Connect with us
ad

Chhattisgarh

*मिशनरी संस्था है जो बिना विदेशी सहायता लिए कैसे कर रही है जनसेवा ? धर्मांतरण का आरोप, जनजातीय सुरक्षा मंच ने उठाई जांच की मांग,संस्था की संचालिका सिस्टर उर्मिला ने दिया जवाब ,पढ़िए खोजी पत्रकार संतोष चौधरी की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..!*

Published

on

IMG 20220107 150049

 

जशपुर (Jashpur) – आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में काम कर रही एक ईसाई संस्था छात्रावास के साथ बीते 42 सालों से लोगों की बीमारी ठीक करने का काम कर रही है।यह संस्था सिस्टर्स ऑफ मैरी इम्माक्युलेट ऑफ बिशप मोरौ ( SISTERS OF MARY IMMACULAT OF BISHOP MORROW) है।

हमने जब इस संस्था की पड़ताल शुरू की तो पता चला यह संस्था 20 अक्टूबर,1981 को रायगढ़ में पंजीकृत हुई।जिसका FCRA सर्टिफिकेट नम्बर S/12087 है।इसका स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ,शाखा – जशपुर में 109139329921 नम्बर का खाता है।
जब इस नम्बर की पड़ताल की गई तो कई चौंकाने वाली जानकारियाँ निकलकर सामने आने लगीं।
ऑडिट रिपोर्ट की मानें तो इस खाते में बीते 20 सालों से अब तक शून्य रुपये हैं।मतलब फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत पंजीकृत संस्था के खाते में विदेश से एक रुपया भी नहीं आया।इसके बाद भी मिशनरी संस्था चल रही है।
जब हमारी पड़ताल आगे बढ़ी तो संस्था का उद्देश्य बताया गया – WORK for family & social welfare in backward areas.weman health hygen.इस एनजीओ की संचालिका सि. उर्मिला कुजूर,सि. लीना फ़र्नान्डिस 4 सदस्यों के साथ काम कर रही है।इन सभी का।पता ज्योति निवास , जशपुर में है लेकिन यहां तो इनमें से एक सिस्टर उर्मिला को छोड़कर कोई नहीं मिले।ये सभी पिछले 4 सालों से जशपुर छोड़कर राँची में रह रहीं हैं।
अब बात करें क्लिनिक की तो ज्योति निवास के अंदर यह क्लिनिक है।इस क्लिनिक को चलाने के लिए एक सर्टिफिकेट होता है जिसे जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी CMHO के दफ्तर से जारी किया जाता है,जो अभी तक जारी नहीं किया गया है।इतना ही नहीं यहां खबर यह भी मिली कि आने वाले मरीजों का इलाज़ जशपुर जिला अस्पताल की स्टॉफ नर्से करती हैं।वहीं तीन-चार संस्था की सिस्टर्स हैं जो बिना किसी योग्यता के दवाईयां दे रही हैं। ये दोनों बिंदुओं पर जांच की जाए तो सच सामने आ पायेगा।हम जब ज्योति निवास पहुँचे तो डिस्पेंसरी में ताला लटका मिला।एक सूचना चस्पा हुआ दिखा कि दिनांक 20 दिसम्बर 2022 से 22 जनवरी 2023 तक डिस्पेंसरी बन्द रहेगा।

IMG 20230118 WA0239

वहीं चर्च से जुड़े पुराने लोगों से बात की तो पता चला कि 35-40 साल पहले विदेशों से खूब पैसा आया था। उस समय यहाँ गर्ल्स हॉस्टल खोला गया।इस हॉस्टल में बिना किसी जाति – धर्म का भेदभाव किये गरीब परिवारों की लड़कियों को रखा जाता था।लड़कियों के माता-पिता से संस्था 4 हजार रुपया महीना लेती थी। फिर उसी समय एक क्लिनिक ( डिस्पेंसरी ) और एक प्रार्थना गृह (CHAPPLE) बनवाए।
यह जांच का विषय है कि गर्ल्स हॉस्टल में शुरू से अब तक कितनी गैर-ईसाई लड़कियां आकर रहीं हैं और वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है?इन सवालों का जवाब छात्रावासों पर नियंत्रण करने वाली संस्था सहायक आयुक्त कार्यालय के पास भी नहीं है क्योंकि यह छात्रावास किसी भी तरह से कोई सरकारी मदद नहीं लेता है।
IMG 20230118 WA0242

