Jashpur
*सरोकार:- जशपुर जिले में 2 सौ से अधिक लोग एड्स के शिकार, जागरूकता के लिये एनसीसी कैडेट ने निकाली रैली, नागरिकों को एडस के प्रति जकरुक रहने ध्यान आकर्षित किया, की अपील…….*
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3 years agoon
जशपुरनगर। एनसीसी कैडेटों द्वारा एड्स जागरूकता रैली शासकीय राम भजन राय एन ई एस स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुर के एनसीसी के छात्र सैनिकों द्वारा 28 बटालियन एनसीसी के कमान अधिकारी कर्नल विनय कुमार मल्होत्रा के निर्देशानुसार आज एड्स जागरूकता साइकल रैली का आयोजन किया गया। छात्र सैनिकों के इस रैली को झंडा दिखाकर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय रक्षित महाविद्यालय से रवाना किया गया। रैली मुख्य मार्ग से रक्षित पुलिस लाइन, जैन मंदिर, बस स्टैंड ,महाराजा चौक ,सन्ना रोड ,करबला रोड ,होते हुए महाविद्यालय परिसर में रैली समाप्त हुई। मार्ग में छात्र सैनिकों ने एड्स के विरोध गगनचुंबी नारा लगाकर आम नागरिकों को एडस के प्रति जकरुक रहने अपना ध्यान आकर्षित किया।
रैली का नेतृत्व एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट आनंद राम पैकरा द्वारा किया गया छात्र सैनिकों की उत्साह वर्धन डॉ एके श्रीवास्तव ने किया।
विशेषज्ञों ने कहा कि जानकारी ही है बचाव का सबसे बेहतर उपाय
जशपुरनगर. एड्स को लेकर जानकारी उससे बचाव का बेहतर तरीका है। जिले में एड्स ने तेजी से पांव पसारा है। जानकारी के मुताबिक वर्तमान में 2 सौ से अधिक लोग जिले में hiv संक्रमित हैं, इसके वास्तविक जानकारी नहीं दी जाती है, वहीं लगभग एक दर्जन लोगों की एड्स से मौत भी हो चुकी है।पर जागरूकता के कारण जिले में इसपर नियंत्रण लाने सफलता मिल रही है। जागरूकता और जानकारी प्राप्त के ही इस भयावह बिमारी से लड़ा जा सकता है। जिसके लिए सबकी सहभागिता जरूरी है। जशपुर जिला आदिवासी बाहुल्य है। जिले के ग्रामीण अंचल से बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा मजदूरी करने या अन्य कार्य करने के लिए महानगरों की ओर जाते हैं। वहां से वापस आने पर वे जाने-अनजाने अपने साथ एड्स का संक्रामक वायरस भी अपने साथ ले आते हैं। इसके अलावा जिले से राष्ट्रीय राजमार्ग भी गुजरता है। इस मार्ग में चलने वाले कई ट्रक ड्राइवर व खलासी एक से अधिक ग्रामीण महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लेते हैं। जिसके चलते वे महिलाएं व उनके पति एचआईवी से ग्रसित हो जाते हैं। इसके बाद उनके माध्यम से इसका प्रसार अन्य लोगों तक भी हो जाता है।
आदिवासी बाहुल्य होने और अशिक्षा के कारण अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में एड्स को लेकर शुरूआती वर्षों में उतनी जागरूकता नहीं आ पाई थी। लेकिन धीरे-धीरे बीते वर्ष एड्स को लेकर प्रचार साधनों से लोगों को इस रोग के बारे में काफी जानकारी मिली है। जिससे इसे लेकर लोगों में जागरूकता भी आने लगी है। हालांकि अभी भी दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश ग्रामीण इस भयावह रोग से अनभिज्ञ हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग एड्स के व्यापक प्रचार-प्रसार का दावा जरूर कर रहा है।
क्या हैं लक्षण : चिकित्सकों के अनुसार एड्स के पहचान के लिए अलग से कोई लक्षण नहीं होता है। जो व्यक्ति एचआईवी से ग्रसित हो जाता है, उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। उसके शरीर में किसी भी रोग का आक्रमण होने पर वह रोग जल्दी ठीक नहीं होता। एचआईवी पीडि़त का वजन तेजी से घटने लगता है। उन्हें दस्त होने लगते हैं।
7 केंद्रों में होती है जांच, दी जाती है सलाह : जिले में एचआईवी जांच व परामर्श के लिए ७ स्थानों जशपुर, कुनकुरी, कांसाबेल, पत्थलगांव, बगीचा, कोतबा व लोदाम में स्वैच्छिक गोपनीय जांच व परामर्श केंद्र की स्थापना की गई है। इन केंद्रों में लोगों के खून में एचआईवी की जांच गोपनीय रूप से की जाती है। इन केंद्रों में एक काउंसलर व टेक्नीशियन पदस्थ हैं। अगर कोई एचआईवी पॉजीटिव पाया जाता है, तो केंद्र में पदस्थ काउंसलर उन्हें आवश्यक परामर्श देते हैं। पहले की तुलना में अब लोग संकोच व झिझक दूर कर इन जांच केंद्रों में अपनी जांच कराने के लिए पहुंचने लगे हैं।