*जशपुर के इस आदिवासी नेता ने पूर्व प्रधानमंत्री पर लगा दिया गम्भीर आरोप..कहा 1975 में अध्यादेश ला कर देश भर के आदिवासी समाज के साथ हुआ है खिलवाड़, कहा जब तक इस विषय पर स्पष्ट कानून नही बनता, तब तक देश भर में चलेगा आंदोलन…पढिये पूरी खबर*

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जशपुरनगर/राकेश गुप्ता:- जनजाति आदिवासी समाज को लेकर अब पूरे देश मे एक बार फिर से माहौल गर्माता हुआ दिख रहा है।आपको बता दें कि देश भर में जनजाति समाज के लिए संघर्ष रत आदिवासियों का समूह अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच का सम्मेलन छत्तीसगढ़ प्रदेश के जशपुर जिले के ग्राम पिलखी डुंगुल पहाड़ में आयोजित हुआ था।कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व मंत्री कद्दावर आदिवासी नेता गणेश राम भगत उपस्थित थे। जहां श्री भगत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनजातिय सुरक्षा मंच के नेतृत्व में देश भर में धर्मान्तरित लोगों को जनजातिय सूची से बाहर करने का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें सभी लोगों को सहयोग करना चाहिए, जनजातिय समाज का आज तक के इतिहास में यह सबसे बड़ा जनांदोलन है।उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों से जनजातिय वर्ग का लाभ धर्मान्तरित लोगों को दिया जा रहा है। जनजातिय वर्ग के साथ अत्याचार किया जाता रहा है।जबकि संविधान ने जैसे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए जो व्यवस्था बनाया था वही व्यवस्था अनुसूचित जनजातियों के लिए भी बनाया था।किंतु वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने एक अध्यादेश लाकर भारत के संविधान के साथ खिलवाड़ किया था।जिसका परिणाम आज तक जनजातिय वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।जिसमें प्रधानमंत्री ने अध्यादेश में कहा था कि कोई भी आदिवासी कोई भी धर्म का पालन करता है तो वह आदिवासी ही माना जायेगा।जिसका परिणाम आज तक जनजाति वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन अब हम ऐसा होने नहीं देंगे जब तक इस विषय पर स्पष्ट कानून नहीं बनता है। तब तक हमारा यह डिलिस्टिंग का आंदोलन जारी रहेगा।

आपको बता दें कि जनजाति सुरक्षा मंच का गठन आज से करीब 13 वर्ष पहले अप्रैल 2007 में छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में कल्याण आश्रम और संघ के उपस्थिति में किया गया था। जिसका नेतृत्व का जिम्मा हमारे जशपुर के कद्दावर आदिवासी नेता गणेश रमा भगत को दिया गया तब से लेकर आज तक जनजाति सुरक्षा मंच देश भर के आदिवासी समाज का नेतृत्व करते हुए हमेशा आदिवासी समाज के लिए हितैसी के रूप में कार्य कर रहा है।जहां भी आदिवासी समाज के साथ अन्याय अत्याचार की शिकायत इन तक पहुंचती है तो वहां जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ता सीधे खड़े हो कर संघर्ष करते देखे जाते हैं।जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले पूर्व मंत्री अब तक आदिवासियों के हित के लिए सैकड़ों आंदोलन,रैली,धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।वहीं अब उन्होंने पुनः पूर्व प्रधानमंत्री पर गम्भीर आरोप थोपते हुए राजनीति सरगर्मी तेज कर दिया है।

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