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धनतेरस पर बाजारों में नहीं दिखी ग्राहकों की रौनक,प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर रखते हुए सभी फटाखा दुकानों को तिलगोड़ा मैदान में लगवाया तो उम्मीद के अनुरूप नहीं हुई बिक्री,पटाखा व्यापारियों में मायूसी
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3 years agoon
कोतबा(मयंक शर्मा):- जिस तरह मंदिर में रौनक भक्तों से होती है घर में रौनक बच्चों से होती है ठीक उसी तरह बाजारों में रौनक ग्राहकों से होती है। अगर मंदिर में भक्तों ना हो तो भगवान अकेला बैठा रहेगा घर में अगर बच्चे ना हो तो व्यक्ति अकेलेपन से घिर जाएगा। ठीक उसी तरह अगर बाजारों से ग्राहक गायब हो जाएं तो दुकानदार भी मायूसी की कगार पर पहुंच जाता है। ठीक ऐसा ही कुछ नजारा धन के त्यौहार धनतेरस पर कोतबा नगर के बाजारों में देखा गया जहां पर दुकानदार मौजूद थे व दुकानों पर भरपूर मात्रा में सामान उपलब्ध था मगर उस सामान को खरीदने वाले ग्राहक बाजारों से नदारद रहे।
दुकानदार अपनी दुकानों को सजाकर ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहे मगर ग्राहक दुकानों से नदारद दिखे या बाजारों में ग्राहकों की संख्या बहुत ही कम नजर आई जिससे दुकानदारों का उत्साह खत्म हो गया। दुकानदार धनतेरस त्यौहार आने से पहले कहीं ना कहीं से पैसे का इंतजाम कर अपनी दुकानों में भरपूर मात्रा में सामान भर रखा था क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि धनतेरस के त्यौहार पर दुकानों पर अच्छी बिक्री होती है मगर हुआ उसका उल्टा। बाजारों में ग्राहकों की रौनक नहीं दिखी जिससे दुकानदारों के चेहरे मुरझाए हुए दिखाई दिखे।
लाइसेंसी पटाखा व्यापारी हेमन्त शर्मा(मोन्टी)का कहना है कि इस बार पटाखे महंगे हैं इसलिए पटाखों की बिक्री कम होने की संभावना है । अभी दुकानों पर ग्राहक नहीं आ रहे और आ भी रहे तो बहुत कम मात्रा में पटाखे ले जा रहे हैं । जीएसटी लगने की वजह से पटाखे महंगे हैं चाइना के पटाखे सस्ते आते थे मगर इस बार हम सभी दुकानदारों ने चाइना के पटाखों का बहिष्कार कर दिया है । यहां पर सभी दुकानों पर जो भी पटाखे मौजूद है वह सब देसी निर्मित हैं किसी भी दुकान पर चाइना का पटाखा उपलब्ध नहीं है।वही लाइसेंसी पटाखा व्यापारी मोनू शर्मा ने बताया कि जशपुर जिला प्रशासन के निर्देशानुसार नगर के सभी पटाखा व्यापारियों ने नगर पंचायत कोतबा द्वारा तिलगोड़ा प्राँगण में आबंटित दुकानों में लाखों की लागत लगा कर हमने दुकाने तो खोल ली लेकिन ग्राहक बाजार से नदारद रहे बीते वर्षो में बस स्टैंड मुख्य मार्केट के समीप दुकाने लगती थी तो राहगीरों सहित अनेक गाँवो के ग्राहक पटाखा ले जाते थे। धनतेरस के ही दिन 30 से 50 हजार की बिक्री होती आई है लेकिन इस वर्ष जगह बदल जाने से 3 हजार की बिक्री हो पाई आने वाले दिनों में भी ऐसा ही बाजार में ग्राहकों का आना नही हुवा तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी प्रकार प्रेमचंद गुप्ता ने भी बताया कि जगह परिवर्तन से पटाखा दुकाने मुख्य बाजार से हट कर अंदर हो गई है जिससे बाहरी ग्राहकों को जानकारी ही नही है कि पटाखा दुकाने लगी कहा है। जिससे ग्राहक दुकानों तक पहुंचे ही नही और त्यौहारी सीजन में जहाँ धनतेरस के दिन बाजारों में धनवर्षा होती है वहाँ पटाखा बिक्री ठप रही है।वही लाइसेंसी पटाखा व्यापारी विनोद अग्रवाल ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के निर्देशानुसार तिलगोड़ा प्राँगण में हमने भी दुकाने लगाई थी। लेकिन ग्राहक अन्य वर्षो की अपेक्षाकृत नही के बराबर पहुंच रहे है।
