैंप में मरीजो को खाने को लेकर और आ रही थी जहाँ खुली हवा में खुले में बिना किसी ब्यवस्था के नीचे सोने के समाचार प्रकाशित होने के बाद अस्पताल प्रबंधन की एक गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। जहां बताया जा रहा है।कि कोतबा वार्ड क्रमांक 1 निवासी रामरतन सिदार मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए सिविल अस्पताल पत्थलगांव के मोतियाबिंद कैंप में पहुंचा था जहां प्रबंधन ने अस्पताल के पहली मंजिल में खुले स्थान पर सोने के लिए जगह उपलब्ध करवाई थी। जिसे लेकर शोशल मीडिया से लेकर उच्च अधिकारियों तक इन बातों को पहुँचाया वही मरीजो को दी जाने वाली भोजन की गुणवत्ता को लेकर उच्चाधिकारियों स्थानीय जागरूक युवको ने शिकायत कर मरीजो की जिंदगी से खिलवाड़ न करने की बात कही। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था कर मरीजो को सुलाया गया। वहीं रात्रि में ही मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराने आए कोतबा के रामरतन सिदार भालुखार कोतबा का व्यक्ति जो पहली मंजिल से रात्रि को गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसे आनन फानन में गंभीर स्थिति को देखते हुए पत्थलगांव से रायगढ़ रीफर कर दिया गया । अस्पताल प्रबंधन ने इतने गंभीर मामले की सूचना पत्थलगांव थाने में देना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने मामले को दबाने के लिए रात में ही रायगढ़ रिफर कर दिया।
इस मामले की संबंध में जब पत्थलगांव बीएमओ डॉक्टर जेम्स मिंज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के गिरने का बात जरूर आई है किंतु उसे एहतियात के तौर पर रायगढ़ भेजा गया है।
वही पत्थलगांव थाना प्रभारी राठिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार की मरीज गिरने की सूचना थाने में नहीं दी गई है ।
हमने जोनल डायरेक्टर पूनम सिसोदिया से मोतियाबिंद आई कैम्प के मरीज के रात को गिर कर घायल होने एवं मरीजो को दी जाने वाली पतली दाल से लेकर कम खाना देने और बहुत ठंड होने के बाद भी खुले में सुलाने जैसी अनेको शिकायत पे बात की तो उन्होंने कहा कि मुझ तक पत्थलगांव आई केम्प के बारे में कई बातें सामने आई है। जिस पर जशपुर सीएचएमओ को जांच कर प्रतिवेदन देने की बात कही साथ ही उन्होने कहा कि जांच में लापरवाही की बात सामने आती है। तो निश्चित ही नियमतः कारवाही की जाएगी
अब देखना यह है। कि इतने गंभीर मामले में लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों पर कब कारवाही होती है। या यूं ही फाइलों में मामले को दबा कर धूल की परतें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।

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