जशपुरनगर 27,जनवरी,2024/ घने जंगलों में पेड़ों पर घर बना कर निवास करने वाले विशेष संरक्षित जनजाति बिरहोर को,समाज की मुख्यधारा में लाना चुनौतीपूर्ण कार्य था। मानव समाज से दूर रही यह जनजाति,अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार के विशेष प्रयास से,80 के दशक में जंगल से निकल कर,बस्त्यिों में बसाई गई थी। लेकिन,आम लोगों के बीच रहने के बाद भी,यह सामान्य जीवन मे घुल मिल नहीं पा रहे थे। ऐसे में शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में,बिरहोर जनजाति की स्थिति पहाड़ी कोरवाओं से भी दयनीय हो चुकी थी। ऐसे समय में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित जिले के समाज सेवक बिरहोर भाई जगेश्वर राम यादव ,विलुप्ती के कगार पर पहुंची इस जनजाति के लिए मसीहा बन कर सामने आए। उन्होनें,इस जनजाति का विश्वास प्राप्त करने के लिए चप्पल त्याग कर,नंगे पांव घूमना शुरू कर दिया। बिरहोर जनजाति के लोगों की तरह कम कपड़े पहन कर,जमीन में सोने लगे। अपनत्व का अहसास कर,बिरहोर जनजाति के लोग,जगेश्वर राम यादव के नजदीक आए। पहली चुनौती पार करने के बाद, जगेश्वर राम के सामने,सरकारी सहायता प्राप्त कर,इन्हें विकास की मुख्यधारा में लाना था। इस कार्य में जगेश्वर राम के सहयोग के लिए सामने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,जो उस समय,रायगढ़ लोक सभा क्षेत्र के सांसद थे। विष्णुदेव साय और जगेश्वर राम यादव ने मिल कर बिरहोर जनजाति के विकास के लिय प्रयास शुरू किया।
जागेश्वर राम ने बताया कि उनकी प्राथमिकता थी,बिरहोर जाति के युवाओं को शिक्षा से जोड़ना। इसके लिए,उनकी बस्ती के समीप ही स्कूल का होना आवश्यक था। तात्कालिन सांसद और वर्तमान में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से जब उन्होनें अपनी समस्या बताई तो,साय ने तत्काल केन्द्र और राज्य सरकार से पत्राचार कर,रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ और जशपुर जिले के भीतघरा में विशेष आवासीय बिरहोर आश्रम शाला स्वीकृत कराया। इस आश्रम शाला के खुल जाने से बिरहोर जनजाति के युवाओं को घर के पास ही आवासिय स्कूल की सुविधा मिल गई। इन स्कूलों में बच्चों के आ जाने से बिरहोर जाति के लोग शिक्षा से जुड़े। सालों तक चलते रहे निरंतर प्रयास के बाद,इन दिनों यह विशेष संरक्षित जनजाति के लोग हायर सेकेण्डरी और कालेज की पढाई कर,सरकारी नौकरी के क्षेत्र में कदम रख रहें है। इसके बाद विष्णुदेव साय के साथ मिल कर,जागेश्वर राम ने बिरहोरों के स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रीत किया। स्वच्छता के साथ अच्छे खानपान और बीमार होने पर,नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाने के लिए प्रोत्साहित किया। तात्कालिन सांसद की सहायता से जगेश्वर राम ने बिरहोरों के लिए खाट की व्यवस्था कि ताकि वे जहरीले सांपों से सुरक्षित रह सके।नतीजा,आज वन से निकलने के लगभग 4 दशक के बाद,बिरहोने सामान्य जीवन जीने की राह में तेजी से आगे बढ़ रहें हैं। विशेष संरक्षित जनजाति बिरहोर और पहाड़ी कोरवाओं के विकास के लिए समर्पित,बिरहोर भाई के नाम से प्रसिद्व जगेश्वर राम,अपनी समाज सेवा में मिली सफलता का श्रेय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को देते हैं। उनका कहना है कि सांसद के रूप में विष्णुदेव साय ने हर कदम में उनका कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया। जिससे,बिरहोर जनजाति के जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