*हमारी इस पड़ताल में जो बातें सवाल बनकर उभरी वे यह कि ज्योति निवास के बाउंड्री के भीतर धर्म के नाम पर चल रही गतिविधियां गैर-कानूनी तो नहीं? क्या क्लिनिक के नाम पर चंगाई केंद्र खोलकर धर्मांतरण का खेल तो नहीं खेला जा रहा ? हॉस्टल में रहने वाली छात्राएं कई अलग-अलग स्कूल-कालेजों में पढ़ती हैं क्या ये गरीब परिवार की छात्राएं हैं?कितनी छात्राएं हैं जो गैर-ईसाई हैं?*

IMG 20230118 WA0238

इन सवालों को लेकर हमने आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच के कानूनी सलाहकार रामप्रकाश पांडे और सिस्टर्स ऑफ मेरी इम्माक्युलेट ऑफ बिशप मोरो की चीफ फ़ंक्शनरी सिस्टर निर्मला से बात की।

संघ की विचारधारा से जुड़ा अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच आये दिन मिशनरी संस्थाओं पर धर्मांतरण करने के आरोप लगाता रहता है। इस मंच से जुड़े कानूनविद रामप्रकाश पांडे कहते हैं कि ज्योति निवास में हिन्दू लड़कियों को रखकर जबरन उनसे ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रार्थना कराई जाती है।

IMG 20230118 WA0234

इनके पास धर्मांतरण के कई तरीके हैं जो अधिकतर विधि-विरुद्ध हैं।ज्योति निवास के अंदर प्राथमिक सेवा केंद्र के नाम पर चंगाई केंद्र खोलकर बैठे हैं।शासन – प्रशासन ऐसे चंगाई केंद्रों की जांच कभी नहीं करते।कई जगहों पर मिशनरियों के स्कूल के साथ ही स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं। जहां बिना योग्यता के लोगों को दवाई दे रहे हैं। प्रभु के नाम पर बदमाशी कर रहे हैं।
रामप्रकाश पांडे ने जनजातीय सुरक्षा मंच की ओर से आरोप लगाते हुए शासन से मांग की है कि ज्योति निवास में चल रहे क्लिनिक और जिला अस्पताल के डॉक्टरों की मिलीभगत ,उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।कई दशकों से विधि विरुद्ध ढंग से क्लिनिक चलाया जा रहा है जिसकी जांच कर सम्बंधित संस्था पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूँ।

 

*इन आरोपों को लेकर जब एनजीओ की चीफ फ़ंक्शनरी सिस्टर उर्मिला से बात की गई तो उन्होंने जबाब देते हुए कई जानकारियां भी दीं।*

सिस्टर उर्मिला ने बताया कि चार साल पहले यहां आई हैं।कोविड के दौरान बहुत कष्ट में दिन काटे। आय का कोई जरिया नहीं था।राशनकार्ड भी नहीं बने हैं।संस्था की आय का स्रोत कहा जाय तो पहला गर्ल्स हॉस्टल और दूसरा डिस्पेंसरी है।(हालांकि संस्था का रजिस्ट्रेशन नहीं दिखा पाईं।) उन्होंने एक अंदाज में बताया कि गर्ल्स हॉस्टल में इस वक्त 50 से ज्यादा रोमन कैथोलिक ईसाई छात्राएं , 30 से ज्यादा जीएल चर्च को मानने वाली छात्राएं और 15 के करीब गैर-ईसाई छात्राएं रहकर हाईस्कूलों व कॉलेजों में पढ़ाई करने जाती हैं।बेहद सादगीपूर्ण जीवन जीने वाली सिस्टर उर्मिला यह भी कहने में संकोच नहीं करतीं कि उनका पेट छात्राओं के मेस में बनने वाले भोजन से भरता है।आय के रूप में 600/- प्रतिमाह आवास शुल्क लिया जाता है। मेस बच्चे खुद चलाते हैं।113 बच्चे अभी यहां रह रहे हैं।

