सन्ना, जशपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े पहाड़ी कोरवा बाहुल्य तहसील सन्ना में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवा की बदहाली घायल महिला और उनके स्वजनों को हलाकान होना पड़ा। इस सरकारी अस्पताल की बदहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है रात में उपचार की उम्मीद लेकर पहुंचें घायल महिला और उनके परिजनों को यहां एक डाक्टर तक नहीं मिले। नाइट ड्यूटी में तैनात नर्स ने प्राथमिक उपचार दे दिया,इसके बाद दूसरे दिन,दर्द से तड़पती हुई महिला जिम्मेदार चिकित्सक के आने की राह देखते रहे,लेकिन कोई उनकी ओर झांकनें तक नहीं आया। इस पर परेशान होकर घायल महिला के परिजनों ने इसकी सूचना ग्राउंड जीरो के रिपोर्टर को दी। सन्ना तहसील के अंतर्गत महुआ ग्राम पंचायत के गट्टी गांव के रहवासी सुहलु राम ने बताया कि वे अपनी बहन गोइंदी बाई पति ठुपन राम 35 वर्ष जाति कोरवा को रात के 11 बजे सन्ना अस्पताल में इलाज के लिए आए थे। इस समय अस्पताल में कोई चिकित्सक नहीं थे। नाइट ड्यूटी में तैनात नर्स ने घायल महिला की जान बचाने के प्राथमिक उपचार किया। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि रात के बाद से आज सुबह से शाम हो गयी परन्तु स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी उन्हें देखने तक नही आया। उन्होंने आगे बताया कि डॉक्टरों के पास उनके द्वारा इलाज के लिए बोला गया तो डॉक्टर ने छुट्टी है कह कर वहां से चले बने। बहरहाल इस विषय मे जब हमारे द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सन्ना में करीब 5 बजे मौजूद स्टाप नर्स से पूछा गया तो उनका कहना था कि मैनें मरीज से उनकी हालत की जानकारी ली थी,परन्तु संबंधित डॉक्टर, इंजेक्शन लगाने को नहीं कहा तब तक मैं कैसे नहीं लगा सकती हूं। सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आए दिन इस तरह की लापरवाही सामने आती रहती है। कुछ महीने पहले ही मरंगीपाठ के एक पिता ने सन्ना अस्पताल के प्रबंधक पर गम्भीर आरोप लगाते हुए बच्चे की मौत का गम्भीर आरोप थोप दिया गया था।वहीं यहां की लापरवाही के कारण आये दिन मरीज भी परेशान देखे जाते हैं।आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में पिछले दशकों से एक्सरे मशीन खराब पड़ी है परंतु उसे अब तक किसी ने सुधरवाने की कोशिश तक नही किया और मरीजों को इसके लिए आज भी जिला अस्पताल के भरोसे रहना पड़ता है।यह क्षेत्र अति पिछड़ी जनजाति के पहाड़ी कोरवा बाहुल्य क्षेत्र भी है जो कि अति गरीब अवस्था में रहते हैं।वहीं मरीजों का आरोप यह भी रहता है कि यहां भर्ती हुए मरीजों को भोजन भी नही दिया जाता है उन्हें खुद से भोजन मंगा कर खाना पड़ता है।