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Jashpur

*आस्था:– सावन मास के पहले सोमवार को शिवालायों में जलाभिषेक करने भक्तों की उमड़ी भीड़, जिले के विभिन्न शिव मंदिरों में गूंजा बोल बम का नारा…………..*

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कोतबा :-सावन माह के पहले सोमवार को सतिघाट शिवधाम में गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन कर जलाभिषेक करने हजारों भक्त भारी संख्या में पहुंचे। सावन मास में यह मंदिर को विशेष साज सज्जा से सजाया गया है। यहां पहुँचने वाले भक्तों की सुरक्षा के मद्देनजर कोतबा पुलिस हर वक्त मन्दिर में तैनात है।मन्दिर में रोजाना जलाभिषेक, पूजन,आरती,रुद्राभिषेक सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भव्य रूप से सम्पन्न कराया जा रहा है।

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श्रावण सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुचे अल्प सुबह से ही भक्तगण फूल, दूध, बेलपत्र आदि लेकर मंदिर पहुंचने लगे थे। जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग व युवा सहित बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुये। मन्दिर समिति के सदस्यों द्वारा मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था देखते हुए जलाभिषेक व अन्य कार्यक्रमों का सफल संचालन किया गया।सतिघाट धाम गुप्तेश्वर महादेव भगवान शिव का दूध, जल आदि से अभिषेक किया गया। इस दौरान ओम नमः शिवाय के जयकारे से शिवालय गूंजते रहे। भक्तों ने भोले बाबा के दर्शन का लाभ लिया।
मंदिर के पुजारी सुदामा शर्मा जी महराज ने बताया कि सावन में पूरे महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना होती है। सोमवार को पूजा का विशेष महत्व है। जिसके चलते सावन के दूसरे सोमवार को भक्तगण कतार में सुबह से ही भगवान शिव के दर्शन व पूजन के लिए शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। वही पण्डित धीरज शर्मा ने बताया कि नगर के वार्ड क्रमांक 1 में स्थित सतिघाट धाम शिव मंदिर में सुबह चार बजे से ही भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पहुंचने लगे थे। महादेव का अभिषेक के बाद भक्तों ने विधि-विधानपूर्वक पूजा अर्चना की। दिनभर मंदिर में भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते रहे। मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पहुंचे भक्त बसंत गुप्ता,प्रवीण अग्रवाल, सुमित शर्मा पिंटू अग्रवाल,बसंत शर्मा,मयंक शर्मा ने बताया कि सावन महीने के सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है, जिसके चलते वे व्रत रखकर मंदिर आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के पूजारी पंडित सुदामा शर्मा ने बताया कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है। भगवान शिव का जल, दूध, नैवेद्य से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को विषैले पुष्प प्रिय हैं, इसलिए धतुरा, मदार व बेल पत्र आदि भगवान शिव को अर्पण कराना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी पर आकर मंदिरों में वास करते हैं, जिसके कारण सावन की शिव पूजा का विशेष महत्व होता है।

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.धर्मनगरी कोतबा में दूसरी बार सावन माह भर होगा महा रूद्राभिषेक का आयोजन

धर्मनगरी कोतबा स्थित सतिघाट शिवधाम मन्दिर में दूसरी बार श्रावण माह के पूरे दिनों में रोजाना महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है।जिसमे प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक महारुद्राभिषेक का विधिविधान से नियमित आयोजन जगत कल्याण की कामना को लेकर किया जा रहा है जिसमे समस्त नगरवासियों सहित आस पास के शिव भक्त हिस्सा ले रहे है वही सावन के पहले सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु विश्व शान्ति की कामना लेकर महारुद्राभिषेक में सम्मिलित हुए। महारुद्राभिषेक करा रहे पंडित धीरज शर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में सभी प्रकार के परेशानी से मुक्ति हेतु महा रुद्राभिषेक अति फलदायक है। वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य पुष्प, चंदन, रोली, चावल, दुर्बा, बेलपत्र, सुपारी, कलावा, यज्ञाेपवीत, इत्र, गुलाब जल आदि सामग्री से भगवान शंकर का महा रुद्राभिषेक करने से इस संसार से कोरोना रूपी महामारी का अंत होगा और समस्त जनमानस को भगवान शिव की आराधना-उपासना से स्वास्थ्य लाभ होगा। संसार में जब भी संकट आया है। भगवान शंकर ने ही संसार की रक्षा की है।उन्हें मनाने व जगत कल्याण के लिए महारुद्राभिषेक किया गया है।

. क्षेत्र भर के श्रद्धालु हो रहे शामिल

 

सावन मास के दूसरे सोमवार को क्षेत्र के गोलियागड़, फरसाटोली,गंझियाडीह, महुआडीह सहित विभिन्न क्षेत्र के लोग शामिल हुये सबसे अधिक महिलाओं ने कोतबा स्थित सतिघाट धाम में विराजे भगवान भोले नाथ का जलाभिषेक करते हुये पूजा अर्चना कर वे अपने गांवो में स्थापित मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिये जल उठाकर 8 से 10 किलोमीटर पैदल गये दार्शनिक रूप में विकशित हो रहे सतिघाट धाम में दिनों दिन भक्तों के आवाजाही में भारी इजाफा हो रहा है यहां कल कल करके बहती भैवनी नदी और हनुमान जी के 31 फिट के बने मूर्ति सहित पौराणिक काल के अदभुत पत्थरों पर बने पहचान से लोग और अधिक आकर्षित हो रहे है लोगो सहित यहां के बुजुर्गों का मानना है कि इसी राह से भगवान राम और सीता का गमन हुआ था उनके द्वारा रखे केला आम जो पत्थरों पर निशान दिख रहे है वह वास्तविकता है लोगो का मानना है कि पत्थरों पर बने निशान में हिरण का वध भी किया गया है जिसके रक्त के निशान आज भी उस काल को उन्हें याद दिलाते है,यह मान्यता आदिकाल से चलते आ रहे है जिसकी वे अनुकरण करते है यह जगह में बिशेष रूप से सनातन धर्म से जुड़े लोगों ने जीवंत रखा है यहां प्रतिदिन विशेष पूजा पाठ और रात्रि आरती का आयोजन किया जाता है।

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