*जशपुर के जंगल अपने आप में उद्योग हैं और वे हजारों लोगों को रोजगार दे सकते हैं।यहां कोई अन्य उद्योग लगाने की आवश्यकता ही नहीं है…….मुनि श्री 108 सुयश सागर जी महाराज…*

जशपुरनगर। जशपुर विहार पर पहुँचे मुनि श्री 108 सुयश सागर जी महाराज ने जशपुर के जलते हुए जंगल और अंधाधुंध कटाई से आहत होते हुए कहा कि कुदरत ने जशपुर को प्राकृतिक रूप से इतना खूबसूरत बनाया है इसकी खूबसूरती का ध्यान समाज और सरकार को मिलकर रखना चाहिए ।उन्होंने कहा कि वे दिगम्बर संत हैं और उन्हें प्रकृति के बदलाव का संकेत पहले ही मिल जाता है ।उन्होंने कहा कि जब वे मुनि संघ के साथ जशपुर विहार के लिए पहुँचे तब जैसे ही लोरो घाट पर पहुँचे वैसे ही उन्हें 3 से 4 डिग्री के तापमान में अंतर महसूस हुआ ,और यह अंतर जशपुर की पहाड़ियों और अत्यधिक मात्रा में लगे पेड़ो के कारण होता है जो अद्भुत है । किंतु विहार के दौरान लोरो घाट के जंगलो को जलता हुआ देखकर उन्हें काफी पीड़ा हुई और उन्होंने जशपुर की प्रकृति की रक्षा का आह्वान सरकार और समाज दोनों से करते हुए कहा कि दोनों के समन्वय से ही जशपुर के जंगलो को बचाया जा सकता है ।मुनि श्री सुयश सागर जी ने कहा सड़कें विकास के लिए आवश्यक हैं लेकिन सड़क निर्माण में सरकारों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कम से कम वृक्ष काटे जाएं।और यदि कहीं वृक्ष काटे जाते हैं तो उसके बदले में 10 गुना वृक्ष लगाया भी जाना चाहिए ,उन्होंने कहा कि पूर्व में जब में जशपुर विहार के लिए आया था तब सड़क के दोनों और सघन आम, जामुन आदि के वृक्ष थे जो न केवल सुंदर दिखते थे बल्कि राहगीरों के लिए सुविधाजनक भी थे। लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग बनाये जाने के लिए उन वृक्षों को काट दिया गया ,लेकिन बदले में कहीं भी वृक्ष लगाए गए हैं ऐसा नहीं दिखता है कहीं वृक्ष लगे भी हैं तो उनकी उचित देखरेख नही होने से वे नष्ट हो रहे हैं।सरकार को इस और विशेष ध्यान रखना चाहिए साथ ही उन्होंने सीमेंट से बनाये जा रहे सड़कों पर भी अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि ये सड़कें न तो पर्यावरण की दृष्टि से उचित हैं और न ही जैन साधुवों के विहार के लिए भी ।उन्होंने बताया कि जैन समाज की ओर से भी ऐसे सड़क निर्माण पर केंद्रीय स्तर पर आपत्ति की गई है और सरकार से यह आश्वासन भी मिला है कि अब देश मे सीमेंट कांक्रीट के सड़कों का निर्माण नहीं किया जाएगा।
जशपुर में लगातार उद्योग लगाए जाने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि जशपुर के जंगल स्वयं में उद्योग हैं यहाँ किसी भी प्रकार के अन्य उद्योग लगाने की आवश्यकता ही नहीं है ।जशपुर के जंगलो के पास ही इतनी सम्पत्ति है कि वो हजारों वनवासियों को रोजगार दे सकतें हैं और सरकार को इस और विचार करना चाहिए ।
विदित हो कि मुनि श्री 108 सुयश सागर जी ,मुनि श्री सदभाव सागर जी सहित झुलक जी का जशपुर विहार हुआ है इसके पश्चात मुनि संघ बगीचा और सन्ना के विहार के लिए प्रस्थान करेंगे।
यह पहली बार हुआ है कि जशपुर के प्रकृति के संरक्षण के लिए कोई जैन संत ने समाज और सरकार से आह्वान किया है।

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