जशपुरनगर,ग्राउंड जीरो ई न्यूज।जिले के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्था में शामिल शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक शाला को छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट हिंदी माध्यम स्कूल योजना में नया पेंच फंस गया है। अधिवक्ता राम प्रकाश पांडेय द्वारा अधिवक्ता दिलमन रति मिंज के माध्यम से याचिका दायर किया था। इस याचिका में राम प्रकाश पांडेय ने बालक स्कूल के आत्मानन्द स्कूल में परिवर्तित होने पर जिले में निवासरत अत्यंत गरीब ,अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होने, शासकीय स्कूल को बंद कर उसे एनजीओ के माध्यम से संचालित कर शासकीय स्टाफ को अन्यत्र कर संविदा कर्मियों से स्कूल संचालित करने तथा वर्ष 1934 में निर्मित भवनों के साथ छेड़छाड़ कर पुरातात्विक धरोहर को नष्ट किए जाने जैसे कई गम्भीर आरोप लगाया था। स्कूल के पूर्व छात्र एवम सामाजिक कार्यकर्ता एवम अधिवक्ता रामप्रकाश पाण्डेय ने अपने अधिवक्ता दिलमन रति मिंज के माध्यम से जनहित याचिका प्रस्तुत किया था ।23 मार्च को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति अरूप कुमार गोस्वामी एवम न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिलमन रति मिंज ने अदालत को बताया कि स्कूल में कक्षा 6 वीं से 12वीं तक कुल 1033 छात्र पढ़ते हैं जिनमें विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा बच्चे में शामिल हैं किंतु स्वामी आत्मानंद स्कूल बनाये जाने पर एक कक्षा में मात्र 40 बच्चे रखने का नियम बनाया गया है ।जिससे अधिकांश बच्चे स्कूल से बाहर किए जा सकता है। इस पर न्यायालय ने एडिशनल एडवोकेट जनरल श्रीमती मीना शास्त्री से इस सबन्ध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। स्पष्टीकरण में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कलेक्टर जशपुर से चर्चा कर बताया कि स्कूल से कोई बच्चे हटाये नहीं जाएंगे। सभी का दाखिला स्वामी आत्मानन्द स्कूल में होगा ।जिस पर न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि स्कूल में पूर्व से पढ़ रहे कोई बच्चे स्कूल से हटाए नहीं जाएंगे सभी को स्वामी आत्मानन्द स्कूल में एडमिशन लिया जाएगा ।यदि प्रशासन के द्वारा कोई लापरवाही बरती जाती है तो याचिकाकर्ता को आदेशित किया जाता है कि वह न्यायालय को पुनः सूचित करें।विदित हो कि स्कूल को स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट विद्यालय बनाये जाने की सुगबुगाहट से ही छात्रों और पालकों में काफी आक्रोश था और इस सबन्ध में समस्त नागरिक, भूतपूर्व छात्र और पालकों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर कलेक्टर जशपुर को ज्ञापन भी दिया था ।माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश से पालकों की चिंता तो दूर हो गई लेकिन स्कूल में कार्यरत 60 से भी अधिक कर्मचारी एवम शिक्षकों की पदस्थापना को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है ।
