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*रोहतासगढ़ महोत्सव:- आदिवासीयों के पूर्वजों का प्राचीन धरोहर बिहार के रोहतासगढ़ में जुटे देश भर के आदिवासी, मांदर की थाप से गूंजी कैमूर की वादी,आदिवासी नेता गणेश राम भगत रहें पूरे महोत्सव के मुख्य अतिथि, कहा हमारे पूर्वजों की धरती है रोहतासगढ़,जनजाति समाज को जोड़ना और उन्हें इतिहास को याद दिलाना ही हमारा लक्ष्य….किले से पारम्परिक परिधान में जमकर थिरके आदिवासी, देखिये वीडियो….*

 

जशपुरनगर। (राकेश गुप्ता की रिपोर्ट) बिहार राज्य के रोहतासगढ़ किले को आदिवासी जनजाति समाज के पूर्वजों की धरती के रूप में माना जाता है।जहां हर वर्ष आदिवासी समाज के द्वारा रोहतासगढ़ महोत्सव मनाया जाता है।रोहतासगढ़ के किले में देश भर के आदिवासी जुटते हैं और अपने पूर्वजों को और उनकी संघर्ष को याद करते हैं।इसी कार्यक्रम के तहत रोहतासगढ़ किले में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वाधान में बीते रविवार को 17 वां रोहतासगढ़ महोत्सव आयोजन की गई।इस दौरान देश भर के विभिन्न प्रान्तों से जनजाति समुदाय के लोग रोहतासगढ़ किले में पहुंचे और कई तरह के कार्यक्रम भी किये।महिला-पुरुष सभी पारम्परिक परिधान में पारम्परिक आदिवासी नृत्य, गीत और मांदर की थाप पर जमकर थिरकते हुए दिखाई दिए।जिसमें आदिवासी बालाओं की जनी शिकार की झांकी,ऐतिहासिक करम वृक्ष की पूजा जैसे अनेकों कार्यक्रम हुये।

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इस दौरान पूरे कार्यक्रम के मुख्यातिथि कद्दावर आदिवासी नेता जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री गणेश राम भगत कर रहे थे।किले के कार्यक्रम से देश भर के आदिवासियों को संबोधन करते हुए श्री भगत ने कहा कि यह रोहतासगढ़ किला हमारे पूर्वजों की असली धरती है।यहीं से आदिवासी समाज को ऊर्जा मिलती है।रोहतासगढ़ किला का इतिहास हमारे पूर्वजों की खून पसीना की संघर्ष हमे याद दिलाती है।इसे बचाना और जनजाति समुदाय को एक करते हुए आदिवासियों की पारम्परिक,नृत्य,गीत, रीतिरिवाज,संस्कृति को बचाना ही हमारा प्रमुख लक्ष्य है।कार्यक्रम के दौरान श्री भगत और समस्त अतिथियों ने वहां मौजूद रोहितेश्वर धाम जा कर महादेव पार्वती और गणेश मंदिर जा कर गणेश भगवान की पूजा अर्चना किया।इस दौरान देश भर के आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद रहें।

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