जशपुरनगर:- जशपुर के इतिहास में पहली बार इन दिनों जिले में दो विशेष समुदाय आमने सामने की लड़ाई लड़ते देखे जा रहे हैं।जिले में लगातार एक दूसरे समाज पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला जारी है।वहीं ताजा मामला आपको बता दें कि जनजाति सुरक्षा मंच के नेतृत्व में पूरे देश भर में डिलिस्टिंग नामक तथाकथित जनांदोलन करती देखी जा रही है।इसी सिलसिले में आदिवासियों का सामाजिक संगठन जनजाति सुरक्षा मंच के नेतृत्व में जिले के सभी हिन्दू संगठन एक हो कर जशपुर में 27 मई शुक्रवार को डिलिस्टिंग नामक जनांदोलन करने जा रही है जिसमें यह आदिवासी संगठन धर्मान्तरित लोगो का आरक्षण समाप्त करने की मांग कर रही है जिसे लेकर पूरे जिले भर में जनचर्चा बना हुआ है और जिले भर का हिन्दू संगठन एक होता दिख रहा है, तो वहीं इसे लेकर अब जिले में राजनीति जैसे जैसे गर्मा रही है उसी तरह ईसाई समुदाय और हिन्दू आदिवासी समाज एक दूसरे के आमने सामने होता दिख रहा है और जिले भर की साम्प्रदायिक सौहाद्र काफी बिगड़ता दिख रहा है।
जहां आज जशपुर के जनजाति सुरक्षा मंच के पदाधिकारियों ने जशपुर एसपी और कलेक्टर जशपुर को लिखित आवेदन के साथ एक वायरल स्क्रीन सॉर्ट का ऐसा छायाप्रति पेश किया है जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत की छायाप्रति लगा कर भारत के संविधान को बदलने का गम्भीर आरोप लगाया गया है।वहीं हिन्दू समाज को लेकर असामाजिक तत्वों के द्वारा कई अनर्गल चैट भी शेयर की गई है।जिसे लेकर जनजाति सुरक्ष मंच ने जिले के इन असामाजिक तत्वों पर कार्यवाही करने की मांग करते हुए जिले में धार्मिक साम्प्रदायिक सौहाद्र बिगाड़ने का विशेष समुदाय पर गम्भीर आरोप लगाया है।
पढिये जनजाति सुरक्षा मंच ने शिकायत में और क्या लिखा है…….
..की जशपुर जिला हमेशा से शांत एवम सौहाद्रपूर्ण जिला है । यहां कभी भी किन्ही धर्मों के प्रति कोई विद्वेष नहीं रहा है । वर्ष 2007 से अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच का गठन होने के पश्चात से मंच के द्वारा लगातार भारतीय संविधान के विषयों को लेकर न केवल जशपुर जिले में बल्कि देश भर में जनजातियों के बीच उनके संवैधानिक अधिकारों को लेकर जनजागरण का कार्य किया जा रहा है । जिसका व्यापक प्रभाव क्षेत्र में देखने को मिल भी रहा है । इसी क्रम में मंच के द्वारा आज से लगभग 70 वर्षों से लगातार अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकार के विषय पर जिसमें कहा गया है कि जिस व्यक्ति ने अपने जाति के रीतिरिवाज और परंपराओं को छोड़कर धर्मान्तरण कर लिया है उसे अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाए । इसे डिलिस्टिंग नाम दिया गया है । और इसी मांग को लेकर देश भर में आंदोलन हो रहे हैं उसी क्रम में 27/05/2022 को जशपुर में भी आयोजन है जिसमें 20 हजार से अधिक लोगों के जुटने की सम्भवना है । इस हेतु दिनांक 17/05/2022 को जिला प्रशासन को विधिवत सूचना भी दी जा चुकी है । और इसकी जानकारी होते ही ईसाई समुदाय के द्वारा लगातार इस अभियान के विरोध में विभिन्न वाट्सप ग्रुप बनाकर न केवल डिलिस्टिंग के विरोध में बल्कि हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्थाओं के विरोध में अनर्गल चर्चा कर लोगों की धार्मिक भावना को चोंट पहुँचाने का कार्य किया जा रहा है । सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखिया श्री मोहन भागवत जी की फ़ोटो डालकर एक फर्जी पुस्तक तैयार कर नए संविधान निर्माण करने तथा उसकी व्याख्या अपने ढंग से करके क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है । उक्त सभी वाट्सप चैट जो विभिन्न वाट्सप ग्रुपों में वायरल भी हो रहा है जिसकी प्रति संलग्न है
महोदय इतने गम्भीर विषय पर 27 मई को जो आयोजन है उसके विरोध में 28 मई को आयोजन करने की अनुमति दिया जाना भी वास्तव में क्षेत्र की शांति व्यवस्था को चोंट पहुँचाने जैसा है । जबकि उसी वाट्सप चैट में यह लिखा गया है कि विशप स्वामी ने हमारी सभी योजनाओं में सहमति दी है इसमें इनकी क्या योजना है यह स्पस्ट नहीं किया गया है किन्तु सम्भवना है कि 27 मई के आयोजन को लेकर कोई गम्भीर षडयंत्र ईसाई समुदाय के द्वारा किया जा रहा है । कारण वश उनके इन वाट्सप चेटो की जांच करते हुए उनकी अंदुरुनी योजना की जांच कर इस षडयंत्र में शामिल सभी लोगो के विरुद्ध धार्मिक भावना को आहत करने के सम्बंध में एफ आई आर दर्ज कर कार्यवाही करते हुए ईसाई समुदाय के द्वारा शासकीय खेल मैदान रणजीता स्टेडियम में आयोजित डिलिस्टिंग के विरोध में किए जाने वाले आयोजन की अनुमति निरस्त करते हुए । जिले के साम्प्रदायिक सद्भावना को बनाये रखने के सम्बंध में कार्यवाही किए जाने की कृपा करें ।