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*क्या जशपुर की राजनीति ले रही है करवट…?क्या भाजपा की तरह अब कांग्रेस कर रही है धर्म की राजनीति….? दो पाटन के बीच मे साबुत बचा न कोए…देखिये बदलती परिस्थिति में किस तरह पनप रही जिले में अशांति के बीज…पढ़िए ग्राउण्ड जीरो से ग्राउण्ड रिपोर्टिंग।*

 

जशपुर नगर, ग्राउंड जीरो ई न्यूज। जशपुर की राजनीति पिछले लगभग 40 वर्षो से धर्म की धुरी पर होती रही है।जशपुर विधानसभा में उरांव जनजाति की बाहुल्यता तथा संसरिया उरांव और ईसाई उरांव दो पक्षों को देखते हुए दोनों राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस उरांव जाति से ही विधायक के प्रत्याशी घोषित करते रहे हैं और जनसंख्या में(संसरिया उरांव) की संख्या अधिक होने तथा उनका झुकाव भाजपा की ओर होने के कारण लगातार जशपुर विधानसभा में भाजपा के प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं। किंतु पिछले चुनाव में धुरी बदली और 15 साल लगातार बीजेपी की सरकार होने से जशपुर जिले के दो विधानसभा जशपुर और कुनकुरी में भी एंटी इंकमबेसी देखने को मिली और 40 वर्षो के बाद जशपुर में कांग्रेस की जीत हुई। तब से जशपुर की राजनीति में न केवल ईसाई उरांव बल्कि उरांव जाति की प्राचीन व्यवस्था पड़हा समाज का दखल भी बढ़ने लगा,कारण पड़हा समाज से जशपुर विधायक का सीधा सम्बन्ध उनके पिता के समय से रहा है। यही कारण है कि संसरिया उरांव और पड़हा समाज के बीच हमेशा से ही ताना देखने को मिली है।परिणाम स्वरूप जशपुर में डिपू बगीचा में दो अलग अलग तिथियों पर सरहुल पर्व मनाने की परम्परा शुरू हुई, कालांतर में अब सरहुल पूजा स्थल डिपू बगीचा राजनीति का अखाड़ा बनकर रह गया है।जहां सरहुल पूजा की तिथि को लेकर हर वर्ष घमासान होता रहा है।इस वर्ष भी सरहुल पूजा को लेकर प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। तब जाकर सरहुल पूजा शांति पूर्वक सफल हो सका। लेकिन यह विवाद अब थमने की बजाय धीरे धीरे क्षेत्र में फैलाना शुरू हो गया जिसका परिणाम 28 मार्च को संसरिया उरांव परिवार के घर पर पड़हा समाज के लोगों के द्वारा किए गए तथाकथित हमले के रूप से देखने को मिला।अब देखने को यह मिल रहा है कि घटना के बाद से पीड़ित पक्ष न्याय की गुहार लगाने दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।घटना को बीते 5 दिन से भी अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। लेकिन उनके पक्ष का कोई राजनीतिक प्रतिनिधि या उनके दम पर सामाजिक कार्य करने वाले कोई व्यक्ति पीड़ितों से अब तक मिल कर उनकी स्थिति जानने तक कि कोशिस नहीं किया। हद तो तब हो गई जब कल्याण आश्रम जो न केवल जिले में बल्कि देश मे जनजातिय समाज की सेवा का दम्भ भरता है। उन्ही उरांव जनजाति के सरहुल पर्व पर जहां डी जे की धुन पर समाज के लोगों को नचा कर अपनी पीठ थपथपा रहा था। तो दूसरी ओर उसी दिन सैकड़ो उरांव जाति के लोग पीड़ितों को न्याय देने की मांग को लेकर दिनभर थाना सन्ना के सामने डटे रहे।
जिसमें ग्रामीणों ने पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए अपनी थाना प्रभारी के सामने अपनी मांग रखी।जहां उन्होंने आवेदन में गुहार लगाते हुए लिखा है कि

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बहरहाल जशपुर विधानसभा की राजनीतिक धुरी अब बदलती नजर आ रही है। कभी जो भाजपा के वोट बैंक थे उनके दुःख पीड़ा पर कोई नेता या संगठन खड़ा होता नहीं दिख रहा है।दूसरी ओर कांग्रेस विधायक अंदर से इन मुद्दों पर सक्रिय दिख रहे हैं। कहीं ऐसा न हो की जशपुर की राजनीति करवट ले ले और जिस प्रकार यहां लंबे अरसे तक बीजेपी का बोलबाला था वहीं अब कांग्रेस पार्टी जिले भर में अपनी मजबूत पैठ बनाती हुई दिख रही है।

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