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Chhattisgarh

*जशपुर की दिव्यांग छात्राओं के साथ दुष्कर्म की जानकारी पूर्व मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी, पूरा घटनाक्रम बताया और कहा घटना की गम्भीरता पूर्वक जांच कराते हुए घटना में संलिप्त सभी लोगों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश देने का कष्ट करें और केंद्रीय जांच एजेंसी के द्वारा निष्पक्ष जांच करायी जाए……..*

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जशपुरनगर। 22 सितंबर को जशपुर में दिव्यांग नाबालिग छात्राओं के साथ हुए आनाचार की घटना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अवगत कराने पूर्व अजाक मंत्री गणेश राम भगत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र लिखते हुए गणेश राम भगत ने प्रधानमंत्री से केंद्रीय जांच एजेंसी से मामले की जांच कराने की मांग करते हुए दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है। पत्र में गणेश राम भगत ने लिखा है कि
माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में राजीव गांधी शिक्षा मिशन एवं जिला खनिज न्यास निधि के द्वारा संचालित समर्थ आवासीय दिव्यांग प्रशिक्षण केन्द्र जशपुर में रह रही मूक बधीर आदिवासी हरिजन एवं पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के साथ दिनांक- 22/09/2021 को छात्रावास के केयरटेकर एवं चौकीदार के द्वारा शराब के नशे में रात के 10.00 बजे क्रूरता पूर्वक व्यवहार किया गया एवं एक दिव्यांग नाबालिक छात्रा से बलात्कार करने एवं अन्य पांच नाबालिक छात्राओं को नग्न कर उनके साथ शारीरिक बर्बरता की गई। रात भर हैवानियत करने के बावजूद जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों के द्वारा उक्त घटना की सूचना में 24 घंटा से अधिक समय का विलंब करने तथा उक्त घटना की सूचना पालको को नही दिया जाने से संबंधित कई गम्भीर विषयों की जांच वरिष्ठ जांच एजेंसी से करा कर घटना के अन्य दोषियों के विरुद्ध भी कठोर कानूनी कार्यवाही की आवश्यकता है।

उपरोक्त विषयांतर्गत ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिला है यहां के अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के मूक बधिर दिव्यांग बच्चो को उचित प्रशिक्षण दिए जाने हेतु जिला प्रशासन के द्वारा जिला खनिज न्यास निधि की राशि का उपयोग करते हुए राजीव गांधी शिक्षा मिशन के माध्यम से जिला मुख्यालय में स्थित कलेक्टर आवास के आहता से सटे हुए सरकारी भवन में जनवरी 2021 से समर्थ आवासीय दिव्यांग प्रशिक्षण केन्द्र जशपुर का संचालन किया जा रहा है ।

उक्त प्रशिक्षण केन्द्र में दिव्यांग छात्र छात्राए निवास करते है तथा उक्त स्थल पर ही उनके स्कूल भी संचालित है । प्रशिक्षण केन्द्र में 14 छात्राए एवं 23 छात्र निवासरत है। उक्त छात्रावास जिला मुख्यालय के हृदय स्थल पर स्थित है तथा उक्त छात्रावास के आहेता के दूसरी ओर कलेक्टर जशपुर का सरकारी निवास है ज्ञात हो कि विभाग के द्वारा छात्रावास के बाहर किसी प्रकार का कोई बोर्ड अथवा सूचना लेख नही किया गया है तक कि शहर में रहने वाले किसी भी सामाजिक व्यक्ति अथवा जनप्रतिनिधियों को भी स्थल पर छात्रावास संचालन होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक- 22/09/2021 को रात्रि 9.00 से 10.00 के बीच उक्त छात्रावास में कोई जिम्मेदार व्यक्ति अधिकारी उपस्थित नही था और दिव्यांग छात्र छात्राओं को एक स्वीपर एवं एक चौकीदार एवं एक केयरटेकर के भरोसे छोड़ दिया गया था । मौका का नाजायज फायदा उठाते हुए संस्था के चौकीदार एवं केयरटेकर के द्वारा रात्रि में कन्या छात्रावास की छात्राओं को कमरे से जबरन बाहर निकाल कर शेष छः छात्राओं को कमरे में ताला बंद कर दिया गया था । सभी छात्राओं को एक कमरे में बंद कर उनके कपड़े उतार कर उनके साथ भी बर्बरता पूर्वक छेड़छाड़ की गई और जब वे दिव्यांग छात्राए इधर – उधर भाग कर अपनी जान और इज्जत बचाने का प्रयास करने लगी तो उनके साथ क्रूरता पूर्वक मारपीट भी की गई तथा उन्ही छात्राओं में से एक नाबालिक दिव्यांग छात्रा को बगल के कमरे में ले जाकर उक्त आरोपी के द्वारा बलात्कार भी किया गया इस घटना के समय छात्रावास की स्वीपर छात्रावास में मौजूद थी और उसने प्रभारी अधिकारी को फोन से इसकी सूचना दी जिस पर प्रभारी अधिकारी लगभग रात 11.00 बजे छात्रावास पहुंचे और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की सूचना दिए उसके बावजूद इतनी गम्भीर घटना की जानकारी होने के बाद भी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा उक्त घटना की सूचना तत्काल ना तो थाने में दी गई और न ही पीडितों के परिजनों को दी । और न ही घटना के बारे में कोई जानकारी बताई गयी ।

दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी गम्भीर घटना के संबंध में थाने में एफ आई आर घटना के 24 घंटे बीतने के बाद जब मीडिया के माध्यम से घटना की सूचना प्रसारित हुई तब 23/09/2021 की रात लगभग 11.00 बजे थाने में रिपोर्ट की गई । उक्त रिपोर्ट करने के पश्चात घटना के दो आरोपियों को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार तो किया गया प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त घटना की जांच में कई प्रकार की गम्भीर अनियमितताएं की गई जिनमें प्रमुख रुप से घटना से संबंधित साक्ष्यों को छिपाने का प्रयास किया गया है । पीड़ित बच्चों के कपड़ों को भी धुलवाने का प्रयास किया गया ताकि घटना के सबूत को मिटाए जा सके । दुर्भाग्यपूर्ण है कि उक्त गम्भीर घटना के साक्ष्य को छुपाने की नियत पर न केवल छात्रावास के अधिकारी बल्कि जिला प्रसासन के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा भी गम्भीर लापरवाही की गई है ।

घटना की सूचना पीड़ित छात्राओं के पालकों को मीडिया के माध्यम से प्राप्त होने पर जब पीडित छात्राओं के पालक अपने बच्चों से मिलने छात्रावास पहुंचे तब उन्हें उनके बच्चों से मिलने तक नहीं दिया गया और न ही बात करने दी गई बल्कि अधिकारियों के द्वारा पालकों से यह कहा गया कि आपसे मिलकर बच्चे भड़क जायेंगे इसलिए आप बातचीत नही कर सकते ।

उक्त जानकारी होने पर पीडित छात्राओं के पालक दिनांक 27/09/2021 को मेरे पास पहुंचे और दहाड़ मारकर रोने लगे और किसी तरह मेरे द्वारा उन्हें सांत्वना दिया गया मैने तत्काल कलेक्टर जशपुर से उक्त संबंध में बात किया और पीडित छात्राओं को उनके पालकों से मिलने तथा उन्हें सुपुर्द करने को कहा जिस पर पालक आश्वस्थ हुए किन्तु पालकों के द्वारा जो बाते कही गई वह अत्यंत ही गम्भीर है पालकों ने मुझसे कहा कि हमें नहीं मालूम था कि हम अपने दिव्यांग बच्चों को इन जल्लादो के हाथो सौंप रहे है अगर मालूम होता तो हम अपने बच्चों से गाय बैल चरवा लेते लेकिन ऐसे संस्थान में पढ़ने के लिए कभी नही भेजते।

पालकों ने यह भी कहा कि इतनी गम्भीर घटना होने के बाद भी आखिर जिला प्रशासन के द्वारा हमें उक्त संबंध में फोन तक नही किया गया ना ही कोई सूचना दी गई ?

