जशपुरनगर। विश्व बंधु शर्मा। छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में जब विशेष परिस्थितियां उत्पन्न होती है तो इतिहास रहा है कि जशपुर जिले के दिग्गज नेताओं के साथ जशपुर जिले की रियासत कालीन संस्कृति का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप काफी प्रभावी रहा है। लंबे समय के वनवास के बाद कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन जशपुर जिले की प्रशासनिक व्यवस्था में राजनीतिक दबाव कभी कम नहीं हुआ। नई सरकार के बाद इस बीच जशपुर जिले में तीसरे कलेक्टर के रूप में रितेश कुमार अग्रवाल ने पदभार संभाल लिया है। गुरुवार को पदभार संभालने के बाद कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल पहली बार जशपुर जिले के पत्रकारों से रूबरू हुए। दर्जनों सवालों के बावजूद कलेक्टर श्री अग्रवाल ने यही कहा की योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन और समाज के आखिरी आदमी तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता तो रहेगी। साथ ही उन्होंने जशपुर जिले के पर्यावरण सांस्कृतिक विरासत और पुरातात्विक धरोहरों को सहेजने के साथ स्वावलंबन व जनजातीय वर्ग सहित हर एक वर्ग के जीवन स्तर को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करने का स्पष्ट संदेश देते हुए पहले साक्षात्कार में जिलेवासियों की उम्मीदों को एकबार फिर से जीवंत कर दिया।
कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि कार्यों की गुणवत्ता के साथ यहां की संभावनाओं पर कार्य करना उनकी प्राथमिकता होगी। लेकिन इस कार्य के लिए उन्होंने सभी वर्गों की सहभागिता होने की बात को महत्वपूर्ण बताया। हॉर्टिकल्चर पर जिले में बेहतर कार्य हुए हैं जिसे और बेहतर करने के साथ मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट, चाय बागान, काजू के उत्पादन सहित स्थानीय कृषि को भी उन्होंने प्राथमिकता क्रम से लिया है।
इन सबके अतिरिक्त सामाजिक सरोकारों व स्थानीय मुद्दों को लेकर वर्षों से संघर्षरत जशपुर जिले के पत्रकारों ने जो समस्याएं रखी, उसे नवपदस्थ जशपुर कलेक्टर श्री अग्रवाल के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी, जिस पर श्री अग्रवाल ने सतत संज्ञान लेते हुए समस्याओं के त्वरित निदान के लिए पहल करने की बात कही।
क्या हैं स्थानीय मुद्दे:-
1- जशपुर जिले में हर एक विकासखंड में स्वामी आत्मानंद विद्यालय का शुभारंभ तो हो गया लेकिन भर्ती प्रक्रिया के अधर में लटक जाने के कारण हजारों बच्चों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है। इन बच्चों के भविष्य को संवारने की बड़ी चुनौती कलेक्टर जशपुर की है।
2- हाल के वर्षों में जमीन से जुड़े प्रकरणों की बाढ़ सी आ गई है। जिला मुख्यालय में अतिक्रमण उफान पर है और नगर पालिका परिषद के पदाधिकारी नगर पालिका क्षेत्र में लगातार हो रहे अतिक्रमण को लेकर परेशान है भाजपा ने दसहरा के बाद इसे नहीं रोके जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है जो जशपुर जिला प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। जमीन मामले में शासकीय भूमि आवंटित जमीनों की रजिस्ट्री का मामला भी निकट भविष्य में गरमाने जा रहा है।
3- जशपुर जिले के कांसाबेल विकासखंड अंतर्गत टांगर गांव सहित अन्य स्थान पर स्थापित होने वाले प्रस्तावित उद्योग के विरोध में हो रहे जन आंदोलन में समन्वय भी कलेक्टर श्री अग्रवाल के लिए बड़ी चुनौती है।
4- जिला चिकित्सालय में हुए 12 करोड़ के घोटाले सहित डैम घोटाला व अन्य घोटालों को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा किया जा रहा आंदोलन भी नए कलेक्टर के लिये एक चुनौती है।
5- उक्त मुद्दों के अतिरिक्त राजस्व क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, शिक्षा व्यवस्था में हर दिन आ रही लापरवाही, राजस्व क्षेत्र के वर्षो से लंबित प्रकरण जिनमें सुनवाई नहीं होना, जनजातीय वर्ग की समस्या सहित अन्य कई मामले नए कलेक्टर के लिए चुनौती भरे हैं।
बहरहाल कोरोना महामारी के बाद जशपुर कलेक्टर के प्रथम साक्षात्कार में उनके कार्य के प्रति रुझान ने जशपुर वासियों को एक नई उम्मीद फिर से दी है, क्योंकि पहली बार जशपुर जिले में किसी कलेक्टर को आर्थिक, सामाजिक, सभ्यता की पृष्ठभूमि पर अर्थशास्त्र की भाषा में इस शब्द का प्रयोग करते हुए देखा गया जिन्होंने कहा कि जीवन स्तर को बेहतर बनाना उनकी प्राथमिकता है। यह वाक्य अर्थशास्त्र की भाषा में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है जो किसी भी देश के आंकलन का आधार होता है। नवरात्रि के पहले दिन से प्रशासनिक व्यवस्था की कमान संभाले जशपुर कलेक्टर से हम उम्मीद करते हैं, जो भी हो जशपुरांचल के लिए बेहतर हो।