*इस तहसील न्यायालय के फैसले से मचा बवाल, विवादित बेशकीमती भूमि पर चढ़े भूमाफिया…जिले में भूमाफियाओं का राज, न्यायालयीन फैसले पर उठी कई सवाल और पीड़ित पक्ष ने तहसीलदार पर लगाया गम्भीर आरोप, मामले में कलेक्टर एसडीएम से भी हुई शिकायत,एसडीएम के मौखिक निर्देश पर अंततः रोकी गयी निर्माण कार्य, परन्तु रातों रात डाल दिया अल्बेस्टर…पुलिस से भी हुई खूब बहस,देखिये एक्सकलिसिव वीडियो*

जशपुर/सन्ना:- जशपुर जिले के राजस्व न्यायालय पर आए दिन कई गम्भीर आरोप लगते रहते हैं जिसमें सबसे बड़ा योगदान भूमाफियाओं का होता है।ऐसा ही एक मामला बीते दिन बगीचा से आई थी जिसमें भूमाफियाओं ने शमसान जाने तक के रास्ते में कब्जा कर लिया था जिसका विरोध होने के बाद जांच चली और दर्जनों लोगों की कब्जा पाया गया।ठीक ऐसा ही एक मामला बगीचा के सन्ना तहसील न्यायालय से निकल कर आई है जहां पीड़ित पक्ष ने तहसील न्यायालय के तहसीलदार पर भूमाफियाओं से सांठ गांठ कर फर्जी रूप से उनके भूमि पर अवैध निर्माण कराने जैसे कई गम्भीर आरोप थोप दिया है।जिसके बाद यह विवाद सातवें आसमान पर पहुंच गई है।एक तरफ जहां एसडीएम बगीचा कार्य को रोकवाने का मौखिक निर्देश किये तो निर्माण कर्ताओं के द्वारा निर्देश को मानने से इंकार करते देखा गया।जिस पर एक वीडियो भी खूब वायरल हो रही है जिसमें एक लैंड ब्रोकर के द्वारा कार्य रोकने मना करने आये सन्ना थाना के पुलिसकर्मी से भी बहस होता दिख रहा है और दादागिरी पूर्वक अवैध रूप से दुकान बनाया जा रहा है।

पूरा मामला आपको बता दें कि सन्ना तहसील न्यायालय में मो.हसन आत्मज निजामुद्दीन बनाम महमूद आत्मज गुलजार नामक केश लगी थी।मामला यह था कि सन्ना नगर के बस स्टैंड में एक बेशकीमती भूमि स्थित है।जिस पर हसन आत्मज निजामुद्दीन की लगभग एक डिसमिल भूमि पर पट्टा मिला हुआ है वहीं उसके पीछे का कुछ भूमि आबादी भूमि है।उसी आबादी भूमि पर और हसन की भूमि पर महमूद के द्वारा सन्ना के बड़े भूमाफियाओं से मिल कर जबरन बलपूर्वक कब्जा करते हुए चार दुकान बनाया जा रहा है।जिसके विरुद्ध में हसन के द्वारा तहसील न्यायालय में आवेदन पेश किया गया जिस पर तहसीलदार के द्वारा उक्त भूमि पर स्थगन आदेश भी दिया गया था।परन्तु बीते 11 जनवरी को उक्त भूमि पर लगी स्थगन आदेश को तहसीलदार के द्वारा खोल दिया गया और फिर उक्त भूमि पर कुछ भूमाफियाओं के द्वारा काफी तेज गति से दिन और रात मशीनरी उपकरणों का उपयोग करते हुए कार्य किया जाने लगा और जिसके बाद दुकान दो चार दिनों में ही लगभग पूरी तरह बन गयी।

इस पूरे मामले में तब नया मोड़ आ गया कि जब पीड़ित पक्ष ने तहसील न्यायालय पर कई गम्भीर आरोप लगा दिए।पीड़ित पक्ष ने कहा कि सीमांकन कराए बिना ही स्थगन आदेश को तहसीलदार के द्वारा भूमाफियाओं से सांठ गांठ करके खोल दिया गया।और 11 जनवरी को जब तहसीलदार के द्वारा स्थगन आदेश खोला गया है तब से तहसीलदार साहब सन्ना तहसील न्यायालय में बैठ ही नही रहे हैं जबकि हमारे द्वारा बार बार सीमांकन की बात कही जा रही है।उन्होंने तहसीलदार सन्ना पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनके द्वार कोर्ट में नही बैठने का मुख्य कारण यह है कि तब तक भूमाफियाओं के द्वारा उक्त भूमि पर कब्जा करके पूर्ण रूप से मकान बना दिया जाये।आपको यह भी बता दें कि उक्त मामले की शिकायत बाद में जशपुर कलेक्टर,एसडीएम से भी की गई है।वहीं अब बताया जा रहा है इस पूरे मामले में जब विवाद काफी बढ़ने लगा तब एसडीएम बगीचा के मौखिक निर्देश पर तहसीलदार के द्वारा सीमांकन का आदेश जारी कर दिया गया है।वहीं एसडीएम के मौखिल निर्देश पर कार्य बंद करा दिया गया है।बताया जा रहा है कि एसडीएम के मना करने के बाद भी घण्टो निर्माण कार्य चलता रहा और अंततः रातों रात दुकान बनाये जा रहे दीवाल के ऊपर एलबेस्टर डाल कर छत छा दिया गया है।

*पूरे मामले में सन्ना तहसीलदार सुनील गुप्ता ने लगी आरोप को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि यह न्यायालयी मामला है हमारे द्वारा जांच कराई गई थी जांच के बाद स्थगन आदेश हटा दिया गया और ऐसा नही है कि एक व्यक्ति के कारण हम कोर्ट नही जायें।अगर एक पक्ष पीड़ित है तो उन्हें अपील में जाना चाहिए।*

जहां पीड़ित पक्ष बार बार सीमांकन की बात करते हुए कह रहा है की तहसीलदार साहब ने फैसले में हमारा एक डिसमिल जमीन तो बताया है परन्तु हमारा वह जमीन कहाँ है यह क्यों नही बता रहे..?बहरहाल इस पूरे मामले में तहसीलदार और पीड़ित पक्ष जो भी कहें परन्तु यह तो स्पष्ठ है कि मामले में भूमाफियाओं के सांठ गाँठ की बुं जरूर आ रही है और यह सन्ना में काफी जनचर्चा भी बनी हुई है।कारण यह है कि राजस्व न्यायलय में मामला पहुंचने के बाद भी आबादी मद की भूमि और पीड़ित पक्ष के भूमि में धड़ल्ले से दुकान का निर्माण भी चलता रहा और राजस्व विभाग के कुछ आलाधिकारी इनको सह देते हुए चुप बैठे रहें।इस भूमि विवाद में इन दिनों सन्ना क्षेत्र में तहसीलदार सुनील गुप्ता के न्यायालयी फैसले भी काफी सुर्खियां बटोर रही है जिसकी जनचर्चा भी जोरों पर है।बहरहाल तहसीलदार के द्वारा बिना सीमांकन के स्थगन को खोलने के बाद मामले को हप्तों दिन तक खारिज नही करने के कारण भूमाफियाओं का आशियाना रातों रात बन तो गया है परन्तु अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस मामले में अब उच्चाधिकारी क्या निर्णय लेते हैं..?

*इस पूरे मामले में बगीचा एसडीएम श्री चौहान ने बताया कि मामले की जनकारी लगी थी तहसीलदार के यहां मामला है जिस भूमि का अभी सीमांकन कर दिया जायेगा।*

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