*विपक्ष का रोल अदा करने में सबसे आगे आ रहे और धीरे-धीरे जनता की आवाज बनते जा रहे ये कद्दावर आदिवासी नेता, प्रदेश कांग्रेस सरकार की खामियों के कई मुद्दों को अकेले ही उठा कर शासन-प्रशासन पर पड़ रहे भारी,सरकार की होने लगी है किरकिरी….*

 

जशपुर,सन्ना-(राकेश गुप्ता की खास रिपोर्ट):- आज हम आपके सामने प्रदेश की राजनीति गलियारों की बात करने जा रहे हैं। जहां इन दिनों सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घामासान मचा हुआ दिख रहा है। हम प्रदेश के बीहड़ आदिवासी सरगुजा सम्भाग के 5 वीं अनुसूची क्षेत्र के जशपुर जिले के एक ऐसे आदिवासी नेता के बारे में बताने जा रहे हैं। जो की प्रदेश के दिग्गज नेताओं को भी पछाड़ते हुए न केवल जशपुर जिले के प्रशासन पर भारी पड़ रहे, बल्कि प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार पर भी बहुत भारी पड़ रहे हैं।ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी वजह से ही इन दिनों प्रदेश कांग्रेस सरकार की किरकिरी होनी शुरू हो गयी है।हम बात कर रहे हैं जशपुर के कद्दावर आदिवासी नेता गणेश राम भगत की जो अनुभव और उम्र में तो बाकी नेताओं से कहीं ज्यादा आगे हैं ही परन्तु इन दिनों जशपुर के माटी पुत्र के रूप में लगातार ऐसे ऐसे मुद्दों को उठा कर जनता की आवाज बनते जा रहे हैं जिससे प्रदेश कांग्रेस सरकार का पूरी तरह किरकिरी होना शुरु हो गया है।यह बात इस कारण दिखता है कि जशपुर जिले में इन दिनों प्रदेश सरकार को घेरने में सबसे आगे आने वाले यही एक मात्र नेता दिख रहे हैं।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद लगातार जशपुर से कई बड़े मुद्दे निकल कर आये।

*जानिये किन मुद्दों को लेकर लागातार सुर्खियों में रहे पूर्व मंत्री भगत*

1.अगर श्री भगत के सुर्खियों में रहने की मुद्दों की बात करें तो जिसमें अगर सबसे बड़ा मुद्दा तो वह मुद्दा था जिसमें जिला स्वास्थ्य विभाग में 12 करोड़ रुपए से ज्यादा घोटाले का पर्दाफाश पूर्व मंत्री ने करते हुए कांग्रेस सरकार को खूब घेरा था। जिसमें पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने अहम भूमिका निभाई थी।

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2.वहीं जल, जंगल, जमीन बचाने की हमेशा शपथ लेकर आगे चलने वाले इस नेता ने जिले के टाँगरगांव और सरगुजा जिले के सिलसिला में लगने वाले स्टील प्लांट का जनता के साथ मिल कर खुलेआम विरोध किया। जिसके लिए इन्होंने टाँगरगांव और सरगुजा जिले के सिलसिला क्षेत्र में सैकड़ों सभा का भी आयोजन किया।जिस विरोध प्रदर्शन में हजारों हजारों की संख्या में आम जनता जुटती हुई दिखाई पड़ती थे।अंत मे प्लांट मुद्दे पर सरकार को भी बैक फुट में आना पड़ा और जनसुनवाई को निरस्त करने पर मजबूर होना पड़ गया।

3.ठीक ऐसा ही एक बड़ा शर्मसार करने वाला मुद्दा पिछले समय जशपुर से निकला। जिसमें जशपुर कलेक्ट्रेट के बगल में स्थित समर्थ दिव्यांग प्रक्षिक्षण केंद्र में वहीं के सरकारी कर्मचारियों के द्वारा 6 बच्चियों के साथ हैवानियत करते हुए अनाचार करने की शिकायत में पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने दिव्यांग बच्चियों के परिजनों की लगातार आवाज बन कर पीड़ित बच्चियों को न्याय दिलाने की मांग उठाते रहे। उन्होंने बच्चियों के परिजन की मदद करते हुए कांग्रेस सरकार को भी खूब घेरा और सरकार की किरकिरी की।

4.ऐसी ही एक घटना पिछले साल सोनक्यारी के पन्डरसिल्ली में पहाड़ी कोरवा नाबालिक बच्ची के साथ अनाचार करके हत्या करने की हुई थी। इस मामले को भी पूर्व मंत्री ने जोर-शोर से उठा कर पीड़ित परिजन की आवाज बनते हुए दर्जनों बैठकें करके प्रदेश सरकार को घेर दिया था।

