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Chhattisgarh

*श्री हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष आलेख…, यहां हुआ था श्री हनुमान जी का प्राकट्य,शोध के लिए कई साक्ष्य और प्रमाण मौजूद…*

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– रामप्रकाश पाण्डेय , सोनू जायसवाल

 

यूँ तो देश में भगवान श्री राम के वनवास काल के कई साक्ष्य मौजूद हैं और आज भी इस पर कई शोध हो रहे हैं किंतु आज हनुमान जन्मोत्सव पर हम श्री हनुमान जी के प्राकट्य स्थल से अवगत कराना चाहते हैं देश मे हनुमान जी के जन्मस्थल का दावा कर्नाटक राज्य के हम्पी में भी किया जाता है लेकिन हम आज जिस जगह से आपको परिचित कराने जा रहे हैं वहाँ आज भी कई प्रमाण है जिससे माना जा सकता है कि हो न हो यही स्थल हनुमान जी का प्राकट्य स्थल हो यह स्थान है जशपुर से लगभग 65 किमी दूर आंजन धाम जो झारखण्ड के गुमला जिले में स्थित है।जहां आज भी मान्यता है कि
माता अंजनी प्रति दिन ३६५ महुवे के पेड़ की पत्ती से ३६५ सरोवरों का जल लेकर ३६५ देवाधिदेव महादेव के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर कठिन तपस्या की थी ,जिसके परिणाम स्वरूप रूद्र अवतार महावीर हनुमान जी का प्राकट्य हुआ ! जहां आज भी हजारों शिवलिंग आसपास के गांव में मौजूद हैं।

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इस आंजन पर्वत के समीप ही प्रसिद्ध स्थल नेतर् हॉट स्थित है जहां सूर्योदय के दर्शन के लिए देश विदेश से श्रद्धालु पहुँचते है जहां उदित होते हुए सूर्य सेव फल के समान दिखाई देते है मान्यता है की बाल्यकाल में श्री हनुमान जी इसी स्थल पर सूर्य को सेव फल समझकर निगल गए थे!!!!
इस स्थल से कुछ दुरी पर ही #पम्पापुर जिसे वर्तमान में #पालकोट के नाम से भी जाना जाता है जहां सुग्रीव से भगवान श्री राम की मित्रता हुई थी….इसी स्थल पर #रामरेखा नामक पवित्र गुफा भी है जहां काफी दिनों तक वनवास के दौरान भगवान श्री राम ठहरे थे…….

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इसके आलावा और भी रामायण काल के कई साक्ष्य यहाँ मौजूद है जिन पर गम्भीरता पूर्वक शोध करने की आवश्यकता है।।
उपरोक्त साक्ष्यों के अलावा अन्य कई सांस्कृतिक परम्पराएं हैं जो भी क्षेत्र में हनुमान जी के प्राकट्य स्थल की पुष्टि करते हैं ।इनमें सबसे बड़ा प्रमाण है जशपुरांचल में रहने वाला वनवासी समाज जो आज भी अपने नाम के साथ अनिवार्य रूप से राम शब्द लिखता और बोलता है ।आज भी क्षेत्र में गाए जाने वाले पारम्परिक गीतों और कथाओं में भगवान श्री राम और हनुमान जी का उल्लेख होता है ।हालांकि क्षेत्र में पिछले 150 वर्षों से अबाध रूप से चल रहे धर्मान्तरण के कारण भौतिक और सांस्कृतिक साक्ष्य मिट रहे हैं फिर भी इस विषय पर शोध हेतु अभी भी कई प्रमाण मौजूद हैं।देखिए इन चित्रों की जिसमें प्राचीन मूर्ति जो उक्त स्थल पर सबसे पहले पाई गई है जिसमें बाल हनुमान को प्राकट्य दर्शाया गया है सम्भवतः ऐसी मूर्ति देश मे और कहीं देखने को नहीं मिली है।

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