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*जो भी भक्त शिव महापुराण की कथा मन से सुनता है भोले बाबा अपने भक्तों का कल्याण अवश्य करते हैं–पंडित श्री प्रदीप मिश्रा, कथा के चौथे दिन प्रभु श्री राम और पांडवों के वनवास काल के समय शिव भक्ति का वर्णन किया…*

जशपुरनगर, 24. मार्च 2025/ कुनकुरी मयाली में सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ के पास प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा शिव भक्तों को कहा कि जो भी भगत महाशिवपुराण की कथा सुनने जाता है भोले बाबा उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। और उनकी झोली में खुशियां भर देते हैं। जो भी व्यक्ति मन से और श्रद्धा भाव से शिव की भक्ति करते हैं। उनके दुखों को दूर करने की जिम्मेदारी भोले बाबा की होती है। सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने शिव भक्तों को कथा सुनाते हुए कहा कि प्रभु श्री राम भगवान 14 वर्ष के वनवास के लिए जा रहे थे तो उनके पिता श्री दशरथ जी ने उन्हें शिव की भक्ति करने के लिए कहा। पांडव पांचों भाई और उनकी पत्नी द्रोपदी के साथ वनवास गए तो उन्हें भी शिव की भक्ति करके अपने कष्टों को दूर करने के लिए कहा गया।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के जशपुर वासियों के लिए बड़ा सौभाग्य की बात है। साक्षात शिव जी मधेश्वर पहाड़ के रूप में जशपुर में विराजमान हैं और शिव भक्तों को अपनी कृपा बरसा रहे हैं। छत्तीसगढ़ी वासियों बहुत धन्य है प्रभु श्री राम ने वनवास काल का अधिकतम समय छत्तीसगढ़ में बिताया है। पंडित मिश्रा जी ने कहा किसी को फालो मत करना लेकिन शिव जी की फालो जरूर करना भोले बाबा ने..…. हमें चलना सिखाया सब भक्तो को मिलना सिखाया
बहुत दे दिया है … तेरा शुक्रिया है।
शिव भक्ति में झूमते नजर आए श्रद्धालु । आज शिव महापुराण कथा के चौथे दिन प्रभु श्री राम और पांडव की कथा सुनाया गया।

कुनकुरी विकासखंड में विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग के तौर पर मान्यता प्राप्त मधेश्वर महादेव के समीप हो रहे शिव महापुराण कथा को सुनने छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में भक्तगण यहां पहुंचे हैं। 27 मार्च तक चलने वाली इस कथा में श्रद्धालुगण दिव्य अनुभव प्राप्त करेंगे। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय सहित उनके परिवार के अन्य सदस्य भी आज शिव महापुराण कथा का रसपान किया।
जशपुर जिला प्रशासन ने भी श्रदालुओं की सुविधा के लिए पूरे इंतजाम किए हैं। कार्यक्रम स्थल में मंच, बैठक व्यवस्था, बैरिकेडिंग, पंडाल खोया पाया केंद्र और अस्थाई अस्पताल की भी सुविधा उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं की टावर की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने कथा स्थल पर जीवों का टावर भी लगवाया है।

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