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*धर्म:- आस्था संसाधनों की मोहताज नहीं…खास रहा इस बार छठ पर्व, किसी ने छत पर जलाशय कुंड बनाकर दिया अर्ध्य, किसी ने पूरी रात नदी तट पर की आराधना और सूर्योदय का किया इंतजार, नगर के सभी तालाबों में उमड़ी भीड़, छठ व्रतियों और बारातियों का सड़क धोकर, सफाई कर युवाओं ने भी किया स्वागत, जशपुर में समिति ने भगवान सूर्य की करी स्थापना और अनुष्ठान, प्रशासन ने भी किया पूरा सहयोग…..*

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जशपुर नगर। गुरुवार को उदियमान सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही भगवान सूर्य के उपासना का महापर्व छठ सम्पन्न हो गया। इस दौरान भक्ति के विविध रंग जशपुर नगर सहित गांव गांव में देखने को मिले। नई पहल यह भी देखने को मिली कि कई व्रतियों ने अपने घर के छत पर ही जलकुंड बनाकर सूर्य भगवान को अर्थ दिया और विधिवत पूजा अर्चना की। जशपुर के बाकी नदी में दो व्रती महिलाओं ने पूरी रात जागरण कर नदी में अनुष्ठान किया और सुबह अर्ध्य देते हुए अनुष्ठान पूरा किया।
शहर में देउ ल बंध और डोंगा तलाब में कड़कड़ाती सर्दी के बावजूद व्रती महिलाओं के साथ श्रदालु छठी मैया का दर्शन करने और प्रसाद ग्रहण करने के लिए उमड़ पड़े थे। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा करके सबकी नजरें सूर्यदेव के उदय होने पर टिकी हुई थी। आसमान में फैली लालिमा ने जैसे ही भगवान सूर्य के आगमन का संदेश दिया, वैसे ही एक साथ सैकड़ो श्रद्धलुओं ने जल और फल से अर्घ्य अर्पित,छठ पूजा की रस्म अदा की। मंत्रोच्चार के बीच समूचा घाट भगवान सूर्यदेव और छठी मइया के जयकारे गूंज उठे। पूरे परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। अर्घ्य के बाद व्रती महिलाओं ने छठी मइया को अर्पित किए गए भोग का प्रसाद ग्रहण कर 36 घन्टे से भी अधिक समय से करतीं आ रहीं निर्जला व्रत का पारणा किया। अपने रिश्तेदारों, परिचितों के घर प्रसाद का वितरण किया। व्रत, का पारणा करने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हुआ।

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आतिशबाजी से गुंजा शहर-

भगवान सूर्य के रथ कर दर्शन होते ही शहर जयकारे और पटाखों की आवाज से गूंजने लगा। तकरीबन एक घण्टे तक रुक रुक कर हो रही आतिशबाजी ने शहर में दिवाली सा नजारा देखने को मिला। पूजा सम्पन्न होने के बाद छठ घाट में प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। हालांकि छठ पूजा समिति ने इसके लिए बेहतर इंतजाम कर रखा था।
*चार दिन तक चला आयोजन-*
चार दिवसीय आयोजन की शुरुआत 8 नवंबर को नहाए खाए परंपरा निभाकर हुई थी। पहले दिन दिन स्नान करने शाम को लौकी की सब्जी , चावल का प्रसाद ग्रहण किया था। इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना यानी खीर रोटी खाकर निर्जला व्रत रखने का संकल्प लिया गया था। 10 नवंबर की शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया। चौथे दिन 11 नवंबर को सूर्योदय पर अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन हुआ।

*घर के छत पर विशेष जलकुंड बनाकर आराधना करने वाली श्रीमती त्रिपाठी, श्रीमती वर्मा, श्रीमती यशोदा साहू ने बताया की जरूरी नहीं आराधना के लिए हर संसाधन उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि भक्ति की भावना ही महत्वपूर्ण है और उन्होंने घर पर ही पूरे विधि विधान से इस अनुष्ठान को पूर्ण किया है और भविष्य में करते रहेंगे। घर के छत पर कुंड बनाकर पूरे अनुष्ठान को संपूर्ण करने में पूरा परिवार उत्साहित दिखा और आसपास के लोग भी इस अनुष्ठान के तथा पुण्य लाभ प्राप्त करने के साक्षी बने।

