*” ज्यों – ज्यों मेरे आसपास की अट्टालिकाओं का आकार ढहता जा रहा है , मेरा अपनी नींव पर विश्वास बढ़ता जा रहा है , क्यूंकि नींव हो या विश्वास दोनों का अस्तित्व भीतर ही भीतर पलता है , इसीलिए तो मंदिर का दीया कलश पर नहीं गर्भगृह में जलता है । “ निर्विकल्प ” सम्वेदना स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन…..*

 

 

जशपुरनगर। (सोनू जायसवाल) 08 मार्च , 2022 को सम्वेदना स्थापना दिवस के अवसर पर आभासी पटल पर भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसमें छत्तीसगढ़ , झारखण्ड , पश्चिम बंगाल , उत्तरप्रदेश , मध्यप्रदेश , बिहार सहित देशभर के विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों ने हिस्सा लिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.सतीश देशपाण्डे , विशिष्ट अतिथि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ . संजय कुमार पाण्डेय एवं मुख्य अतिथि श्रीमती शुभा मिश्रा , अधिवक्ता जशपुर की गरिमामयी उपस्थिति में हुई । कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती की स्तुती / वंदना श्रीमती बबीता यादव की सुमधूर गायन से हुई । अतिथियों का भव्य स्वागत मथुरा , उत्तरप्रदेश से रवेन्द्र पाल सिंह ” रसिक ” ने अपने ओजस्वी गीत से किया । सम्वेदना की ओर से श्रीमती सीमा गुप्ता ने सभी को सम्वेदना से परिचय कराते हुए सम्वेदना फाउंडेशन एक सार्थक पहल के कार्यों एवं उद्देश्यों को बताया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती शुभा मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की सराहना करते हुए सभी का उत्साहवर्द्धन कर नवरात्रि पर्व महाष्टमी पर अपनी काव्य रचना प्रस्तुत की आज तुम्हारा है महाष्टमी का उपवास , भूख से आँतें कुलबुला रही लेकिन तुम्हे है प्रमोशन की आस । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ संजय कुमार पाण्डेय ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए साहित्यिक पृष्ठभूमि एवं वर्तमान परिवेश पर प्रकाश डालते हुए , सभी का मार्गदर्शन किया । कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ . सतीश देशपाण्डेय ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए काव्य गोष्ठी के सुचारू संचालन हेतु उत्साहवर्द्धन किया । श्री हेमंत माहूलिकर , कोरबा , महामंत्री संस्कार भारती छत्तीसगढ़ ने सम्वेदना का ध्येय गीत जीवन सफर , मुश्किल से तब आसां बनेगा देखना , रखेंगे जब हम दिल में सबके लिए सम्वेदना से शुरूआत की एवं अपनी गद्य रचना के माध्यम से सरकारी व्यवस्था का वर्णन किया । ज्ञात हो कि जब सम्वेदन का ध्येय गीत तैयार किया गया था तब उसे सुरों में ढालने का कार्य माहूलिकर जी के द्वारा ही किया गया है । मेरठ , उत्तरप्रदेश से कवयित्री श्रीमती माला सिंह , ( मानवीय मूल्यों की माला ) पटल की संस्थापिका प्रेम का संदेश देते हुए अपने गीत के माध्यम से कहती हैं आओ दोस्तों कुछ ऐसा भी कर लेते हैं , प्रेम दिल में ले करके , नफरत को मिटा लेते हैं । कोलकाता , पश्चिम बंगाल से अपनी उपस्थिति देते हुए उषा जैन नारी के अवतरण पर कहती हैं , ईश्वर प्रदत्त इस दुनिया में मेरा भी प्रादुर्भाव हुआ । युवा कलमकार ऋषि जैन महिलाओं के वर्तमान में सशक्त होने की बात कहते हुए अपनी रचना प्रस्तुत करते हैं- अब स्त्रियां याचना नहीं करती , वे अहिर्निश चलती हैं , अनंत की ओर …… । दुर्ग , छत्तीसगढ़ की कवयित्री अर्चना पाण्डेय कहती हैं- निर्गुण सगुण जग में हो तुम्ही कर्म निष्काम , निज प्राण आत्मा में बसा है दीनबंधु का रसधाम । आभासी पटल पर धमतरी , छत्तीसगढ़ की कवयित्री माधुरी डड़सेना ” मुदिता ” नारी का बखान कुछ इस तरह करती हैं- रहे घर द्वार नारी से रहे शितल सुखद छाया लगे संसार अपना सा , सजिले स्वप्न मन भाया । वरिष्ठ कवि अनिल सिंह ” अनल ” जशपुर , छत्तीसगढ़ की रचना , उसी से जन्म लेकर , उसी को अबला कहा तुमने , कभी सोचा तेरे अस्तित्व में तेरी भूमिका क्या है सभी को सोचने के लिए मजबूर करती है । नारी की व्यथा व्यक्त करते