आपको बता दे कि हमारे द्वारा मार्केट में किए गए निरीक्षण में यह बातें स्पष्ट सामने आ रही है कि जहाँ एक औऱ अधिक आबादी वाले शहरी इलाकों में तो खुले मैदानों में प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के अनुरूप दुकाने लगवा दी गई लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में किराना दुकानों में ही पटाखा का विक्रय बिना लाइसेंस के ही धड़ल्ले से चल रहा है। जिस पर प्रशासन कोई कार्यवाही नही कर रहा है। जिससे लाइसेंसी पटाखा व्यवसायियों को नुकसान उठाने की स्थिति निर्मित हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिना सुरक्षा मापदंडों को अपनाए पटाखा दुकानों का संचालन किया जा रहा है। और नागरीय क्षेत्र में मुख्य मार्केट से हट के पटाखा दुकानों का संचालन के लिए स्थल निर्धारित होंने से पटाखा व्यापारी नीयत स्थल पर संचालन की मजबूरी बन गई है। मार्केट में ग्राहकों की कमी व्यापारियों को खलने लगी है। तो पटाखा व्यापारी मायूस नजर आ रहे है।
0. मुख्य बाजार का भी रहा यही हाल
वैसे तो पूरे कोतबा नगर में काफी दुकानें हैं मगर शहर का मुख्य बाजार बस स्टैण्ड के पास से शुरु होकर कारगिल चौक तक सीमित रह जाता है । बस स्टैण्ड से कारगिल चौक के बीच मुख्य मार्ग में ही दुकानदार अपनी दुकानों को सजा कर सामान बेचने का काम करते हैं जिनमें से कुछ दुकानदार स्थानीय होती हैं और कुछ दुकानदार आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आकर यहां दुकान लगाते हैं । बाजार में घर को सजाने का सामान , मिट्टी के दीपक, रंगोली ,प्रसाद, जानवरों को बांधने वाले मुरगड़े , आदि सामानों को बेचा जाता है । इन सामानों को त्योहारों पर रोजमर्रा का सामान माना जाता है यहां के दुकानदारों का कहना है कि यहां पर पिछले सालों की अपेक्षाकृत बहुत कम बिक्री है । सामान नहीं बिक रहे हैं दुकानों पर भरपूर मात्रा में सामान उपलब्ध है मगर बाजारों में ग्राहक नहीं देखे जा रहे । वहीं दूसरी तरफ कपड़ों का बाजार भी बिक्री कम है कपड़ों के दुकानों पर अपेक्षा से कम ग्राहक जा रहे हैं यहां दुकानदारों का कहना है कि पिछले कई सालों में यह सबसे कम बिक्री का समय है । त्यौहार पर अधिक बिक्री होने की उम्मीद में हमने भरपूर मात्रा में कपड़ा खरीद कर रखा है मगर दुकानों पर ग्राहक बहुत ही कम आ रहे हैं और बिक्री अपेक्षाकृत बहुत कम हो रही है । वही सर्राफा बाजार में सोने चांदी के दुकानदारों में अच्छी खासी मायूसी देखी गई धनतेरस पर सोने चांदी की खरीद फरोख्त का अपना एक महत्व है । धनतेरस पर लोग सोने चांदी के आभूषणों को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं मगर इस दीपावली पर सोने चांदी के सामानों की बिक्री ना के बराबर है । सोने चांदी के दुकानदारों का कहना है पिछले कई सालों में इस त्यौहार पर यह सबसे कम बिक्री है । इससे ज्यादा तो हम रूटीन के दिनों में बिक्री कर लेते हैं मगर धनतेरस के त्यौहार पर ग्राहक नहीं आ रहे और बिक्री ना के बराबर है । बर्तनों की दुकान पर भीड़ देखी गई वहां पर बर्तनों की खरीददारी करते हुए ग्राहक काफी मात्रा में नजर आए । तिलगोड़ा स्थित पटाखा बाजार में भी ग्राहक नहीं जा रहे दीपावली पटाखों का त्यौहार माना जाता है और दीपावली पर लोग पटाखे जरूर चलाते हैं । मगर इस बार पटाखा दुकानदारों में भी मायूसी देखी जा रही है दुकानदारों ने अपनी दुकानों पर भरपूर मात्रा में पटाखों का माल भर कर रखा है । मगर वहां से भी ग्राहक नदारद हैं लोगों का मानना है कि यह जीएसटी का असर है कि मार्केट में ग्राहक नजर नहीं आ रहे है।