जशपुरनगर। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय आह्वान पर महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी और ग्राम रोजगार सहायक अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर 4 अप्रैल 2022 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। मनरेगा योजना प्रारंभ हुए 16 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं किंतु योजना के सुचारू रूप से क्रियान्वयन में दिन-रात एक करने वाले कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों के नियमितिकरण हेतु जन घोषणा पत्र में वादा करने के बाद भी आज तक वर्तमान सरकार ने कोई पहल नहीं की है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ अपनी 2 सूत्रीय मांग चुनावी जन घोषणा को आत्मसात करते हुए नियमितीकरण व नियमितिकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक रोजगार सहायकों का ग्रेड पे निर्धारण करते हुए पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने के लिए मनरेगा योजना के अंतर्गत कार्यरत समस्त अधिकारी-कर्मचारी व ग्राम रोजगार सहायक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।जशपुर जिला अंतर्गत 8 जनपद पंचायतों में लगभग 253926 सक्रिय श्रमिक नरेगा में कार्य करते हैं। मनरेगा कर्मियों के हड़ताल में जाने से सभी मनरेगा कार्य ठप पड़ गए हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मनरेगा योजना का काफी महत्वपूर्ण योगदान है। कोरोना काल में मनरेगा एकमात्र योजना थी, जिसमें लोगों की आजीविका संवर्धन का कार्य किया। जिले में 60 से 70 हजार श्रमिक प्रतिदिन कार्य करते हैं, परंतु मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
वर्तमान सरकार की समस्त महत्वाकांक्षी योजनाएं मनरेगा से संलग्न हैं, जिसे मनरेगा के सभी अधिकारी कर्मचारी पूरी लगन और मेहनत के साथ पूरा कर रहे है। शासन स्तर पर इन योजनाओं से राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हो रहे हैं परंतु जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारी जो लोगों को रोजगार की गारंटी देते हैं, लेकिन स्वयं की नौकरी की गारंटी नहीं होने से व्यथित हैं और यही व्यथा आज हड़ताल में परिवर्तित हो गई है।