हुए जशपुर की कवयित्री अनिता गुप्ता कहती हैं- नारी उस पथ की पथिक , जहां बिछे हैं शूल , दर्द छुपा लेती सदा , हँसती जैसे फूल कवि राजेश जैन वर्तमान परिस्थिति पर करारा प्रहार करते हुए नजर आते हैं और कहते हैं , हजारों यातनाएं सहने के बाद वह दिन आएगा , पर तू घबराना मत तेरे जख्मों पर मरहम लगाने विश्व महिला दिवस फिर आएगा , फिर मनाया जाएगा । कवि रवेन्द्र पाल सिंह ” रसिक महिला सशक्तिकरण पर अपनी बात रखते हैं- उषा है किरण बेदी , कल्पना सी नव भेदी देश के लिए उपहार हुई नारियां । राजनांदगाँव के कवि तुलेश्वर सेन कहते हैं- हम तो बस दिवस मनाते जाते हैं , दिवस के दिन बड़ी – बड़ी बाते हैं , उसके बाद फिर वही सिसकती रातें हैं । साहित्य की सहेली खिताब से नवाजी गई रामगढ़ , झारखण्ड की कवयित्री ममता मनीष सिन्हा आज की नारी को सशक्त बताते हुई कहती हैं हम नारियाँ बहुत ही मजबूत होती हैं । गंगानगर , मेरठ , उत्तरप्रदेश की कवयित्री रामकुमारी अपनी रचना में समाज से एक प्रश्न करती दिखाई देती हैं आखिर क्यों बेटियों का कोई घर नहीं होता , क्यों होते हैं सुबह शाम दूसरों के नाम , ऊपरवाले आखिर गुनाह क्या है उसका क्यों उसका एक भी पहर नहीं होता । कवयित्री बबीता यादव गौतम बुद्ध नगर , उत्तरप्रदेश पर्यावरण पर अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए वृक्ष नष्ट होने पर चिंता जताती हैं । बलौदाबाजार , छत्तीसगढ़ की कवयित्री स्वाती भोसले अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहती हैं प्राकृतिक मानव अधिकार की रूप है महिला तीन वर्णों का सुन्दर प्रतिबिम्ब है महिला । युवा कवि मनव्वर अशरफी कह ते हैं- ये जो गुरूर है चकनाचूर हो जाएगा , ज़माने को एक दिन नामंजूर हो जाएगा , तुम वफा करके भी गुनहगार बनोगे , वो फ्रेब करके भी बेकसूर हो जाएगा । युवा कवि डिकेन्द्र पटेल , बलौदाबाजार छत्तीसगढ़ अपनी रचना में फूलों और कलियों का दर्द बताते हुए कहते हैं- हम फूलों कलियों का तड़पना , भौंरा आवारा क्या जाने , बाग – बाग मंडराने वाला प्रीत निभाना क्या जाने । डॉ . मिथलेश पाठक ने भी अपनी रचना से सम्वेदना की सराहना की वही युवा कवि अनुराग पाठक ने सम्वेदना एक सार्थक पहल पर विशेष पहल की अपील सभी से की । कार्यक्रम का संचालन कर रहे सुशील पाठक सभी को धैर्यपूर्ण सुनने एवं उपस्थित होने पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए , सब्र पर अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहते हैं सब्र शबरी सा करके तो देखो जरा , राम आएंगे इतना भरोसा करो । कार्यक्रम के समापन की बेला पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ . सतीश देशपाण्डे ” निर्विकल्प ” ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए पटल पर उपस्थित कवि एवं कवयित्रियों को शुभकामनाएं देकर अपनी काव्य रचना में कहा- ” ज्यों – ज्यों मेरे आसपास की अट्टालिकाओं का आकार ढहता जा रहा है , मेरा अपनी नींव पर विश्वास बढ़ता जा रहा है , क्यूंकि नींव हो या विश्वास दोनों का अस्तित्व भीतर ही भीतर पलता है , इसीलिए तो मंदिर का दीया कलश पर नहीं गर्भगृह में जलता है । ” श्रीमती सीमा गुप्ता ने आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी में सम्वेदना के भाव जागृत करने एवं सहभागिता की अपील की । अंत में स्व दिलीप सिंह जुदेव एवं सम्वेदना के संस्थापक स्व . विश्वबंधु शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई । सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय सुशील पाठक के द्वारा किया गया । कार्यक्रम को सफल बनाने में सम्वेदना के संरक्षक श्री भवेश कुमार गुप्ता , अध्यक्ष श्री संजय पाठक , श्रीमती सरस्वती पाठक , सीमा गुप्ता , संजय दास , श्रीमती किरण महतो , मीना सिन्हा , शशी साहू विकास प्रधान , विनोद निकुंज , सीमा सिंह , विकास अग्रवाल , मनीषा छाबड़ा , डाली कुशवाहा , सम्वेदना फाउंडेशन के सभी सदस्य सहित जिले भर के साहित्य प्रेमियों का योगदान रहा ।

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