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*सजल नयन से बही सम्वेदना और शिक्षा दूत बालिका रितिका बाई को मिल गया उड़ने के लिए पंख, छूट गई थी पढ़ाई अब जीवंत हो गया जज्बा, पहले बच्चों की जिंदगी निखरी अब सब रितिका की जिंदगी निखारने कर रहे पहल, पढ़ें पूरी खबर और देखें आसपास क्या हम सब भी ऐसा कर सकते हैं…..जानिये कौन है रितिका और उसने ऐसा क्या किया कि बन गई सामाजिक कार्यकर्ताओं की लाडली…..*
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3 years agoon
जशपुरनगर। शिक्षा से दूर हो रही जशपुर की एक होनहार बेटी को उड़ने के लिए पंख मिल गया है। आर्थिक विषम परिस्थितियों के कारण शिक्षा से दूर हो रही है रितिका को सजल समूह एवं संवेदना सदस्यों की विशेष पहल से फिर से एक बार शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ने मदद एंव प्रोत्साहित किया गया है। रितिका को जहां डीएड में प्रवेश तक की तैयारी करावते हुए जहां खर्च वहन किया गया, वहीं सजल समूह के द्वारा नई सायकिल दी गई।
सामाजिक सरोकार से जुड़ी इस कहानी को साझा करना इसलिए जरूरी है कि दोनों ही समूह यह चाहते हैं कि समाज में ऐसे जरूरतमंद लोगों की मदद सक्षम लोग करने के लिए आगे बढ़े।
कहानी कोरोना काल से शुरू होती है, गत वर्ष जब lock-down की प्रथम वेब आई थी तब बघिमा ग्राम के प्राथमिक स्कूल गवर्नमेंट प्रायमरी इंग्लिश मीडियम स्कूल बघिमा में स्कूल की ही एक पूर्व छात्रा ने शिक्षा दूत के रूप में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ गांव की ही बगीचे में पढ़ाने में काफी मदद की थी। तब स्कूल के शिक्षक व्हाट्सएप के माध्यम से कार्य बच्चों को भेजते थे और शिक्षा दूत रितिका अपने फोन के माध्यम से उन कार्यों को बच्चों को दिखाकर पूरा करवाने का प्रयास करती थी। संभवत शिक्षा दूत नाम के शब्द का प्रारंभ भी यहीं से हुआ था। लॉक डाउन 2 के समय भी बालिका रीतिका ने बच्चों को पढ़ाई में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और शिक्षकों द्वारा फ्री कान्फ्रेंस कॉल एप के माध्यम से फीचर फ़ोन वाले बच्चों को जोड़ा जाता था, तब रितिका उन बच्चों एवं पालकों को तकनीकी सहायता प्रदान करती थी।
रितिका के बच्चों को पढ़ाने की सूची को देखकर अचानक ही शिक्षक एंव सम्वेदना के वरिष्ठ सदस्य एलन साहू के मन में ख्याल आया कि यह बालिका कहां तक पढ़ी है और क्या यह भविष्य में टीचर बनने का सपना रखती है। बालिका रितिका ने बताया कि वह 12वीं तक पढ़ी है और कुछ आर्थिक मजबूरी और कुछ अज्ञानता के कारण उसकी पढ़ाई रुकी हुई है। लेकिन अगर उसे भविष्य में पढ़ने का मौका मिले तो आगे भी को पढ़ना चाहेगी।
एलन साहू ने उससे कहा कि अगर वह D.Ed करना चाहे तो मैं उसे अपने व्यव से D.Ed करा दूंगा। ( D.Ed के संबंध में इसलिए पूछा क्योंकि वर्तमान में शिक्षक बनने के लिए इस डिग्री की नितांत आवश्यकता होती है।) उसने तत्काल ही D.Ed करने की इच्छा जताई।
चूंकि गत वर्ष lock down होने के कारण D.Ed में एडमिशन हेतु प्री D.Ed का एग्जाम नहीं हुआ था और डीएड के सीटों पर 12 वीं के परसेंट के हिसाब से अभ्यर्थियों को सीट आवंटित की गई थी। शिक्षा दूत रीतिका का परसेंट काफी कम होने के कारण गत वर्ष का D.Ed में इसका सिलेक्शन नहीं हो पाया।
एक वर्ष यूं ही व्यर्थ ना जाए यह सोचकर उसे सुझाव दिया कि अगर वह 12वीं में श्रेणी सुधार करना चाहे तो एग्जाम में बैठ सकती है और उसका व्यव भी उठा लिया जाएगा। उसने सुझाव को माना। अब इसे कोरोना काल के कारण पढ़ने की जिजीविषा में 12वीं में वह 77% के साथ उत्तीर्ण हुई।
इसके पश्चात आगामी वर्ष यथा 2021-22 में डीएड करने हेतु प्री डीएड के एग्जाम हेतु श्री साहू ने उसे pre D.Ed का बुक खरीद कर दे दिया, और आग्रह किया कि वह इससे तैयारी करते रहे थे ताकि प्री D.Ed एग्जाम में उसका रैंक अच्छा आये और जशपुर डाइट में D.Ed हेतु एडमिशन हो जाये।
लगभग 5 वर्षों से बालिका की पढ़ाई छुटी हुई थी फिर भी प्री डीएड का एग्जाम उससे ठीक ठाक गया और डाइट जशपुर में उसे D.Ed हेतु प्रथम चरण की काउंसलिंग में ही सीट आवंटित हो गया। डाइट जशपुर में वर्षभर के फीस के साथ एडमिशन करवाया गया और उसके D.Ed करने में आर्थिक मदद करते रहने का पुनः आश्वासन दिया गया।
जो बालिका 1 वर्ष पूर्व हमारे स्कूल के बच्चों को पढ़ाकर हमारी मदद की थी, आज उसे शैक्षिक मार्गदर्शन कर D.Ed में एडमिशन करवाने में सहयोगियों को बहुत खुशी की अनुभूति हुई।
अब बात आई गांव से डीएड संस्था तक आने की, बालिका का निवास ग्राम बघिमा से डाइट जशपुर की दूरी करीब 5 – 6 km हैं। बालिका के पास वर्तमान में सायकिल नहीं था।
यह बात सामाजिक सरोकार के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे संवेदना समूह के व्हाट्सएप ग्रुप में रखी गई जिसके बाद बालिका को मदद के लिए सदस्यों के हाथ आगे बढ़े। समूह में सजल ग्रुप के भी सदस्य थे जिनके द्वारा तत्काल ही बालिका को साईकिल उसके पसंद के मुताबिक देने की बात कही गई और सजल समूह की बहनों ने तुरंत ही रितिका के मनपसंद मुताबिक साइकिल खरीद कर उसे भेंट किया। साइकिल पाकर रितिका के मन में उत्साह देखने को मिला और उसने वादा किया कि जिस उम्मीद से उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है वह उम्मीदों पर खरा उतरने के साथ समाज में अपनी श्रेष्ठ भूमिका निभाने कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
संवेदना सदस्य एवं सजल समूह की बहनों ने कहा है कि वे रितिका ही नहीं बल्कि ऐसे हर जरूरतमंद लोगों की प्रतिभाओं को निखारने और उनकी मदद करने के लिए हमेशा हर संभव प्रयास करने को तत्पर है।