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5.सबसे बड़ा मुद्दा तो तब उठा, जब जिले के हर्रापाठ में पहाड़ी कोरवाओं की जमीन को प्रदेश सरकार के मंत्री अमरजीत भगत के मजिस्ट्रेट बेटे ने फर्जी तरीके से अपने नाम रजिस्ट्री करा लिया था। जिसे भी पूर्व मंत्री ने आमने-सामने की लड़ाई लड़ते हुए पहाड़ी कोरवाओं को न्याय दिलाने के लिए खूब संघर्ष किया और अंत मे मंत्री को जमीन वापस करना ही पड़ा। जिसे लेकर भी पूर्व मंत्री गणेश राम भगत सुर्खियों में थे।

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6.वही वर्तमान में पहाड़ी कोरवाओं की जमीन का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री के मुद्दे को उठा कर प्रदेश सरकार को हिला दिया। बताया जाता है कि इस मुद्दे को उठाने के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव और जशपुर कलेक्टर को राष्ट्रीय आयोग दिल्ली से नोटिस भी मिल गया। जिसके बाद पूर्व मंत्री ने खूब सुर्खियां बटोरी।

7.वहीं इन्होंने इन दिनों हिन्दी माध्यम सरकारी स्कूल को बदल कर आत्मानन्द अंग्रेजी माध्यम स्कूल रखने पर विरोध करने में भी सबसे अहम भूमिका निभाई है।जिससे ग्रामीण क्षेत्र के स्कूली बच्चों के परिजनों में इनकी अच्छी पैठ बनती दिख रही है।

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वहीं धर्मांतरण, गौ-तस्करी, नक्सलवाद,डी-लिस्टिंग जैसे मुद्दे तो पूर्व मंत्री आये दिन उठाते ही दिखते हैं।जिन मुद्दों को लेकर उनके द्वारा देश के कई कोनों में जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले अनेक सभायें की जाती हैं, जिससे उनकी छवि प्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश में कट्टर हिंदूवादी नेताओं में गिनी जाती है।
अगर हम यह कद्दावर आदिवासी नेता गणेश राम भगत का बैक ग्राउंड देखें तो यह नेता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कल्याण आश्रम से लगातार जुड़े रहने के कारण अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से 7 सत्र में विधायक तो चुने गए और फिर भाजपा शासनकाल में एक सत्र में संसदीय सचिव, तो एक सत्र में बकायदा प्रदेश के कैबिनेट मंत्री भी बनाये गये।वहीं2008 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की आपसी खींचतान के वजह से इनका विधानसभा क्षेत्र बदल कर सीतापुर विधानसभा सीट से टिकट दिया गया और फिर अमरजीत भगत से बहुत कम मतों में इनकी हार हो गयी।वहीं पुनः 2013 के विधानसभा चुनाव में इनका टिकट कट जाने से नाराज हो कर जशपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिससे इन्हें भाजपा से छः सालों के लिए निष्कासित कर दिया गया। निष्कासन के बाद भी वे जनजाति सुरक्षा मंच के नेतृत्व में लगातार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सिद्धांतों पर और आदिवासी हित पर कार्य करते रहे।वहीं अब जब यह नेता संघ के सिद्धांतों पर खरे उतरे तो इन्हें जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व दे कर नवाजा गया।वहीं इस नेता के द्वारा लगातार सरकार की गलत नीतियों का विरोध प्रदर्शन करते रहने पर इनकी सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे और यही कारण है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने इनकी सुरक्षा बढाते हुये इन्हें Y-श्रेणी की VIP सुरक्षा दे दी।वहीं सुरक्षा मिलने के बाद पूर्व मंत्री ने अपनी दौरा कार्यक्रम भी काफी बढ़ा दी है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलावा इन्होंने उत्तरप्रदेश चुनाव में भी चुनाव प्रचार करके केंद्र के शीर्ष नेतृत्व में अपनी और प्रदेश की मान बढ़ाई है।छत्तीसगढ़ के अलावा आये दिन उत्तरप्रदेश, बिहार,झारखण्ड,उड़ीसा जैसे राज्यों में दौरा करके आदिवासियों के बीच लगातार अपनी पैठ जमाते हुए भी दिख रहे हैं।वहीं इनके कार्यशैली से यह नेता हिन्दू जनमानस में भी अपनी काफी प्रभाव छोड़ते हुये दिख रहे हैं।

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इसी तरह यह कहना कोई गलत नही होगा कि यह कद्दावर आदिवासी नेता पूर्व मंत्री गणेश राम भगत लगातार जनता के बीच कार्य करके जनता की आवाज बनते हुए दिख रहे हैं।वहीं अगर विपक्ष पार्टी में भी देखा जाये तो यह नेता की छवि विपक्ष का रोल अदा करने में सबसे पहले देखा जा रहा है जिसका इन दिनों जनचर्चा भी काफी बनी हुई है।

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