Connect with us
ad

Jashpur

*विशेष साप्ताहिक संपादकीय कॉलम “झरोखा मन का”… पैरेंट्स में मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण लाना आज की जरूरत*

Published

on

IMG 20220107 150049

-विक्रांत पाठक

विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन का कहना था कि ‘ शिक्षा तथ्यों का अध्ययन नहीं है, बल्कि सोचने के लिए मन का प्रशिक्षण है।’ दरअसल, वास्तविक शिक्षा वही होती है जो विद्यार्थियों को विचारवान बनाए, उनमें अच्छी सोच विकसित करे। बच्चों को रट्टू तोता बनाकर केवल अच्छे अंक लाना शिक्षा का उद्देश्य बिल्कुल नहीं होता। पर कई स्कूलों में एवं घरों में बच्चों को शिक्षा के नाम पर केवल अच्छे अंक लाने वाली मशीन बनाया जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण है बाल मनोविज्ञान की जानकारी का नहीं होना।
बाल मनोविज्ञान सामान्य मनोविज्ञान की एक विशेष शाखा होती है, जो बच्चों के विकास और व्यवहार पर केंद्रित होती है। बाल मनोविज्ञान में जन्म से किशोर उम्र तक के बच्चों का अध्ययन किया जाता है। बाल मनोविज्ञान के अंतर्गत ही शिक्षा मनोविज्ञान का भी अध्ययन होता है। जिसमें स्कूली बच्चों के शारीरिक, संवेगात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास का अध्ययन किया जाता है। इसके साथ ही इस विषय में यह भी जाना जाता है कि परिवेश और बाहरी प्रेरणा का सीखने के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है।

*बच्चों की समस्याएं ऐसी-ऐसी*

स्कूली बच्चों से जुड़ी कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं। जैसे- एकेडमिक मेंटल प्रॉब्लम, फिज़िकल मेंटल प्रॉब्लम, एकाग्र न होना, चिड़चिड़ापन, एग्रेसन आदि। प्रायः आज बच्चों में मिक्स प्रॉब्लम्स यानी मेंटल, एकेडमिक, साइकोलॉजिकल, फिज़िकल, सभी का मिला-जुला रूप देखा जा सकता है। आज के दौर में कई बच्चे पढ़ाई के लिए प्रतिकूल माहौल, अधिक महत्वाकाक्षांओं का बोझ, थकान, तनाव आदि के साथ पल-बढ़ रहे हैं। निम्न मध्यम वर्ग परिवारों में भी नए-नए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स आ जाने के कारण वीडियो गेम्स, मोबाइल फोन के माध्यम से सोशल मीडिया में अधिक समय बिताने के कारण बच्चों की बाहरी गतिविधियां कम हो गई हैं। उस पर पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव। इन सबकी वज़ह से बच्चे इन्हीं सब में उलझे रह जाते हैं। ऐसे में बच्चे सहजता से जीवन जीना नहीं सीख पाते, बल्कि हर समय अति प्रतिद्वंद्विता, कुछ पाने और आगे बढ़ने की बेतहाशा होड़ तक ही वे सीमित हो जाते हैं। इन सभी से बच्चे के अधिक दोस्त नहीं बन पाते और वे अकेलेपन से जूझते रहते हैं। ऐसे बच्चे दूसरों के साथ सहनशील होना और सामंजस्य बैठाना नहीं सीख पाते हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों में होनेवाली समस्याओं, जैसे- तनाव, डर, असफलता की ग्लानि/आत्महत्या की प्रवृत्ति आदि को देखते हुए सरकारी शिक्षा नीति में भी कई परिवर्तन हुए हैं, इसके बाद भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर कुछ मानसिक समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं, ख़ासतौर पर अपने पैरेंट्स और टीचर्स की अपेक्षाओं को पूरा करने की कशमकश। तकरीबन 15 से 20 फ़ीसदी बच्चे कंपीटीशन के चलते इतना ज़्यादा पढ़ते हैं कि उनका सामाजिक जीवन शून्य हो जाता है। इस तरह के बच्चे हमेशा स्ट्रेस व तनाव में रहते हैं अपने परफॉर्मेंस को लेकर।जो बच्चा कई सालों से फर्स्ट आ रहा हो, तो उस पर इसे कायम रखने का दबाव बना रहता है। यह ज़रूरी नहीं कि जो बच्चा पहली-दूसरी कक्षा में फर्स्ट आता रहा है, वह बड़ी कक्षाओं में भी फर्स्ट ही आए। ये सब बातें कई पेरेंट्स नहीं समझ पाते हैं और अनजाने में उनकी अपेक्षा बच्चों के कोमल मन पर बोझ बन जाती है।

