Jashpur
*स्वर्ण जयंती : श्रद्धेय चिन्मय पंड्या ने दिया जीवन को आलोकित करने का संदेश,कहा जब व्यक्ति के जीवन मे बोध का ज्ञान आता है तो वह बुद्ध बन जाता है,”अप दीपो भव” का उन्होंने दिया संदेश,सर्वधर्म समभाव को प्रकाशित करते हुए “दीप महायज्ञ के आयोजन में जगमगाए हजारों दीप,ब्रम्ह मुहूर्त में आद्यशक्ति माँ गायत्री की हुई प्राण प्रतिष्ठा…*
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3 years agoon
पत्थलगांव,22 अक्टूबर 2021।अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित 9 कुंडीय गायत्री महायज्ञ व चेतना केंद्र के प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर श्रद्धेय डॉ चिन्मय पंड्या पत्थलगांव पंहुचे जहां वे दीप महायज्ञ में शामिल हुए।यहां उन्होंने आम जनमानस को आशीर्वचन देते हुए जीवन में अंतःकरण को प्रकाशित करने का संदेश दिया।डॉ पंड्या के मर्मस्पर्शी उद्बोधन को सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया।उनके ओजस्वी व सकारात्मक विचारों से जनमानस सराबोर रहा।
गायत्री परिवार के परिजनों व स्थानीय नगरवासियों ने डॉ चिन्मय पंड्या का भव्य स्वागत किया।दीपयज्ञ की शुरुआत संगीत टोली के गायक पुष्कर राज ने अपने सुमधुर प्रज्ञा गीत धरा पर अंधेरा बहुत छा रहा, दिए को दिए से जलाना पड़ेगा गाकर जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के संयोजक पवन अग्रवाल ने स्वागत संबोधन में टोली नायक जयराम मोटलानी,मुरारी लाल अग्रवाल,रामलाल अग्रवाल,यादव समाज के अध्यक्ष डमरूधर यादव ,नीलू बहनजी का स्वागत करते हुए कहा कि पत्थलगांव गायत्री परिवार समेत यहां के जनता,व्यापारी व स्थानीय लोगों की ओर से वे डॉ चिन्मय पंड्या का स्अवागत करते हैं । नव चेतना केंद्र में समस्त संस्कारों के निर्वहन का संकल्प उन्होंने लिया और विश्वास दिलाया कि आगामी दिनों में इस चेतना केंद्र से नई शक्ति का संचार होगा।
गायत्री परिवार पत्थलगांव के कार्यकर्ता दिलीप भगत ने डॉ चिन्मय पंड्या का परिचय देते हुए बताया कि वे शैलबाला पंड्या व श्रद्धेय प्रणव पंड्या के पुत्र हैं।स्थानीय पढ़ाई के बाद वे ब्रिटेन में डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद अपने मातृभूमि की सेवा के लिए भारत आए और फिर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति बनकर युवाओं को दिशा देने का काम कर रहे हैं।आज युवा आदर्श के रुप ,वे पुरे भारत में युवाओं को जगाने का कार्य कर रहे हैं।
अपने अंतःकरण को करें प्रकाशित
डॉ चिन्मय पंड्या ने दीप महायज्ञ में आए सभी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि दीपक संघर्ष का प्रतीक है जो जन्म जन्मांतर के अंधेरे को एक पल में प्रकाशित कर अंधेरे को दूर भगा देता है।उसी प्रकार दीप यज्ञ का यही महात्म्य है कि अपने जीवन को बाहर भीतर से प्रकाशित करें।अपने जीवन को नई दिशा देने की प्रेरणा है दीपयज्ञ।अप दीपो भव का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि जब बोध का एक क्षण आता है तो इंसान बुद्ध बन जाता है।ऐसे में हमारे जीवन मे जब वह बोध का क्षण आएगा वही हमारे जीवन को बदलकर रख देगा हम महामानव बन सकते हैं।उन्होंने गायत्री चेतना केंद्र की स्थापना को लेकर नई शक्ति, नई ऊर्जा के माध्यम से पुरे क्षेत्र को आलोकित करने की बात कही।
ब्रम्ह मुहूर्त में पंचमुखी गायत्री माता की प्राण प्रतिष्ठा
पत्त्थलगाँव अंबिकापुर रोड में नए गायत्री चेतना केंद्र का शुभारम्भ किया गया।शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे वरिष्ठ परिब्रजकों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ब्रम्ह मुहूर्त में मां गायत्री के पंचमुखी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।यहाँ स्थानीय नागरिकों समेत बड़ी संख्या में गायत्री परिजन उपस्थित रहे।प्रातःकाल स्वस्तिवाचन व वैदिक मन्त्रों के उच्चारण से वातावरण में प्राण ऊर्जा का संचार हो रहा था।यहाँ डॉ पंड्या ने बताया कि व्यक्ति का चिंतन और भाव पूजन हमारी आराधना उपासना में प्राण लेकर आते हैं।
स्वावलंबन केंद्र का शुभारम्भ
स्थानीय अग्रसेन भवन प्रांगण में डॉ चिन्मय पंड्या ने सजल श्रद्धा ,प्रखर प्रज्ञा युवा मंडल द्वारा निर्मित स्वावलंबन केंद्र का शुभारम्भ किया।उन्होंने बताया कि युवाओं के द्वारा आत्मनिर्भर बन्ने की दिशा में उठाया गया यह कदम मिल का पत्थल साबित होगा।ऐसे युवाओ से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है।उन्होंने युवा मंडल को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा बना आकर्षण का केंद्र
यज्ञ स्थल में परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य व माता भगवती देवी शर्मा के प्रतीक स्वरुप स्थापित सजल श्रद्धा व प्रखर प्रज्ञा की झांकी प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनी रही। दीप महायज्ञ के दौरान सर्वधर्म समभाव को प्रदर्शित करती दीपकों की झांकी से हर कोई प्रभावित नजर आया।कांसाबेल से आए कर्मठ गायत्री परिजन रामकुमार थवाईत,नीलिमा श्रीवास,भूपेंद्र भोय व धरमजयगढ़ से आईं श्रीमती इंदु भगत ने साज सज्जा समेत यज्ञ व्यवस्था को लेकर खासा सहयोग किया।
उक्त कार्यक्रम में संयोजक पवन अग्रवाल,डीआर चौहान समेत दिलीप भगत व अन्य युवा मंडल, प्रज्ञा मंडल ,महिला मंडल समेत गायत्री परिजनों,कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय नगरवासियों का खासा सहयोग रहा।