छठ पूजा को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कलेक्टर के मार्गदर्शन में पूजा स्थलों पर मजिस्ट्रेट ड्यूटी लगाई गई वहीं पुलिस एवं यातायात पुलिस के द्वारा भी बेहतर यातायात व्यवस्था स्थापित किया गया जिससे छठ बारातियों को किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा। नगर पालिका परिषद जसपुर के द्वारा 3 दिन पहले से ही पूजा स्थलों छठ घाट की बेहतर साफ सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की गई वही कलेक्टर की अपील पर सामाजिक संगठन व स्थानीय नागरिकों ने भी श्रमदान कर सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाया।

*शाम को अर्ध्य देकर घर नहीं लौटी दो व्रती महिलाएं, जशपुर के बांकी नदी में दिखा आस्था का अद्भुत नजारा, व्रती महिलाओं ने कोहरे और कड़कड़ाती ठंड में पूरी रात नदी पर की आराधना और छठी मैया के नाम अखण्ड जलाती रहीं आस्था के दीप, 15 साल से ऐसे ही करती आ रही हैं व्रत, सूर्योदय पर दिया सुबह का अर्ध्य……देखिये वीडियो….*😐

जशपुरनगर।आस्था का अदभुत पर्व मनाने जशपुर की दो महिलाओं कि श्रद्धा बीती रात देखने को मिले। जहां सारे व्रती शाम के अर्ध्य के बाद घर लौट आए और तड़के फिर से जाकर छठ घाट पर पूजा आराधना की गई। वहीं जशपुर की दो महिलाओं ने नगर के किनारे स्थित बांकी नदी में पूरी रात कड़कते ठंड और कोहरे के बीच बिताया और दीप प्रज्वलित कर नदी के किनारे पर सूर्योदय का इंतजार करते हुए अनुष्ठान पूरा की। व्रती महिलाओं ने बताया कि वह पिछले 15 साल से छठ पर पूरी रात नदी में ही रह कर अनुष्ठान पूरा करती आ रही हैं।
जशपुर की कालेज रोड निवासी लीलावती प्रजापति 35 वर्ष ने बताया कि 2005 से उन्होंने यह अनुष्ठान प्रारंभ किया था और पिछले 15 साल से वह नदी में ही सूर्योदय के इंतजार करती हूं और शाम के अर्ध्य के बाद नदी पर ही रहकर सुबह का अर्ध्य देने के बाद घर जाती हैं। जशपुर से पहले वे बलरामपुर में यह व्रत करती थी और जशपुर आने के बाद यहां भी उसी परंपरा का निर्वहन कर रही हैं। लीलावती का साथ देने के लिए अम्बिकापुर से उनकी बहन
फूलकुमारी प्रजापति 45 वर्ष भी आई हुईं हैं और वह भी व्रत करते हुए नदी पर ही जागरण कर रही हैं।
दोनों व्रतियों ने बताया कि छठ पर्व पर उनकी अटूट आस्था है और उनका मानना है कि अगर आज उनका परिवार सुखी संपन्न जीवन व्यतीत कर रहा है तो वह छठ पूजा का ही परिणाम है जिनके कारण आज उनका परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है। इस कार्य मे लीलावती के पति मंगलेस्वर प्रजापति भी उनकी मदद कर रहे हैं। वहीं नहर के उत्साही युवा मोनू साहू को जब यह जानकारी मिली तो मोनू साहू व्रतियों का मनोबल बढ़ाने नदी पर पहुंचे और पास में अलाव व रोशनी की पहल की। साथ ही अनुष्ठान को पूरा करने व्रतियों को सम्बल प्रदान किया।
व्रती लीलावती ने लोगों से अपील की है कि छठ पर्व को ईसी उत्साह के साथ मनाएं और पूरी रात यथासंभव नदी पर ही बिताते हुए धार्मिक वातावरण निर्मित किया जाए तो इस पर्व के प्रति लोगों का उत्साह और बढ़ेगा।

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