Chhattisgarh
*चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी काफी बढ़ गया था। इन सभी मानसिक समस्याओं के कारण एनी दो बार जीवन समाप्त करने का भी प्रयास कर चुकी थी। घर के सदस्य समझ नही पा रहे थे कि एनी को क्या हो गया है..मनोरोगी को सरल और खुशनुमा माहौल की होती है जरूरत- डॉ.अविनाश, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष स्टोरी…..*
Published
3 years agoon
By
Rakesh Gupta
रायपुर 9 अक्टूबर 2021, एनी (बदला हुआ नाम) को भूल जाने के साथ ही उदास रहना, खाना कम खाना, किसी कार्य में मन नहीं लगना, एकाग्रता की कमी, और नींद न आना जैसी समस्याओं से घिर गयी थी । इसके अतिरिक्त चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी काफी बढ़ गया था। इन सभी मानसिक समस्याओं के कारण एनी दो बार जीवन समाप्त करने का भी प्रयास कर चुकी थी। घर के सदस्य समझ नही पा रहे थे कि एनी को क्या हो गया है। परिवारजनों द्वारा काफी प्रयास करने के बाद भी एनी को कोई फायदा नहीं मिल रहा था।
इस बारे में एनी के पति बताते हैं, ‘’ ऐनी अच्छी गृहणी है लेकिन पिछले 1 वर्ष से उसके व्यवहार में बहुत अंतर आ गया था। हसमुख एनी अब घर के बाहर ही नहीं निकलती थी। वह उदास रहती, बातें भूल जाती है और कभी भी गुस्सा हो जाती थी। इस कारण से घर पर सभी परेशान थे। ऐसी ही एक परेशानी से जूझ रहे मेरे मित्र ने मुझे जिला अस्पताल पंडरी में स्पर्श क्लीनिक जा कर परामर्श लेने का सुझाव दिया। वहां पर स्टाफ द्वारा पूर्व में हुयी सभी घटनाओं के बारे में जानकारी मांगी गयी तत्पश्चात एनी की काउंसलिंग और उपचार शुरू किया गया जिसके परिणामस्वरूप एनी की तबियत में काफी सुधार देखने को मिला। इस तरह हमें स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से उचित मार्गदर्शन मिल पाया।‘’
स्पर्श क्लीनिक के मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला ने बताया:‘’जब एनी यहां आई तब हमने उसकी मानसिक जांच के साथ ही सुसाइड रिस्क एसेसमेंट(आत्महत्या जोखिम आकलन) भी किया। उसपर मानसिक दबाव बहुत ज्यादा था और वह लंबे समय से डिप्रेशन(अवसाद) से ग्रस्त थी। हमें साइकोसोशल इंटरवेंशन (मनोसामाजिक हस्तक्षेप) करना पड़ा। उच्च जोखिम होने के कारण रोगी के पति को पूरी प्रक्रिया से पहले ही अवगत कराया गया ताकि भविष्य में आत्मघात की कोशिश को रोका जा सके । साथ ही डिप्रेशन से उबरने के लिए एनी को दवाएं दीं गयीं और उसकी काउंसलिंग भी की गई ।‘’
निश्चित रूप से मानसिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा है। इसमें रोगी के मन को समझना होता है और उसके अनुरूप ही व्यवहार करना होता है। मनोरोग से पीड़ित व्यक्ति को सामाजिक परिवेश में सम्मिलित रखना और उनको प्रोत्साहित करना उपचार के लिए आवश्यक होता है, डाक्टर शुक्ला ने बताया ।
स्पर्श क्लीनिक की साइकोलॉजिस्ट एवं परामर्शदाता ममता गिरी गोस्वामी कहती हैं:, ‘’ मनोरोगी को ठीक करने में परिवार का व्यवहार अनुकूल होना चाहिए। हमने जोखिम को कम करने के लिए सुरक्षित व्यवहार जैसे कार्य करने को कहा जिसमें नुकसान पहुंचाने वाली चीजों को मनोरोगी की पहुंच से दूर किया गया । सपोर्टिव परामर्श से परिवार और व्यक्ति दोनों को लाभ मिलता है। सपोर्टिव परामर्श का तात्पर्य लोगों को रोगी को खुशनुमा पलों को याद कराना और उसके मनोरंजन के साधन और उसके पसंद के विषय पर उसको केंद्रित करना अमूमन देखा गया है कि परामर्श पूर्व रोगी में एक अलग ही प्रकार की उथल-पुथल चलती है।‘’
ममता कहती है, एनी के विषय में जब उनसे विस्तार से चर्चा की तो पता चला कि उन्हें कुकिंग का बहुत ज्यादा शौक है उनकी उस पसंद को उनके परामर्श का सहारा बनाया गया| एनी को धीरे-धीरे एक सामान्य जीवन की तरफ लाने के प्रयास से अब वह ठीक हो गयी है।
एनी कहती हैं: ‘’ स्पर्श क्लिनिक आकर परामर्श मिलने से मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन आया है। अब मुझे कुकिंग, मनोरंजन के साधन, पसंदीदा फिल्म, पसंदीदा स्थान पर घूमने के साथ साथ परिवार के साथ समय बिताने में आनंद आता है। समय रहते मै सामान्य जिंदगी की तरफ वापस आयी हूँ। उपचार के बाद मुझे अब एक नया जीवन प्राप्त हुआ है।“