*क्या करें अभिभावक और स्कूल मैनेजमेंट*

स्कूलों में आज बीएड/डीएलएड योग्यताधारी शिक्षकों की ही नियुक्ति होती है। इन कोर्स में चाइल्ड साइकोलॉजी की पढ़ाई होने के कारण शिक्षक स्कूलों में तो बच्चों के मेंटल लेबल, मन और क्षमता को देखते हुए उसी अनुरूप ट्रीट करते हैं, पर घरों में पेरेंट्स मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से बच्चों को नहीं समझ पाते। ऐसे में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के अलावा महीने-दो महीने में पेरेंट्स के लिए विशेष क्लास भी चलाना चाहिए, जिसमें साइक्लोजिस्ट पैरेंटिंग के टिप्स दें। पढ़े-लिखे पेरेंट्स विभिन्न सोर्सेस से चाइल्ड साइकोलॉजी के बेसिक चीजों को पढ़ सकते हैं। इससे बच्चों के मेंटल लेबल, उनकी क्षमता आदि को समझने में मदद मिलेगी।

कुछ टिप्स

*बच्चा अकेला-अकेला रह रहा हो तो उसे सोशल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अपने परिचितों, दोस्तों से मिलने-जुलने के लिए प्रेरित करें।

*उसकी रुचि के अनुसार किसी क्रिएटिव वर्क में कुछ देर समय देने को कहें।

* बच्चे की तुलना घर के दूसरे बच्चे या किसी भी बच्चे से न करें।

* बच्चों का टाइम-टेबल बनाएं, जिसमें पढ़ाई व मनोरंजन के समय के बीच संतुलन रहे।

* बात-बात में बच्चों को डांटे-मारे नहीं, ताना बिल्कुल न दें।

*बच्चा अगर अपने सामान्य व्यवहार से हटकर व्यवहार कर रहा हो, अकेला रह रहा हो, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आ रहा हो,जिद्दी हो रहा हो, तो उससे बात करें, स्कूल जाकर उसके शिक्षकों से बात करें।

Advertisement

RO NO- 12884/2

RO- 12884/2

RO-12884/2

Demo ad

RO- 12884/2

ad

Ad

Ad

Ad

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Chhattisgarh3 years ago

*बिग ब्रेकिंग :- युद्धवीर सिंह जूदेव “छोटू बाबा”,का निधन, छत्तीसगढ़ ने फिर खोया एक बाहुबली, दबंग, बेबाक बोलने वाला नेतृत्व, बेंगलुरु में चल रहा था इलाज, समर्थकों को बड़ा सदमा, कम उम्र में कई बड़ी जिम्मेदारियां के निर्वहन के बाद दुखद अंत से राजनीतिक गलियारे में पसरा मातम, जिला पंचायत सदस्य से विधायक, संसदीय सचिव और बहुजन हिन्दू परिषद के अध्यक्ष के बाद दुनिया को कह दिया अलविदा..*

IMG 20240821 WA0000
Chhattisgarh3 months ago

*बिग ब्रेकिंग:- विदेशी नागरिक को भारत में अनुसूचित जनजाति की भूमि क्रय करने का अधिकार नहीं ,बेल्जियम निवासी एच गिट्स के द्वारा फर्जी ढंग से खरीदी गई भूमि को जनजाति के सदस्य वीरेंद्र लकड़ा को वापस करने का ऐतिहासिक निर्णय कलेक्टर जशपुर डा रवि मित्तल ने सुनाया………..*

Chhattisgarh3 years ago

*जशपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले शिक्षक के बेटे ने भरी ऊंची उड़ान, CGPSC सिविल सेवा परीक्षा में 24 वां रैंक प्राप्त कर किया जिले को गौरवन्वित, डीएसपी पद पर हुए दोकड़ा के दीपक भगत, गुरुजनों एंव सहपाठियों को दिया सफलता का श्रेय……*