Chhattisgarh
*जटिल ऑपरेशन कर बचाई आरती की जान, जिला अस्पताल कालीबाड़ी की टीम ने किया ऑपरेशन, अनियमित माहवारी और अत्यधिक रक्तस्राव से हो रही थी परेशानी,उसके गर्भाशय में गांठ है,जिसको फाइब्रॉयड बोला जाता है। निजी अस्पतालों से हारकर सरकारी अस्पताल में मिली राहत…..*
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3 years agoon
रायपुर 22 अक्टूबर 2021।धमतरी के ग्राम कोडापार की निवासी 44 वर्षीय आरती यादव कहती हैं ‘’कई प्राइवेट अस्पतालों में दिखाया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला उसके बाद रायपुर आकर भी कई जगह जांच कराई लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं मिल रहा था । फिर निर्णय लिया कि क्यों न सरकारी अस्पताल में भी एक बार चेकअप करा लिया जाए । फिर मातृ एवं शिशु अस्पताल कालीबाड़ी में सभी जांचें करायीं जांच रिपोर्ट देखने के पश्चात् डॉक्टर ने बताया कि आपका ऑपरेशन करना पड़ेगा फिर शासकीय अस्पताल में मेरा निशुल्क ऑपरेशन हुआ और अब मैं पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूँ।“
ऑपरेशन करने वाली टीम में शामिल डॉ कल्पना सुखदेव कहती है, ‘’आरती हमारे पास माहवारी अनियमितता की समस्या लेकर आयी थी । पहले उसकी पूरी जांच की गई उसकी जांच रिपोर्ट में पाया गया कि उसके गर्भाशय में गांठ है । जिसको फाइब्रॉयड बोला जाता है । आरती को माहवारी के समय पेट में काफी दर्द रहता था और वह पेट में भारीपन महसूस करती थी एवं माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव भी होता था। आरती की बच्चेदानी की जांच, खून की जांच, पेशाब की जांच, एक्स रे और ईसीजी करने के बाद उसको मानसिक रूप से ऑपरेशन के लिए तैयार किया और उसको समझाया कि यह गांठ दवाइयों से ठीक नहीं होगी। इसके बाद उसका ऑपरेशन किया गया । फाइब्रॉइड गर्भाशय में होने वाले ट्यूमर होते है जो कैंसरयुक्त नहीं होते है परन्तु माहवारी पर काफी असर डालते है । अण्डाशयों के सिस्ट लक्षण हीन होते है पर यह भी अनियमित माहवारी से संबंधित होते है ।“
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने बताया, ‘’आरती के केस में सोनोग्राफी के माध्यम से पता चला कि उसके गर्भाशय में ट्यूमर है लेकिन ऑपरेशन के समय पता चला यह केस फाइब्रॉयड ब्रॉड लिगामेंट का था। जिसका निकालना एक कठिन प्रक्रिया होती है। लेकिन चिकित्सकीय टीम द्वारा काफी मेहनत के बाद उसे निकाला गया और आरती की जान बचायी गयी । कोविड-19 संक्रमण काल की दूसरी लहर के बाद जब केस आना कम हुए तो मातृ एवं शिशु अस्पताल कालीबाड़ी में नियमित रूप से इस प्रकार के जटिल ऑपरेशन की शुरुआत कर दी गई है माह में इस प्रकार के लगभग 10 से 12 ऑपरेशन किये जा रहे हैं।डॉ.कल्पना सुखदेव, डॉ.पद्मिनी सिंह, डॉ.मीना सैमुअल, डॉ.निर्मला यादव, डॉ.सुधा सैमुअल, डॉ. स्नेह लता सिंह,की टीम के साथ एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ.सुनील गुप्ता और डॉ.चंद्रा राव नियमित रूप से इस प्रकार के ऑपरेशन में सहयोग कर रहे है।“