*जशपुरवासी भी अब हो जायें सावधान…ग्रामीणों का दावा,भीषण गर्मी के चपेट में आने से महुवा बिनते हुए 35 वर्षीय महिला की हो गयी मौत, पढिये जिले में बढ़ते हुवे ग्लोबल वार्मिंग को लेकर वन मित्र रामप्रकाश पाण्डेय का विशेष आलेख……*

 

*जशपुरनगर* :- सावधान जशपुर भी अब ग्लोबल वार्मिंग के चपेट में है।यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही आपको अटपटा लग रहा हो,लेकिन यह बिल्कुल सही है।समुद्र तल से 3250 फिट ऊँचाई पर होने के कारण जशपुर में बदलते मौसम का प्रभाव देखने को नहीं मिलता था ।लेकिन अब यह बीते जमाने की बात हो गई है।जशपुर के जंगलो की खुले आम भीषण कटाई और प्रतिदिन जल रहे जंगलो का दुष्प्रभाव अब देखने को मिल रहा है । चूकिं जशपुर के सदाबहार साल के जंगलो के कारण यहां रहने वाले मनुष्य एवम जीवों की जीवन शैली भी उसी के अनुरूप ढल चुकी थी ,जिसके कारण यहां ठंडे स्थानों पर होने वाले वनस्पति ,फल ,एवम अन्य उपज आसानी से होते थे सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि यहां के निवासियों की प्रकृति भी उसी अनुरूप ढल चुकी थी ,लेकिन जशपुर में बदलते मौसम का प्रभाव न केवल वनस्पतियों और फसलों पर पड़ रहा है बल्कि अब इसका दुष्प्रभाव यहां के रहवासियों पर भी देखने को मिल रहा है। बात चार दिन पहले की है सोगड़ा में रहने वाली सेवंती बाई सुबह ही महुवा बीनने चली गई थी दोपहर तक उसने महुवा बिना और महुवा बीनते -बीनते ही वह चक्कर खाकर महुवे पेड़ के नीचे गिर गई ,किसी तरह परिजनों ने उसे घर पहुँचाया कुछ उपाय करते इससे पहले ही एक स्वस्थचित्त 35 वर्ष की आदिवासी महिला ने दम तोड़ दिया ।इस घटना से उंसके परिजन भी आश्चर्य चकित हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक स्वस्थ महिला ने अचानक दम तोड़ दिया ,जिस पर ग्रामीणों का कहना है कि सेवंती को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि जशपुर अब बदल चुका है अब यहां भी ग्लोबल वार्मिंग नामक राक्षस ने दस्तक दी है और इसी कारण प्रतिदिन पड़ रहे तेज धूप और लू के प्रभाव में सेवंती की जान चली गई।बहरहाल इस बात को जिला प्रशासन और सरकार मानने को तैयार नही होगी लेकिन फिर भी जो सत्य है वह सत्य है ।सोगड़ा की इस घटना से जशपुर वासियों को सीख लेनी चाहिए कि लगातार कटते और जलते जंगलो को बचाने आगे आएं वरना महाभारत के उस राक्षस की तरह जो रोज एक आदमी का ग्रास करता था उसी तरह प्रतिदिन एक जान को दांव में लगाते रहें।

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