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*बिग ब्रेकिंग:- कड़ी धूप में दूधमुंहे बच्चों को लेकर तोड़े तेंदुपत्ता, पर नहीं हुई खरीदी, पत्ते लेकर मायूस लौटे संग्राहक,ज्यादातर संग्राहक बिरहोर व पहाड़ी कोरवा परिवार के, संग्राहकों में नाराज़गी,चेकर ने बताई ये वज़ह*

जशपुरनगर/कोतबा:-तपती धूप में बच्चों को गोदी में लेकर जंगलों से पत्ते चुनकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले व राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले कोरवा,बिरहोर परिवार सहित अन्य समुदाय के संग्राहकों के तेंदूपत्ता नहीं खरीदने से उनमें खूब नाराजगी देखी जा रही है.मामला पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम पंचायत बुलडेगा भींजपुर का है।
संग्राहकों का कहना है कि चेकर और फड़ प्रभारी कोमल पत्ते का हवाला देकर उन्हें खरीदी करने से मना कर दिया.जिससे दो दर्जन से भी अधिक लोग पत्ते लेकर वापस लौट गये.
पत्ते तोड़ने वालों में ज्यादातर बिरहोर जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोग शामिल है.जिनका मुख्य आय का स्रोत वनस्पतियों पर निर्भर है।
ऐसे स्थिति में उनको बेरंग लौटना उनके परिवार वालों पर आर्थिक संकट है.
संग्राहक धनमेत बिरहोर,मंगलासो बाई,मालती पैंकरा,कुमारी बाई,मेहतर सनमानी,सुनीता पैंकरा,लीला पैंकरा,चंपा ,बाई,गमली बाई ने बताया कि वे चिलचिलाती धूप में अपने दुधमुँहे बच्चों को गोदी में बांधकर जंगलों को जाकर तेंदूपत्ता संग्रहण करती हैं.इतनी मेहनत के बाद उन्हें गड्डी बनाकर जब बेचने जाती हैं, तो कोमल और छोटे पत्ते बताकर नही खरीदी की जाती है.
जबकि उनका कहना है कि अन्य दिनों में उसी तरह के पत्तों की खरीदी कर ली गई है.उसके साथ ही उनका कहना है कि जो पत्ते जंगलों में मिलेंगे उन्ही पत्तों को वे संग्रहित कर लाई हैं, लेकिन खरीदी नहीं करने के पीछे उन्हें आर्थिक नुकसान पहुँचाना और मानसिक प्रताड़ना देना ही है।

मामले को लेकर पत्थलगांव रेंजर कृपासिंधु पैंकरा से ग्राउंडजीरो ई न्यूज ने चर्चा किया तो उन्होंने बताया कि कल शाम को उनके पास शिकायत मिली थी.उन्होंने कहा कि खरीदी करने के कड़े निर्देश दिए हैं.संभवतः अभी खरीदी कर लिये होंगे. जब उनसे खरीदी नहीं करने की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि कोमल पत्तो के कारण अच्छे पत्ते भी रिजेक्ट हो जाते हैं,इसलिये ऐसा किया गया होगा.पर समिति को संग्राहकों को जागरूक कर अच्छे पत्ते लाने और हर एक संग्राहक के पत्तों की खरीदी करने को कहा गया है।

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