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Chhattisgarh

*ब्रेकिंग:- 4 हजार एकड़ के मालिक खुड़िया दिवान के पुत्र दाने – दाने को मोहताज, न रियासत राजतंत्र न दीवानी, अब लगे तथाकथित दिवान पर फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप, आरोप यह कि प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा फर्जी ढंग से परिजन आवेदकगणों के पीठ पीछे राजस्व अधिकारियों से सांठ – गांठ कर आवेदकगणों की भूमियों से उनका नाम कटवा कर सभी भूमियों पर अपना नाम दर्ज करा लिया गया……पढ़िये पूरी खबर, कैसे हुआ करोडों का फर्जीवाड़ा*

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जशपुरनगर। खुड़िया दिवान स्व . उचित नारायण सिंह के नाम से पुस्तैनी भूमि जो बगीचा तहसील के लगभग 36 गांव में कुल 4,000 एकड़ स्थित थी , जिसमें वर्ष 2020 तक शिकायतकर्ता अजीत नारायण सिंह, सर्वनारायण सिंह एवं बृन्दा सिंह का नाम सम्मिलित था । जिसमें वर्ष 2021 में आवेदकगणों का भतिजा प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा राजस्व अधिकारियों से सांठ – गांठ कर आवेदकगणों का नाम उनकी पुस्तैनी भूमि से विधि विरूद्ध ढंग से कटवाकर स्वयं का नाम दर्ज कराकर लगातार समस्त भूमियों को विक्रय कर दिया गया।
मामले की शिकायत करते हुए शिकायतकर्ताओं ने उपरोक्त संबंध में राजस्व अभिलेखों की जांच कर आवेदकगणों का नाम उक्त भूमियों पर दर्ज कराये जाने की मांग की है एवं उक्त भूमियों के विकय पर रोक लगाने हेतु आवश्यक पहल किये जाने की मांग भी की गई है।

शिकायतकर्ताओं ने कलेक्टर जनदर्शन में किये शिकायत के में कहा गया है कि जशपुर जिले में पूर्व में दो स्टेट शामिल थे , जिसमें एक खुड़िया जमीदारी भी थी । जिसके जमीदार दिवान उचित नारायण सिंह थे । स्व . उचित नारायण सिंह के पाँच पुत्र क्रमशः 1. समर विजय प्रसाद सिंह 2. उदय नारायण सिंह 3 . अजीत नारायण सिंह 4. सर्वनारायण सिंह एवं 5 बृन्दा सिंह हुए । उचित समर विजय प्रसाद सिंह एवं उदय नारायण सिंह का देहांत हो चुका है शेष तीन पुत्र आवेदकगण जिवित हैं। स्व . उचित नारायण सिंह के नाम पर खुड़िया जमीदारी में कुल 36 गांव शामिल थे , जिनमें लगभग 4,000 एकड़ भूमि स्थित थी । उक्त भूमियों पर स्व . उचित नारायण सिंह के मृत्यु के पश्चात उपरोक्त पाँचों पुत्रों का नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज था तथा वर्ष 1994–1995 ई तक आवेदकगणों का कब्जा उक्त भूमियों पर था। उसके पश्चात आवेदकगणों का भतिजा प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा आवेदकगणों को यह कहते हुए गुमराह किया गया कि आपकी सभी भूमियों का विक्रय हो चुका है और धारा 170 ख के तहत केस लड़ना है। इसलिए कब्जा खाली कर दें। उसके पश्चात आवेदकगणों को प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा ठग फुसला कर कब्जा खाली करा लिया गया । उसके बाद भी वर्ष 2020 तक आवेदकगणों का नाम उपरोक्त भूमियों पर शामिल था किन्तु वर्ष 2021 में प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा फर्जी ढंग से आवेदकगणों के पीठ पीछे राजस्व अधिकारियों से शांठ – गांठ कर आवेदकगणों की भूमियों से उनका नाम कटवा कर सभी भूमियों पर अपना नाम दर्ज करा लिया गया। उक्त संबंध में आवेदकगणों को ग्राम सन्ना में स्थित भूमि खसरा कुल 4 , रकबा 1.052 हे ० की जानकारी पहली बार हुई , जिसपर आवेदकगणों के द्वारा उक्त भूमि से प्रदीप नारायण सिंह का नाम काटकर स्वयं का नाम चढाये जाने हेतु तहसीलदार सन्ना के न्यायालय में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है । किन्तु शेष लगभग 35 गांव के भूमियों के राजस्व अभिलेख आवेदकगणों को उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं , जिसके कारण आवेदकगण जो वर्तमान में अत्यंत गरीब हैं एवं दुसरे के खेतों में तथा मनरेगा के तहत मजदूरी कर अपना एवं अपने परिवार का पालन – पोषण कर रहे हैं । कारणवश वे इतने सक्षम नहीं है कि सभी गांव के राजस्व अभिलेखों का पता कर सकें।

