Jashpur
*Big breking:-बस स्टैंड जशपुर में अचानक पहुंचे सैकड़ो आदिवासी महिलाएँ और पुरूष, ढोल मांदर के साथ होली-दिवाली लगे मनाने ,कहा अभी तो शुरुवात है आगे आगे देखिए…. आदिवासी समुदाय के इस बड़े मुद्दे पर हो सकता है बड़ा फैसला….देखिये वीडियो*
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2 years agoon
जशपुरनगर:-बीते शाम जशपुर नगर के बस स्टैंड में अचानक से सैकड़ों आदिवासी महिला-पुरुष ढ़ोल नगाड़ा ले कर पहुंच गये और जोर जोर से नारा लगाने के साथ साथ नाचते गाते हुये रंग गुलाल और फटाखें फोड़ने लगे।इसका मुख्य कारण आपको हम आगे विस्तार से बताते हैं।
इन दिनों पूरे देश के अंदर आदिवासी समुदाय के बीच आदिवासी अपनी अधिकार के लिए एक बड़ी जंग लड़ते हुए देखे जा रहे हैं।यह जंग का नया स्वरूप के साथ नई शुरुवात जशपुर से ही हुई है।एक बड़ा तबका का आदिवासी समुदाय इसे डिलिस्टिंग का नाम दिया है।आपको बता दें कि अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले लगभग 15 वर्षों से जनजाति समुदाय का बड़ा तबका यह मांग कर रहा है कि जो व्यक्ति अपनी रीति-रिवाज,पूजा-पद्धति, सँस्कार,पूर्वजों के रास्ते से भटक कर धर्मांतरण कर चुका है और वो आदिवासी का लाभ अब भी ले रहा है तो उन सब धर्मांतरित लोगो का आरक्षण समाप्त होना चाहिए।वहीं दूसरी मांग यह थी कि जो व्यक्ति फर्जी जाती प्रमाण पत्र बना कर आरक्षण का लाभ ले रहा है उसका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाये।इसी के तहत छत्तीसगढ़ में एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी पाने का मामला प्रकाश में आया है। जाति प्रमाण पत्र समिति की रिपोर्ट के बाद अब अधिकारी की नौकरी खतरे में बताई जा रही है। हालांकि आईएएस अवार्ड होने के बाद अब राज्य सरकार नौकरी से बर्खास्त नहीं कर सकती, बल्कि केंद्र को प्रस्ताव भेजना होगा। आईएएस अधिकारी का नाम आनंद कुमार मसीह है।वे पुलिस जवाबदेही प्राधिकरण में सचिव हैं। आनंद कुमार मसीह का राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन 1991 में हुआ था।जाति संबंधी विवाद के कारण उन्हें तीन साल देर से 2020 में आईएएस अवार्ड हुआ था।इससे पहले 2007 में जाति प्रमाण पत्र की जांच के लिए बनी उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने उरांव अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था।इसके खिलाफ मसीह ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।हाईकोर्ट ने जुलाई 2018 में अपने निर्णय में उच्च स्तरीय समिति के जाति प्रमाण पत्र निरस्तीकरण के आदेश को अपास्त कर दिया था।हाईकोर्ट के निर्णय के मुताबिक उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने मामले को विजिलेंस सेल को सौंप दिया। विजिलेंस सेल ने अपनी जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें मसीह के उरांव जनजाति के होने के बजाय ईसाई धर्म के होने की पुष्टि हुई है।जिससे यह सिद्ध हो गई है कि अधिकारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र बना कर नौकरी कर रहा है।जानकारों की माने तो इस अधिकारी का नौकरी भी जा सकता है।
आपको बता दें कि जब अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं को इसकी भनक लगी तो वो खुद को रोक नही पाये और खुशी से झूमते हुए सैकड़ों की संख्या में जशपुर शहर के बस स्टैंड में पहुंच कर महिला पुरुष सभी ढोल नगाड़े ले कर नाचते गाते पहुंचे और एक दूसरे को रंग गुलाग लगाते हुए फटाखें फोड़े और खुशियां मनाई।उनका कहना था कि जनजाति सुरक्षा मंच का यह पहला जीत हुआ है।यही डिलिस्टिंग का शुरुवात है आगे आगे देखिए और भी बहुत से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बना कर नौकरी करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही होगी।