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*WATCH VIDEO:- मैदान नहीं क्लास रूम में छाता लेकर बैठे हैं,मासूम बच्चे,कहां है स्कूल का निरीक्षण करने वाले जिम्मेदार अधिकारी?क्यों नहीं मिलती मरम्मत के लिए बजट?क्या दुर्घटना के बाद खुलेगी आंख…..पढ़िए ग्राउंड ज़ीरो ई न्यूज़ पर पूरी खबर।*

 

जशपुरनगर। (सोनू जायसवाल की रिपोर्ट) इन तस्वीरों को गौर से देखिए,ये कोई मैदान नहीं है जहां बच्चे पानी से बचने के लिए यूनिफार्म पहन कर,छाता पकड़,बैठे हुए हैं। ये एक सरकारी स्कूल का जर्जर भवन है। इस भवन में छत के साथ दीवारों से भी बारिश का पानी अंदर आता है। क्लास रूम की हालत देख कर आपको तालाब की याद आ जाएगी। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा बुलंद करने वाले जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को इन मासूम बच्चों की यह बदहाल स्थिति शायद दिखाई नहीं पड़ रही है। मामला जिले के बगीचा ब्लाक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कलिया की है। जिले में जर्जर स्कूल भवन को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बन रही है। मामला सामने आने पर जिला प्रशासन की ओर से दावा किया जाता है कि उक्त भवन की मरम्मत कार्य स्वीकृत कर दिया गया है। लेकिन मामला शांत होने से पहले दूसरा मामला सामने आ जाता है। स्कूल के शिक्षक अमृत खलखो ने बताया कि चालू सत्र में इस स्कूल की दर्ज संख्या 111 है। उन्होनें बताया कि स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। भवन की छत और दीवारों से प्लास्टर निकल कर गिर रहें हैं। छत में लगे हुए लोहे के सरिए भी अब जंग खाकर जवाब देने लगे हैं। सबसे बुरी स्थिति बारिश के दिनों में हो जाती है। जब भवन की छत और दीवारों से वर्षा का पानी रिस कर अंदर भर जाता है। इस समय स्कूल की स्थिति इतनी बुरी हो जाती है कि छात्र बैठना तो दूर सही तरीके से खड़े भी नहीं हो पाते हैं। छात्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार वर्षा से स्कूल के सारे कमरों के साथ बरामदा भी पानी से भर गया है। इसलिए अतिरिक्त कक्ष में किसी तरह बच्चों को बैठाकर स्कूल का संचालन किया जा रहा है। इस भवन में ब्लैक बोर्ड तक की सुविधा नहीं है। इससे अध्यापन कार्य में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। भवन के साथ ही इस सरकारी स्कूल में शिक्षकों की कमी भी बनी हुई है। शिक्षक अमृत खलखो ने बताया कि कक्षा 6 वीं से 8 वीं तक के लिए सिर्फ एक शिक्षक की पोस्टिंग की गई है। उन्होनें बताया कि विभागिय बैठक या निजी कारण से छुट्टी लेने पर स्कूल पूरी तरह से भगवान भरोसे हो जाता है।

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