शिकायतकर्ताओं ने कहा कि इस लिए आवेदकगणों के पूर्वजों की उपरोक्त 4,000 एकड़ भूमि के दस्तावेजों के संबंध में उचित छानबीन कर आवेदकगणों का नाम पुनः उक्त भूमि पर चढाये जाने तथा उक्त भूमियों से आवेदकगणों का नाम काटकर मात्र उनके भतिजे प्रदीप नारायण सिंह का नाम विधि विरूद्ध ढंग से दर्ज करने वाले राजस्व कर्मचारियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध उचित कानूनी कार्यवाही किया जाना उचित होगा।

शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि खुड़िया दिवान स्व . उचित नारायण सिंह की 36 गांव में स्थित लगभग 4,000 एकड़ भूमियों के राजस्व अभिलेखों की जांच कर आवेदकगणों का नाम उक्त भूमियों पर अंकित कराने हेतु आवश्यक पहल करने तथा उक्त भूमियों में प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा अवैध रूप से आवेदकगणों का नाम काट कर अपना दर्ज कराने के संबंध में आवश्यक कार्यवाह करने तथा प्रदीप नारायण सिंह के द्वारा उक्त भूमियों को अवैध रूप से किये जा रहे बिक्री पर रोक लगाते हुए पूर्व में किए गए विक्रय के संबंध में भी उचित जांच करने एवं आवश्यक कार्यवाही करने की मांग शिकायतकर्ताओं ने की है।

लगातार लग रहे आरोप

उल्लेखनीय है कि प्रदीप नारायण सिंह के ऊपर लगातार आरोप लग रहे हैं। इससे पहले सात सौ गांव के मालिक खुड़िया जमीदार गरीबों का हक मारते गरीबी रेखा कार्ड और रोजगार गारंटी का जॉब कार्ड बनवाये जाने का आरोप लगे हैं। पहाड़ी कोरवा एवम बिरहोर विकास अभिकरण के अध्यक्ष मनकुमार राम ने यह सवाल उठाया था। मनकुमार राम ने कहा कि मौका परस्त बहुरूपिये लोग अपने आप को पहाड़ी कोरवा, आदिवासी समाज के नेता बता रहे हैं जो पहाड़ी कोरवा, जनजाति आदिवासी समाज के लोग आदि अनादि काल से जल जंगल जमीन को रक्षा करते हुए आ रहे हैं उनके कर्तव्यों को हत्या करते हुए सौदेबाज लोगों ने आदरणीय कुमार साहब के सपनो को ध्वस्त करते हुए सौदा कर डाले।
पहाड़ी कोरवा एवम बिरहोर विकास अभिकरण के अध्यक्ष मनकुमार राम पहाड़ी कोरवा ने प्रदीप दिवान को लेकर कहा था कि जो दिवान
कुमार साहब के आत्मा बस्ती में बसती है बता रहे हैं फिर उनके द्वारा बताये गए मार्ग को अवहेलना करते हुए एक बार नहीं दो बार उनके द्वारा खड़े किये गए प्रत्यासी को हरवाने का काम किया उनके गृह ग्राम छेत्र को उनके रियासत, विरासत को भी नहीं छोड़ा ऐसे लोग कैसे जनजाति नेता हो सकते हैं। जो लोग हजारों एकड़ जमीन के जमींदार होकर जमीन बेचना और फिर धन का लालच में वापस लेने का काम किया ऐसे लोग कैसे जनहितैषी हो सकते हैं
मनकुमार राम ने कहा कि अगर प्रदीप दिवान सात सौ गांव के मालिक है और अपने को राजपरिवार और खुड़िया जमीदार कहते हैं तब वे गरीबी रेखा कार्ड बनाकर और रोजगार गांरटी योजना में जॉब कार्ड बनाकर किसी गरीब आदिवासी का हक क्यों मार रहे हैं।जबकि आज तक किसी भी व्यक्ति ने उन्हें हाथ मे कुदाल उठाकर रोजागर गारंटी में काम करते हुए नहीं देखा है फिर भी उन्हें रोजगार गारंटी योजना का मजदूरी कैसे मिल रहा है ।यह गम्भीर आरोप हर्राडिपा के ग्रामीणों ने उठाया है जिस पर जिला प्रशासन को गम्भीरता पूर्वक जांच करते हुए दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करना चाहिए। मनकुमार राम ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए कहा कि न केवल पाठ क्षेत्र में बल्कि देश के जिस भी हिस्से में कोई भी सक्षम व्यक्ति यदि गरीब लोगों के चावल और उनके रोजगार पर डांका डालकर उनके हक छिनने का प्रयास किया है उन सबके विरुद्ध जांच होनी चाहिए और ऐसे सभी लोग जो सक्षम होकर गरीबी रेखा कार्ड बनाकर सरकारी चावल और मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाकर मजदूरों का हक मार रहे हैं उन सभी को जेल भेजना चाहिए और इसके लिए वे भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर मामले की गम्भीरता से जांच की मांग करेंगे।

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