Chhattisgarh
*देखिये वीडियो:- मैं मर जाता तो अच्छा रहता कलेक्टर साहब, विधायक साहब, बिजली बिल देखकर मरने का खयाल आता है, जमीन गिरवी रखकर पटाया था पिछले माह का बिल अब फिर आ गया हजारों का बिल, गुहार लगा रहे ग्रामीण कलेक्टर और विधायक से कि बस काट दें बिजली का कनेक्शन और दें नई जिंदगी…..वरना पूरा परिवार भूखा रह जायेगा……*
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3 years agoon
सन्ना/ जशपुर। जशपुर जिले में नगरीय क्षेत्र ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी दो से तीन बल्ब जलाने वाले जनजातीय परिवार भी अब बिजली बिल देखकर डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। सुदूर अंचल सन्ना पाठ क्षेत्र की जहां कुछ महीने पहले से क्षेत्र के ग्रामीण किसान मजदूरों को बिजली विभाग के द्वारा मनमाना बिजली का बिल थमा दिया जा रहा है।जिसे लेकर बीते महीने की 19 तारीख को ही जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले सन्ना में विशाल रैली और धरना प्रदर्शन कर विरोध प्रदर्शन करते हुये मुख्यमंत्री महोदय के नाम प्रशासन को ज्ञापन भी दिया जा चुका है। परन्तु उसके बावजूद आज पर्यंत तक बिजली विभाग या प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई और बल्कि इस महीने पुनः गांव के किसान मजदूरों को एक एक माह का हजारों में बिजली बिल थमा दिया गया है। स्थिति यह है कि जनजातीय समाज अपने बिजली कनेक्शन कटवाने के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है। कलेक्टर और विधायक को संबोधित करते हुए वीडियो सामने आया है जिसमें ग्रामीण कर रहे हैं कि कलेक्टर साहब विधायक साहब बिजली बिल देखकर ऐसा लगता है कि मैं मर ही जाता तो ठीक रहता।
चर्चा यह भी है कि जिले में हजारों लाखों का बिल देने के बाद विभाग के ही कुछ लोगों के द्वारा सेटलमेंट के नाम पर ऑफ दी रिकॉर्ड लेनदेन की प्रक्रिया भी की जाती है। वही इस प्रकार के बिजली बिल में तकनीकी कारण भी बताया जाता है जिसके समाधान के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है।
आपको बता दें कि ग्रामीण व्यापारियों के द्वारा भी पूर्व में कलेक्टर जनदर्शन में बिजली विभाग के द्वारा मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगा कर लिखित शिकायत किया जा चुका है। वहीं शिकायतकर्ताओं ने बताया कि मामले में अब तक कोई सुनवाई नही हुई जिसके बाद ही क्षेत्र का माहौल बिगड़ा और ग्रामीण के साथ साथ व्यापारी भी लामबंद हो कर जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं इस बार पुनः किसानों को बिजली ऑफिस के तरफ चक्कर लगाते देख हमारे सँवाददाता ने उनसे बात चीत किया तो उन्होंने हमारे ग्राउंड जीरो न्यूज को बताया कि वो सन्ना क्षेत्र के ही डुमरकोना ग्राम पंचायत के झपरा,सकईडिपा जैसे छोटे ग्रामों के छोटे मोटे किसान परिवार से हैं जो कि वो थोड़ी मोड़ी खेती कर गुजर बसर करते हैं। वहीं उनके घरों में बिजली लगी हुई है और उनके घरों में एक से दो बल्ब जलाई जाती है। ना ही उनके घरों में कूलर है ना ऐसी और ना ही कोई इलेक्ट्रॉनिक यंत्र, फैक्ट्री उसके बावजूद उन्हें एक माह का बिजली बिल हजार-पांच-दस हजार से लेकर लगभग डेढ़ लाख रुपये तक का अनाप शनाप बिजली बिल थमा दिया गया है।वहीं किसानो ने बताया कि जिसे लेकर उन्हें आत्महत्या तक करने को मन करता है।वहीं गरीब तबके के किसानों ने आगे जिले के नये कलेक्टर साहब पर भरोसा जताते हुए कलेक्टर और विधायक से आग्रह किया कि उनका बिजली पूरी तरह से काट दिया जाए या उन्हें मानसिक परेशान करने दी गयी बिजली बिल को माफ कर दिया जाये। वहीं एक छोटे किसान ने तो यहां तक बताया की उसके द्वारा बीते महीना ही अपना खेत को बंधक रख कर पूर्व का बकाया पूरा बिजली बिल जमा किया जा चुका था जिसके बाद बिजली विभाग ने उन्हें आश्वस्त किया था कि अब उन्हें ज्यादा का बिजली बिल नही दिया जायेगा पर उन्होंने बताया कि इस माह पुनः उन्हें लगभग 5570 रुपये का बिजली बिल थमा दिया गया है। जिसे लेकर वो काफी परेशान दिख रहे थे। उन्होंने तो यहां तक कह दिया की या तो उन्हें फांसी पर ही लटका दिया जाये।
अब इन सबके बाद हमने सन्ना के एक व्यापारी से पूछा कि उनका बिजली बिल कितना आया है तो वो कैमरे के सामने ही भड़क गये और सरकार तक को चेतावनी दे डाली उन्होंने कहा कि उन्हें 62 हजार से भी ज्यादा का बिजली बिल दिया गया। इन मामलों पर पूर्व में भी आंदोलन किया जा चुका है उसके बावजूद अब तक सरकार के कान में जूं तक नही रेंगी और कार्यवाही करने वाले माने जाते हैं।मामला उनके तक पहुंचने पर उनके द्वारा तत्काल एक्शन लिया जाए। इन लापरवाही को जल्द ठीक नही करती तो उन्हेंने कहा कि उनके पास भी वोट की शक्ति है समय आने पर सरकार को बता देंगे।अब आपको यह भी बता दें कि यह सन्ना के एक मात्र व्यापारी के साथ परेशानी नही बल्कि दर्जनों व्यापारियों को हजारों हजारों रुपये का बिजली बिल थमा दिया गया है।
आपको यह भी बता दें कि बीते महीने के 19 तारिख को सन्ना में जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले हुये बिजली विभाग के खिलाफ रैली धरना प्रदर्शन में जनजाति सुरक्षा मंच के पदाधिकारियों के द्वारा एक माह के अंदर कार्यवाही करने करने को कहा गया था, अन्यथा उग्र रूप से बड़ी आंदोलन करने की चेतावनी भी प्रशासन को दी गयी है। हालांकि अभी एक माह का समय पूरा नही हुआ है।अब देखना यह होगा कि आखिर इन गरीब किसान मजदूर और व्यापारियों को आखिर कब तक इस बोझ से छुटकारा मिलेगी?