धर्मांतरण के आरोप पर सिस्टर उर्मिला कहती हैं कि हमारी संस्था सेवा के लिए है जो सभी को देती है।हम भेदभाव नहीं करते।हमारी संस्था में सभी धर्म-जाति के लोग आते हैं। रही बात छात्राओं की तो इन्हें अपने-अपने धर्म-रीति रिवाज को मानने,प्रार्थना करने की स्वतंत्रता है। सभी कोई प्रार्थना में शामिल होते हैं।हम किसी को भी धर्म बदलने की शिक्षा नहीं देते हैं।छात्राओं की मदद हम सिस्टर्स अपने नॉलेज से करते हैं। उन्हें अंग्रेजी सहित अन्य दैनिक जीवन से जुड़ी बातें सिखाते हैं जो उनके जीवन को सुंदर,सुखी और शांतिदायक बना सके।
क्लिनिक के संचालन को लेकर लग रहे आरोपों पर सिस्टर उर्मिला कहती हैं कि इसे सिस्टर मैटी डिसूजा देखती हैं जो अभी छूट्टी पर हैं। प्राथमिक सेवा केंद्र में सरसीवां से एमबीबीएस डॉ. सिस्टर आरोक्या मेरी कभी – कभी विजिट करने आती हैं।यहां जिला अस्पताल में डॉक्टर जार्ज से मरीज के बारे में सलाह लेती हैं।एक नर्स संगीता यहां पदस्थ है। इस डिस्पेंसरी में लैब भी है जिसे शहर के लैब संचालक साहिल की पत्नी चलाती है। लैब का प्रतिदिन का किराया 30/- रुपये संस्था को मिलता है। यहां आने वाले मरीजों की जांच की जाती है और डॉक्टरी सलाह पर दवाईयां दी जाती है। गम्भीर मरीज को जिला अस्पताल भेजा जाता है।

 

उल्लेखनीय है कि 18 वीं शताब्दी का आखिरी दशक और 19 वीं शताब्दी का पहला दशक जशपुर रियासत में ईसाई धर्म का प्रवेशकाल रहा है। इस दौरान ईसाई धर्म के प्रचारक शिक्षा और स्वास्थ्य दो चीजें लेकर आये और गरीब आदिवासियों की सेवा करते हुए लोगों का कथित धर्मांतरण करने लगे।

Advertisement

RO NO- 12884/2

RO- 12884/2

RO-12884/2

Demo ad

RO- 12884/2

ad

Ad

Ad

Ad

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Chhattisgarh3 years ago

*बिग ब्रेकिंग :- युद्धवीर सिंह जूदेव “छोटू बाबा”,का निधन, छत्तीसगढ़ ने फिर खोया एक बाहुबली, दबंग, बेबाक बोलने वाला नेतृत्व, बेंगलुरु में चल रहा था इलाज, समर्थकों को बड़ा सदमा, कम उम्र में कई बड़ी जिम्मेदारियां के निर्वहन के बाद दुखद अंत से राजनीतिक गलियारे में पसरा मातम, जिला पंचायत सदस्य से विधायक, संसदीय सचिव और बहुजन हिन्दू परिषद के अध्यक्ष के बाद दुनिया को कह दिया अलविदा..*

IMG 20240821 WA0000
Chhattisgarh3 months ago

*बिग ब्रेकिंग:- विदेशी नागरिक को भारत में अनुसूचित जनजाति की भूमि क्रय करने का अधिकार नहीं ,बेल्जियम निवासी एच गिट्स के द्वारा फर्जी ढंग से खरीदी गई भूमि को जनजाति के सदस्य वीरेंद्र लकड़ा को वापस करने का ऐतिहासिक निर्णय कलेक्टर जशपुर डा रवि मित्तल ने सुनाया………..*

Chhattisgarh3 years ago

*जशपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले शिक्षक के बेटे ने भरी ऊंची उड़ान, CGPSC सिविल सेवा परीक्षा में 24 वां रैंक प्राप्त कर किया जिले को गौरवन्वित, डीएसपी पद पर हुए दोकड़ा के दीपक भगत, गुरुजनों एंव सहपाठियों को दिया सफलता का श्रेय……*