Jashpur
*Big breking jashpur:- कोरवा समाज के इस मुद्दे पर अब धधकी आग, शासन-प्रशासन से नाराज दो गांव के कोरवाओं ने खोला मोर्चा,चुनाव बहिष्कार करने का लिया निर्णय,दोनों गांव में राजनीति पार्टियों के नेताओं के प्रवेश पर लगी रोक,कोरवाओं के नाम पर राजनीति रोटियां सेंकने वाले नेताओं और विधायक-सांसद को इन्होंने बताया ठग….आखिर क्यों उग्र हुए सीधे साधे कोरवा समाज,देखिये जमीनी हकीकत का पूरा वीडियो….*
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2 years agoon
जशपुर/सन्ना(राकेश गुप्ता की रिपोर्ट):- जैसे जैसे छ्त्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रही है वैसे ही जशपुर जिले में शासन प्रशासन को लेकर लगातार ग्रामीणों के अंदर विरोधाभास देखा जाने लगा है।जशपुर जिला जहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं के नाम पर जिले के नेता लगातार राजनीति रोटियां सेंकते हुए दिखते हैं और उनके उत्थान के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये सरकारी खजाने से उड़ा दिया जाता है।परन्तु जशपुर जिले में इन पहाड़ी कोरवाओं की स्थिति क्या है और उनके साथ किस प्रकार से अन्याय हो रहा है इसकी आज हम आपको एक रिपोर्ट दिखाने जा रहे हैं।जो पहाड़ी कोरवा सीधे साधे सरल दिखते हैं उनके साथ दशकों से हो रहे अन्याय के प्रति अब पहाड़ी कोरवाओं ने भी कमर कस लिया है और राजनीति पार्टियों के नेताओं और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
हम बात कर रहे हैं जशपुर जिले के कोरवा बाहुल्य सन्ना क्षेत्र की जहां ग्राम पंचायत सन्ना के गाड़ाकोना और धवईपानी गांव जहां सत प्रतिषत पहाड़ी कोरवा निवास करते हैं परन्तु उनका कहना है कि उन्हें आजादी के बाद से आज पर्यंत तक पहाड़ी कोरवा के नाम पर आने वाले कोई भी शासन के योजनाओं का लाभ नही मिलता है जिसे लेकर उनके द्वारा दशकों से प्रयास किया जा रहा है और भाजपा सरकार में भाजपा नेताओं से लेकर वर्तमान में कांग्रेस सरकार में विधायक विनय भगत तक से इस मामले को लेकर सैकड़ों बार गुहार लगा लगा कर थक चुके हैं परन्तु उन्हें मात्र आज तक आश्वाशन के बिना कुछ भी हासिल नही हुआ है। जिससे अब दोनों गांव के सभी लगभग 50 पहाड़ी कोरवा परिवार ने मोर्चा खोल दिया है और गांव में बैठक कर चुनाव बहिष्कार तक का निर्णय ले लिया है वहीं गांव में राजनीति पार्टियों के नेताओं की भी नो-एंट्री का आगाज कर दिया गया है|
आपको बता दें कि दशकों से कोरवा समाज को शासन प्रशासन के द्वारा तीन भागों में पहाड़ी,डिहारी,और बघेलक्षत्रिय कोरवा के नाम पर बांट दिया गया है।बताया जाता है कि पूर्व में सभी पहाड़ी कोरवाओं को प्रशासन के द्वारा परिचय पत्र दिया गया था।जिसमें शासन के योजनाओं का लाभ देने उस परिचय पत्र की मांग भी की जाती है उसके बिना किसी भी पहाड़ी कोरवा को शासन के योजनाओं का लाभ नही दिया जाता है।परन्तु डीहारी कोरवाओं को पहाड़ी कोरवा का कोई कोई लाभ नही दिया जाता है।ठीक इसी तरह जिले में बहुत अधिक संख्या में कोरवा समाज आज भी शासन के योजनाओं के लाभ से वंचित रह गया है।हालांकि गाड़ाकोना और धवईपानी गांव के सभी कोरवाओं का कहना है कि उनके सभी रीकार्ड में वह पहाड़ी कोरवा ही हैं,जाति प्रमाण पत्र,बिवन-मिसल और 1934 के सेटलमेंट जैसे सभी रिकार्ड में उन्हें पहाड़ी कोरवा ही माना गया है परन्तु परिचय पत्र नही होने के कारण मात्र उन्हें आज तक कोई भी शासन के योजनाओं का लाभ नही मिलता है बीते दिन जिले में शिक्षित पहाड़ी कोरवा को नौकरी देने हेतु भी फार्म निकाला गया था जिसमें भी इन दोनों गांव के पहाड़ी कोरवाओं ने फार्म भरा था परन्तु परिचय पत्र नही होने के कारण इन सभी का फार्म अपात्र कर दिया गया जिससे कारण दोनों गांव के पहाड़ी कोरवा आग बबूला हो गये और गांव में बैठक करके निर्णय लिया गया कि जब तक उनका समस्या का हल नही हो जाता है तब तक आने वाले सभी चुनाव का वह बहिष्कार करेंगे और गांव में किसी भी राजनीति पार्टियों के नेताओं का प्रवेश वर्जित रहेगा।