क्या जिला प्रशासन हमारे बच्चों के साथ घटी घटनाओं को दबाने के उद्देश्य से हमें सूचना नही दिया ? पालकों ने गम्भीर रुप से आरोप लगाए कि यह घटना पहली नहीं है बल्कि गर्मी की छुट्टी के बाद जब अगस्त के महीने में हमने बच्चों को स्कूल भेजने का प्रयास किया तब बच्चे स्कूल जाने से इकार कर रहे थे हमने बड़ी मुश्किल से दृढता पूर्वक यह सोच कर कि बच्चो की पढ़ाई का नुकसान ना हो और जबरन हमने उन्हें सितंबर महीने में पढ़ाई हेतु छात्रावास में पहुंचाया था । आज हमे इस बात का एहसास हो रहा है कि आखिर गर्मी छुट्टी के बाद बच्चे छात्रावास आने से मना क्यों कर रहे थे ?

पालकों ने मुझे यह भी कहा कि इस घटना के पूर्व भी हमारे दिव्यांग बच्चों के साथ और भी कई गम्भीर घटनाएं हुई होंगी जिन की भी जांच करने की आवश्यकता है । और उन घटनाओं के दोषियों के विरुद्ध भी कार्यवाही करने की जरुरत है । महोदय इस गम्भीर घटना में पीडित सभी छात्राएं नाबालिक और दिव्यांग है और नाबालिक बच्चों के यौन शोषण से रक्षा हेतु देश में पॉक्सो अधिनियम के तहत फास्ट ट्रेक कोर्ट की स्थापना की गई है ताकि ऐसे पीडित बच्चों को न्याय मिल सके लेकिन दुर्भाग्य जनक है कि इस घटना में जिला प्रशासन के द्वारा गम्भीर लापरवाही बरतते हुए पॉक्सो अधिनियम का उल्लंघन भी किया गया है । जिसमें पीडित छात्राओं के पालकों की सहमति एवं उनकी उपस्थिति के बगैर ही छात्राओं के बयान और उनके मेडिकल कराए गये है जिससे भी आशंका है कि जिला प्रशासन एवं पुलिस के द्वारा मिलकर इस गम्भीर घटना की लीपापोती करने का प्रयास किया गया है । जो अत्यंत ही खेद जनक है ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त दो आरापियों में से एक आरापी राजेश चौहान जो उक्त परिसर का केयरटेकर था उसके विरुद्ध वर्ष 2018 में ही धारा 376 के तहत कार्यवाही लम्बित है और वर्तमान में उसका मामला न्यायालय में विचाराधिन है यह जानते हुए भी ऐसे व्यक्ति को छात्राओं के छात्रावास परिसर का केयरटेकर नियुक्त किया गया था जो मामले को और भी गम्भीर बनाता है । महोदय भारत सरकार द्वारा जिला प्रशासन को दिए जाने वाले जिला खनिज न्यास निधि की राशि का भी दुरुपयोग इस मामले में किया गया है ऐसा मुझे प्रतीत होता है । महोदय आदिवासी समाज अत्यंत संकोची होता है मै स्वयं आदिवासी वर्ग से हूँ और मेरा सम्पर्क आदिवासी समाज से पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से निरंतर बना हुआ है वर्तमान में भारत सरकार के द्वारा आपके नेतृत्व में आदिवासी वर्ग को समाज की मुख्य धारा में जोडने हेतु कई योजनाएं संचालित की जा रही है उक्त संबंध में मन की बात कार्यक्रम के जरिये हमे अपनी मंशा की जानकारी मिलती रहती है किन्तु इस प्रकार की गम्भीर घटनाओं के कारण आदिवासी वर्ग का विश्वास सरकार और प्रशासन पर नही हो पाता है और वे ऐसे सरकारी योजनाओं से दूर भागने का प्रयास भी करते है ।

इसलिए ऐसी गम्भीर घटनाओं में भारत सरकार स्वयं पहल कर गम्भीरता पूर्वक जांच कराकर यदि दोषियों को दंडित करती है तो आदिवासी समाज का विश्वास हासिल किया जा सकता है । अतः आपसे मेरा पुनः निवेदन है कि इस घटना की गम्भीरता पूर्वक जांच कराते हुए घटना में संलिप्त सभी लोगों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश देने का कष्ट करें । और केन्द्रिय जांच एजेंसी के द्वारा निष्पक्ष जांच करायी जाए । ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति न हो सके ।

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