Chhattisgarh
*समर्थ दिव्यांग केन्द्र का जिन्न एक बार फिर से निकला बाहर,पहले भी इस मामले में कलेक्टर एसडीएम के तबादले के साथ डीएमसी सहित कई हो चुके है सस्पेंड, फिर भी पीड़िताओं को किया जा रहा परेशान, त्रस्त हो कर पीडताओं के परिजन ने कलेक्टर जशपुर से ……..*
Published
3 years agoon
By
Rakesh Gupta
जशपुरनगर :- समर्थ दिव्यांग केन्द्र जशपुर का मामला शांत होता हुआ नहीं दिख रहा है।धरने पर बैठे पीड़िताओं के परिजनों को सहायक आयुक्त ने अंतरिम राहत के रूप में दिए चेक को पीड़ितो के नाम से ही फिक्स करने का आदेश देते हुए राशी आहरण पर रोक लगाने से परिजन भड़के नजर आ रहे है।पीड़िताओं को बार बार परेशान किए जाने से त्रस्त हो कर कलेक्टर जशपुर को आवेदन देकर परिजनों ने उक्त चेक वापस लेने अथवा उसका भुगतान करने का निर्देश देने की मांग कलेक्टर जशपुर से किया है
विदित हो कि जहां समर्थ दिव्यांग केन्द्र जशपुर की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। जिस पर प्रदेश सरकार ने मामले की गम्भीरता को देखते तत्कालीन कलेक्टर महादेव कांवरे और एसडीएम ज्योति बबली कुजूर का तबादला कर दिया था।साथ ही राजीव गांधी शिक्षा मिशन के डीएमसी सहित कई लोगो को सस्पेंड किया गया था। बहरहाल उन्हें वापस बहाल तो कर दिया गया तथा पुलिस ने भी दो आरोपियों के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर चुकी है ,लेकिन फिर भी पीडताओं के परिजन जांच से संतुष्ट नही हैं और 9 फरवरी 2022 को समर्थ दिव्यांग केंद्र के सामने ही धरने पर बैठ गए थे जिनका समर्थन करने जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत स्वयं पहुँचे थे। तब आनन फानन में सहायक आयुक्त ने चार आदिवासी दिव्यांग बालिकाओं को अंतरिम राहत के रूप में चेक दिया था ।लेकिन समस्या तब फिर से उतपन्न हो गई जब उक्त क्षतिपूर्ति के चेक के भुगतान पर ही रोक लगा दिया गया ,विभाग ने उक्त चेक को फिक्स करने का निर्देश सम्बंधित बैंक को भेज दिया ,जिस पर पीडताओं के परिजनों का कहना है कि यह क्षतिपूर्ति वास्तव में नही देने के बराबर है ,क्योकि जब उक्त राशि का उपयोग पिडीत जरूरत के समय नही कर पाएंगे तो ऐसे छतिपूर्ति देने की आवश्यकता ही क्या है ? और परिजनों ने उक्त चेक वापस लेने अथवा उसका भुगतान करने का निर्देश देने की मांग कलेक्टर जशपुर से किया ।साथ ही परिजनों ने पीडताओं को बार बार न्यायालय में बयान देने की बात कहकर परेशान करने तथा ,झूठा पंचनामा बनाये जाने की भी शिकायत करते हुए परिजनों ने दिए आवेदन में यह भी बताया कि पीड़िताओं को बार बार परेशान किया जा रहा है।फोन कर न्यायालय बुलाया जाता है।इतना ही नही पीड़िताओं के घर पटवारी व चाईल्ड लाईन के सदस्य जाकर मनमाना झूठा पंचनामा तैयार कर आ जाते है। यहाँ तक पंचनामा में अपना नाम दर्ज करना भी जरूरी नही समझते पंचनामा तैयार करते वक्त जब परिजनों के द्वारा जब यह कहा गया कि पीड़िता डर के कारण संस्था में नही जाना चाहती है लेकिन पंचनामा में यह झूठ लिखा गया कि कोविड-19 के कारण पीड़िता संस्था जाना नहीं चाहती। ऐसे कृत्यों से पीड़िता व परिजन बुरी तरह परेशान व त्रस्त हो कर फिर कलेक्टर जशपुर से परिजनों ने उक्त चेक वापस लेने अथवा उसका भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की है।